एमपी वीरेंद्र कुमार ने राज्यसभा की सदस्यता से दिया इस्तीफा
नई दिल्ली:
जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के सांसद एमपी वीरेंद्र कुमार ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने नीतीश कुमार द्वारा बीजेपी के साथ गठबंधन करने के मुद्दे पर वैचारिक मतभेद को अपने इस्तीफे की मुख्य वजह बताई है. नीतीश कुमार की अगुवाई वाले गुट ने वीरेंद्र कुमार को जेडीयू की केरल इकाई के अध्यक्ष पद से पहले ही हटा दिया था. चुनाव आयोग ने भी जेडीयू के चुनाव चिन्ह पर शरद यादव गुट के दावे को खारिज कर नीतीश कुमार की अगुवाई वाले गुट को ही असली जेडीयू बताया है. वीरेंद्र कुमार ने बुधवार को पत्रकारों को बताया कि वह राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू को अपना इस्तीफा भेज चुके हैं. उन्होंने कहा कि वह बिहार में महागठबंधन तोड़कर बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए से गठबंधन करने के नीतीश कुमार के फैसले से सहमत नहीं हैं, इसलिए उन्होंने अपनी संसद सदस्यता से त्यागपत्र देने का फैसला किया है. वीरेंद्र कुमार ने कहा, जब नीतीश संघ परिवार के एजेंडे के पीछे चल पड़े हैं, तो मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता हूं.
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वीरेंद्र कुमार ने कहा, मुझे पता है कि मुझे पिछले साल यह सीट मिली थी, जब मैं केरल में सोशलिस्ट जनता डेमोक्रेटिक (एसजेडी) पार्टी का हिस्सा था, जो कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ का हिस्सा थी. मेरे निर्वाचन के बाद एसजेडी का जेडीयू में विलय हो गया. बीजेपी के साथ नीतीश के गठबंधन पर उन्होंने कहा, 'मैं नीतीश कुमार के साथ जुड़ने के आरोपों को लेकर यूडीएफ पर बोझ नहीं बनना चाहता. इसके अलावा मैंने चुनाव आयोग और राज्यसभा के नियमों की जानकारी ली और मुझे पता चला कि कानूनी तौर और तकनीकी तौर पर मैं नीतीश कुमार की पार्टी से अलग होकर राज्यसभा का सदस्य नहीं रह सकता हूं, इसलिए मैंने यह कदम उठाया.' भविष्य के कदम के बारे में वीरेंद्र कुमार ने कहा कि मौजूदा समय में उनकी चिंता यह है कि उनके पास कोई पार्टी नहीं है. उन्होंने कहा, 'मैंने शरद यादव से बात की और उन्होंने भी एक पार्टी की जरूरत पर चर्चा की. एक बार केरल पहुंचने के बाद मैं लोगों के साथ बैठूंगा और योजना बनाऊंगा कि क्या हो सकता है.'
VIDEO : चुनाव आयोग ने कहा, नीतीश की अगुवाई वाली जेडीयू ही असली
गौरतलब है कि बिहार में जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के चुनाव पूर्व महागठबंधन से नीतीश कुमार द्वारा जेडीयू को अलग करने के विरोध में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव की अगुवाई में वीरेंद्र कुमार सहित कुछ अन्य नेताओं ने बागी रुख अख्तियार कर लिया था। इनमें शरद यादव और जेडीयू के एक अन्य सांसद अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता पहले ही जा चुकी है. (इनपुट एजेंसियों से)
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वीरेंद्र कुमार ने कहा, मुझे पता है कि मुझे पिछले साल यह सीट मिली थी, जब मैं केरल में सोशलिस्ट जनता डेमोक्रेटिक (एसजेडी) पार्टी का हिस्सा था, जो कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ का हिस्सा थी. मेरे निर्वाचन के बाद एसजेडी का जेडीयू में विलय हो गया. बीजेपी के साथ नीतीश के गठबंधन पर उन्होंने कहा, 'मैं नीतीश कुमार के साथ जुड़ने के आरोपों को लेकर यूडीएफ पर बोझ नहीं बनना चाहता. इसके अलावा मैंने चुनाव आयोग और राज्यसभा के नियमों की जानकारी ली और मुझे पता चला कि कानूनी तौर और तकनीकी तौर पर मैं नीतीश कुमार की पार्टी से अलग होकर राज्यसभा का सदस्य नहीं रह सकता हूं, इसलिए मैंने यह कदम उठाया.' भविष्य के कदम के बारे में वीरेंद्र कुमार ने कहा कि मौजूदा समय में उनकी चिंता यह है कि उनके पास कोई पार्टी नहीं है. उन्होंने कहा, 'मैंने शरद यादव से बात की और उन्होंने भी एक पार्टी की जरूरत पर चर्चा की. एक बार केरल पहुंचने के बाद मैं लोगों के साथ बैठूंगा और योजना बनाऊंगा कि क्या हो सकता है.'
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गौरतलब है कि बिहार में जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के चुनाव पूर्व महागठबंधन से नीतीश कुमार द्वारा जेडीयू को अलग करने के विरोध में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव की अगुवाई में वीरेंद्र कुमार सहित कुछ अन्य नेताओं ने बागी रुख अख्तियार कर लिया था। इनमें शरद यादव और जेडीयू के एक अन्य सांसद अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता पहले ही जा चुकी है. (इनपुट एजेंसियों से)
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