नई दिल्ली:
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने एनसीटीसी का जबर्दस्त विरोध करते हुए केंद्र पर आरोप मढ़ा कि वह देश को तानाशाही की ओर ले जा रहा है। गृहमंत्री पी चिदंबरम पर चौतरफा हमला बोलते हुए जयललिता ने कहा कि केंद्र तमिलनाडु की काफी ज्यादा अवमानना कर रहा है। उसने राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी केंद्र (एनसीटीसी) के गठन के आदेश की प्रति तक राज्य को नहीं भेजी।
इस मसले पर बुलाई गई मुख्यमंत्रियों की बैठक में उन्होंने कहा कि प्रस्तावित एनसीटीसी की ओवरहालिंग करने और मुख्यमंत्रियों की एक छोटी उप समिति बनाने की जरूरत है। जयललिता ने कहा कि उप समिति जब तक अपनी रिपोर्ट न दे दे, तब तक एनसीटीसी को किनारे रखना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेजे पत्र में भी यही बात कही है। उन्होंने कहा कि जब तक एनसीटीसी की अधिसूचना लागू है, उसके बारे में कोई भी चर्चा बेकार है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई गंभीर मसला है और चाहे जिस तंत्र को विकसित किया जाए, सभी संबद्ध पक्षों से बात करनी आवश्यक है। गृह मंत्रालय में कोई एक नोडल केंद्र नहीं हो सकता, जिसकी मंजूरी आतंकवाद रोधी किसी भी कार्रवाई के लिए जरूरी हो। उन्होंने कहा कि एनआईए और एनसीटीसी के गठन तथा आरपीएफ एवं बीएसएफ कानूनों में प्रस्तावित संशोधनों के मसले से जो हालात बन रहे हैं, उससे लगता है कि हम तानाशाही की ओर बढ़ रहे हैं।
इस मसले पर बुलाई गई मुख्यमंत्रियों की बैठक में उन्होंने कहा कि प्रस्तावित एनसीटीसी की ओवरहालिंग करने और मुख्यमंत्रियों की एक छोटी उप समिति बनाने की जरूरत है। जयललिता ने कहा कि उप समिति जब तक अपनी रिपोर्ट न दे दे, तब तक एनसीटीसी को किनारे रखना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेजे पत्र में भी यही बात कही है। उन्होंने कहा कि जब तक एनसीटीसी की अधिसूचना लागू है, उसके बारे में कोई भी चर्चा बेकार है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई गंभीर मसला है और चाहे जिस तंत्र को विकसित किया जाए, सभी संबद्ध पक्षों से बात करनी आवश्यक है। गृह मंत्रालय में कोई एक नोडल केंद्र नहीं हो सकता, जिसकी मंजूरी आतंकवाद रोधी किसी भी कार्रवाई के लिए जरूरी हो। उन्होंने कहा कि एनआईए और एनसीटीसी के गठन तथा आरपीएफ एवं बीएसएफ कानूनों में प्रस्तावित संशोधनों के मसले से जो हालात बन रहे हैं, उससे लगता है कि हम तानाशाही की ओर बढ़ रहे हैं।
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