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This Article is From Jun 29, 2021

जम्मू एयरबेस में ड्रोन हमले की जांच का जिम्मा गृहमंत्रालय ने NIA को सौंपा, जानें रडार से कैसे बचा ड्रोन ?

जम्मू एयरपोर्ट का इंटरनेशनल बॉर्डर से एरियल डिस्टेंस मात्र 5 से 6 किलोमीटर है. अभी तक यह नहीं पता कि ड्रोन सीधे पाक से आया या फिर जम्मू से ही उड़ा. अगर जम्मू से उड़ा तो किसने उड़ाया, उसके हैंडलर कौन कौन हैं ?

जम्मू एयरबेस में ड्रोन हमले की जांच का जिम्मा गृहमंत्रालय ने NIA को सौंपा, जानें रडार से कैसे बचा ड्रोन ?
जम्मू एयरबेस में ड्रोन हमला
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने जम्मू वायुसेना स्टेशन पर हुए ड्रोन हमले की जांच का जिम्मा आधिकारिक तौर पर एनआईए को सौंप दिया है. अब मामले के विभिन्न पहलुओं की जांच एनआईए की टीम करेगी. गृह मंत्रालय ने ये आदेश दिए हैं. रविवार को पहली बार जम्मू  एयरबेस पर ड्रोन से दो धमाके किए गए थे. इस मामले में शक की सुई पाकिस्तानी आतंकी संगठनों की ओर है. इसे किसी भी भारतीय सैन्य ठिकाने पर पहला ड्रोन हमला माना जा रहा है. इसके बाद सोमवार को भी जम्मू के कालूचक मिलिट्री स्टेशन के पास दो ड्रोन दिखे थे.सेना की फायरिंग के बाद वे भाग गए.परमंडल चौक के पास पहला ड्रोन दिखा रात 11:45 बजे और दूसरा ड्रोन दिखा रात 2:40 बजे. उधर, जम्मू-कश्मीर पुलिस के प्रमुख का कहना है कि मामले में दो संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. भारतीय वायु सेना भी (IAF) इस घटना से जुड़े पहलुओं की जांच में जुटी है.

अभी तक साफ नहीं, ड्रोन पाकिस्तान से आया जम्मू से ही उड़ा

जम्मू एयरपोर्ट का इंटरनेशनल बॉर्डर से एरियल डिस्टेंस मात्र 5 से 6 किलोमीटर है. अभी तक यह नहीं पता कि ड्रोन सीधे पाक से आया या फिर जम्मू से ही उड़ा. अगर जम्मू से उड़ा तो किसने उड़ाया, उसके हैंडलर कौन कौन हैं ? क्या ड्रोन ने टारगेट मिस किया या फिर एक चेतावनी दे गया ? क्या ड्रोन बम गिराकर वापस चला गया या फिर उसने टारगेट पर हमला करके खुद को तबाह कर दिया. 

रडार से कैसे बच गया ड्रोन

हमारे पास बड़े ड्रोन को इंटरसेप्ट करने के एयर डिफेंस सिस्टम हैं पर छोटे ड्रोन को रोकने के बहुत पुख्ता इंतजाम नहीं है.क्योंकि ये काफी नीचे उड़ते हैं और इनका रडार की पकड़ में आना मुश्किल हो जाता है. जब सऊदी अरब में अरमोके तेल डिपो में ऐसे ही हमला हुआ था तो उनकी सुरक्षा में अमेरिका तैनात था, वह भी ऐसे हमले को नहीं रोक पाया था. आशंका है कि आतंकियों ने क्वॉडकॉपर ड्रोन के जरिए एयरफोर्स स्टेशन पर विस्फोटक गिराए. ये तरीका नया नहीं है.  यमन के हूती विद्रोही भी यही तरीका अपनाते हैं. ये सऊदी अरब के एयरबेस और तेल के ठिकानों पर हमला करते हैं. हालात ये हैं कि दो दिन बाद भी वायुसेना यह बताने की हालत में नही है कि हमला कैसे हुआ है.

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