इशरत जहां मुठभेड़ मामले की जांच के लिए गठित SIT के सदस्य थे सतीश वर्मा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
केंद्र ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सतीश वर्मा को एक और नोटिस जारी करते हुए कथित 'कदाचार' और ड्यूटी से 'अनधिकृत ढंग से गायब' रहने के आरोप पर उनसे जवाब मांगा है। वर्मा उस विशेष जांच दल (एसआईटी) के सदस्य थे, जिसने इशरत जहां मामले की जांच की थी।
शिलॉन्ग स्थित नीप्को में कार्यरत हैं वर्मा
वर्मा 1986 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं और वह अभी शिलॉन्ग स्थित नार्थ ईस्ट इलेक्ट्रिकल पावर कॉर्पोरेशन (नीप्को) में मुख्य सतर्कता अधिकारी पद पर कार्यरत हैं। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार वर्मा को एक और नोटिस भेजा गया था, जब वह पहले नोटिस का जवाब देने में नाकाम रहे थे। उन्हें जवाब देने के लिए 10 दिनों का समय दिया गया था। उन्हें इसी महीने 'चार्ज मेमो' जारी किया गया था।
वर्मा को जल्द से जल्द नोटिस का जवाब देने को कहा गया
सूत्रों ने कहा कि गृह मंत्रालय को अधिकारी से कोई जवाब नहीं मिला, इसलिए अधिकारियों ने स्मरण पत्र भेजकर वर्मा को जल्द से जल्द जवाब देने को कहा और ऐसा नहीं करने पर 'एकपक्षीय फैसला' किया जाएगा। आईपीएस अधिकारियों का कैडर नियंत्रण करने वाले प्राधिकार गृह मंत्रालय ने नीप्को की रिपोर्ट के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी। नीप्को बिजली मंत्रालय के तहत आता है। नीप्को ने वर्मा के खिलाफ एक रिपोर्ट सौंपते हुए 'अनधिकृत' रूप से ड्यूटी से 'गायब' रहने और बिना अनुमति के यात्रा करने का आरोप लगाया था। ऐसा करना अखिल भारतीय सेवाओं के सेवा नियमों का उल्लंघन है।
वर्मा ने अपने मोबाइल पर भेजे गए उस एसएमएस का भी जवाब नहीं दिया, जिसमें उनकी टिप्पणी मांगी गई थी। इससे पूर्व पहला नोटिस जारी होने पर भी उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था।
इशरत केस पर गठित एसआईटी में शामिल थे वर्मा
वर्मा उस तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) के सदस्य थे, जिसका गठन गुजरात हाईकोर्ट ने इशरत जहां मुठभेड़ मामले की जांच के लिए किया था। उन्होंने दो अन्य सदस्यों से अलग रुख अपनाते हुए हाईकोर्ट एक हलफनामा दाखिल किया और मुठभेड़ में मौत को नियोजित होने की आशंका जताई। उन्होंने इशरत के प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा की आतंकवादी होने पर भी संदेह जताया।
हाल ही में जब इशरत जहां मामला हलफनामा में बदलाव को लेकर फिर चर्चा में था, वर्मा ने मीडिया को साक्षात्कार दिया और उसमें उन्होंने इस दावे पर आपत्ति जतायी कि मुंबई के पास मुंब्रा की लड़की आतंकवादी थी। उन्होंने मुठभेड़ के फर्जी होने का भी दावा किया। बाद में वह उस सीबीआई टीम का हिस्सा थे, जिसकी जांच पर चार आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए गए थे। इन अधिकारियों में पी पी पांडेय, डी जी बंजारा, जी एल सिंघल और राजेंद्र कुमार शामिल थे।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
शिलॉन्ग स्थित नीप्को में कार्यरत हैं वर्मा
वर्मा 1986 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं और वह अभी शिलॉन्ग स्थित नार्थ ईस्ट इलेक्ट्रिकल पावर कॉर्पोरेशन (नीप्को) में मुख्य सतर्कता अधिकारी पद पर कार्यरत हैं। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार वर्मा को एक और नोटिस भेजा गया था, जब वह पहले नोटिस का जवाब देने में नाकाम रहे थे। उन्हें जवाब देने के लिए 10 दिनों का समय दिया गया था। उन्हें इसी महीने 'चार्ज मेमो' जारी किया गया था।
वर्मा को जल्द से जल्द नोटिस का जवाब देने को कहा गया
सूत्रों ने कहा कि गृह मंत्रालय को अधिकारी से कोई जवाब नहीं मिला, इसलिए अधिकारियों ने स्मरण पत्र भेजकर वर्मा को जल्द से जल्द जवाब देने को कहा और ऐसा नहीं करने पर 'एकपक्षीय फैसला' किया जाएगा। आईपीएस अधिकारियों का कैडर नियंत्रण करने वाले प्राधिकार गृह मंत्रालय ने नीप्को की रिपोर्ट के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी। नीप्को बिजली मंत्रालय के तहत आता है। नीप्को ने वर्मा के खिलाफ एक रिपोर्ट सौंपते हुए 'अनधिकृत' रूप से ड्यूटी से 'गायब' रहने और बिना अनुमति के यात्रा करने का आरोप लगाया था। ऐसा करना अखिल भारतीय सेवाओं के सेवा नियमों का उल्लंघन है।
वर्मा ने अपने मोबाइल पर भेजे गए उस एसएमएस का भी जवाब नहीं दिया, जिसमें उनकी टिप्पणी मांगी गई थी। इससे पूर्व पहला नोटिस जारी होने पर भी उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था।
इशरत केस पर गठित एसआईटी में शामिल थे वर्मा
वर्मा उस तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) के सदस्य थे, जिसका गठन गुजरात हाईकोर्ट ने इशरत जहां मुठभेड़ मामले की जांच के लिए किया था। उन्होंने दो अन्य सदस्यों से अलग रुख अपनाते हुए हाईकोर्ट एक हलफनामा दाखिल किया और मुठभेड़ में मौत को नियोजित होने की आशंका जताई। उन्होंने इशरत के प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा की आतंकवादी होने पर भी संदेह जताया।
हाल ही में जब इशरत जहां मामला हलफनामा में बदलाव को लेकर फिर चर्चा में था, वर्मा ने मीडिया को साक्षात्कार दिया और उसमें उन्होंने इस दावे पर आपत्ति जतायी कि मुंबई के पास मुंब्रा की लड़की आतंकवादी थी। उन्होंने मुठभेड़ के फर्जी होने का भी दावा किया। बाद में वह उस सीबीआई टीम का हिस्सा थे, जिसकी जांच पर चार आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए गए थे। इन अधिकारियों में पी पी पांडेय, डी जी बंजारा, जी एल सिंघल और राजेंद्र कुमार शामिल थे।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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