दुनिया भर के शातिर आपराधिक गिरोहों की नजर भी कोरोना वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) पर है. अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन इंटरपोल (Interpol) ने चेतावनी दी है कि ऑक्सफोर्ड, फाइजर(Pfizer) , मॉडर्ना (Moderna) जैसी दिग्गज कंपनियों का टीका बाजार में आने की घड़ी नजदीक आने के साथ आपराधिक गिरोह इसे हड़पने का खतरनाक मंसूबा बना सकते हैं. वे आम जनता तक पहुंचने के पहले कोरोना वैक्सीन का बड़ा जखीरा भी हथिया सकते हैं. यहीं नहीं, जनता की गाढ़ी कमाई ऐंठने के लिए साइबर अपराधी फर्जी वैक्सीन (Fake Vaccine) भी उतार सकते हैं.
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दरअसल, तीन प्रतिष्ठित कंपनियों की कोरोना वायरस वैक्सीन (Corona Virus Vaccine) बाजार में आने के करीब है. वहीं लोगों में भी कोरोना का टीका जल्द से जल्द लेने की बेसब्री है. आपराधिक गिरोह (International Criminal gangs) आम जनता की इसी छटपटाहट का फायदा उठा सकते हैं. इंटरपोल के प्रमुख ज्युअरगेन स्टॉक (Juergen Stock) ने चेताया कि आपराधिक संगठन वैक्सीन की सप्लाई चेन को निशाना बना सकते हैं. उन्होंने कहा कि जब दुनिया भर के देश जनता को सुरक्षित करने के लिए टीकाकरण अभियान शुरू करने वाले हैं, तब खतरनाक गैंग इसमें सेंध लगा सकते हैं. वैक्सीन के उत्पादन से वितरण तक उनके निशाने पर है.
फर्जी संदेशों, ऑफर से सावधान रहें
स्टॉक ने कहा कि आपराधिक गिरोह (Criminal gangs) फर्जी वेबसाइट (Fake Website) बनाकर, फर्जी मेल, एसएमएस या लिंक भेजकर कोरोना की मुफ्त वैक्सीन, सबसे पहले टीकाकरण या सरकारी अभियान के झंझट से अलग आसानी से कोरोना वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) का लालच दे सकते हैं. इसके झांसे में आने पर सेहत से तो खिलवाड़ होगा ही, साथ ही बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी को अंजाम दिया जा सकता है.
शुरुआती दौर में भी ठगा था
कोरोना के शुरुआती दौर में भी आपराधिक गिरोहों (Cyber Criminals) ने मुफ्त मॉस्क, सैनेटाइजर, मेडिकल किट, मुफ्त जांच आदि के नाम पर दुनिया भर में लाखों लोगों को चूना लगाया था. भारत समेत कई देशों में खुद को सुरक्षित बनाने के चक्कर में लोग इन फर्जी उत्पादों के चक्कर में आ गए थे. अब जब महामारी का इलाज मिलने के करीब है, तब ये गिरोह इंटरनेट और सोशल मीडिया के जरिये एक बार फिर शिकार खोजने में जुट गए हैं.
3 हजार से फर्जी वेबसाइट पर शिकंजा
इंटरपोल ने तीन हजार से ज्यादा ऐसी वेबसाइट पकड़ी हैं, जो ऑनलाइन कोरोना की दवा के साथ घटिया मेडिकल उत्पाद बेचने के काम में लगे हुए थे. इसके जाल में फंसे लोगों का महत्वपूर्ण डाटा भी चुरा लिया गया. या फिर निजी जानकारी चुराने वाला सॉफ्टवेयर धोखे से यूजर्स के फोन या डेस्कटॉप में डाल दिया गया.
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