खुफिया विभाग की होगी अब कोरोना पर नज़र, लापरवाही की नहीं होगी छूट, जानें पूरा मामला

स्वास्थ्य मंत्रालय के डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज के तहत आने वाले विभाग सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलिजेंस खुफिया पुलिस के तौर पर मंत्रालय को लापरवाही पर अलर्ट करेगा

खुफिया विभाग की होगी अब कोरोना पर नज़र, लापरवाही की नहीं होगी छूट, जानें पूरा मामला

कोरोना पर अब खूफिया विभाग भी रखेगा नजर, ऐसे करेगा काम

नई दिल्ली:

लॉकडाउन में छूट के बीच कई जगहों से लोगों की लापरवाही की आ रही तस्वीरें स्वास्थ्य मंत्रालय की चिंता बढ़ा रही हैं. अब तक मंत्रालय मीडिया की तस्वीरें ही साझा करता रहा पर अब स्वास्थ्य मंत्रालय के खुफिया विभाग CBHI यानी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलिजेंस भी ऐसी लापरवाही की जानकारी जुटाएगा. कोरोना की दूसरी लहर का असर अब भी बरकरार है, चिंता इस लहर से निपटने की है और चुनौती तीसरी लहर को रोक पाने की. स्वास्थ्य मंत्रालय के डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज के तहत आने वाले विभाग सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलिजेंस खुफिया पुलिस के तौर पर मंत्रालय को लापरवाही पर अलर्ट करेगा.

इससे स्वास्थ्य मंत्रालय राज्यों के संज्ञान में बात लाएगा, जिससे जरूरी कदम उठाए जा सकें.आज के हालात ही नहीं, आगामी स्वास्थ्य से जुड़े खतरे को लेकर भी जिलेवार तरीके से अलर्ट करने की जिम्मेदारी भी दी गई है. हेल्थ इंटेलिजेंस का ये विभाग तो पुराना है, पर नए सिरे से देश के स्वास्थ्य को लेकर ठोस पूर्वानुमान लगाने को लेकर इस विभाग को इसरो, अर्थ साइंसेज, फॉरेस्ट, पॉल्यूशन, जल मंत्रालय जैसे विभाग से भी तालमेल बिठाकर काम करने की रूप रेखा तैयार कर ली गई है. इसके अलावा डीजीएचएस यानी डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज ने कोरोना की तीसरी लहर से निपटने को लेकर आठ अहम टीमें गठित की हैं, जो दुनिया के अलग देशों में जारी  की गई अहम रिसर्च है.देश में कोरोना को लेकर सर्विलांस ट्रीटमेंट की रणनीति और एपिडिमियोलॉजी के हिसाब से हालात और असर का मूल्यांकन करते हुए समय-समय पर मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट देगी. 

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर और epidemiologist  डॉक्टर जुगल किशोर बताते हैं कि हमें चाहिए कि हम सर्विलांस को बहुत पुख्ता करें, अच्छा करें. हम वेरिएंट के ऊपर फोकस करें. जीनोम सीक्वेंसिंग पर ध्यान हो. कंटेनमेंट पर फोकस हो. माइक्रोकंटेनमेंट जोन पर फोकस करने की ज़रूरत है. IDSP को और मजबूत करें. साथ ही समय-समय पर ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल को दोबारा देखने की जरूरत है, तो मंत्रालय अपने स्तर पर काम में जुटा है पर एहतियात को लेकर ख्याल आवाम को भी रखना है.