यह ख़बर 29 अक्टूबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

शिंदे ने बादल से जताया आतंकवाद के पनपने का खतरा

खास बातें

  • सरकार में उच्च पदों पर बैठे सूत्रों ने एनडीटीवी को बता है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को सुरक्षा एजेंसियों ने बताया है कि पंजाब में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने के लिए कोशिशें हो रही हैं।
नई दिल्ली:

पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के साथ मुलाकात में केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कथित तौर पर राज्य में एक बार फिर से आतंकवाद के पनपने का अंदेशा जताया है।

बताया जा रहा है कि शिंदे की इस सलाह के पीछे सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पंजाब में अतिवादी लोगों के सक्रिय होने की सूचना दिया जाना है।

सरकार में उच्च पदों पर बैठे सूत्रों ने एनडीटीवी को बता है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को सुरक्षा एजेंसियों ने बताया है कि पंजाब में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने के लिए कोशिशें हो रही हैं। यह कोशिश यूरोप के तमाम देशों में बसे सिखों द्वारा की जा रही है। इस सबके पीछे पाकिस्तान का हाथ भी बताया जा रहा है। इंटरनेट पर इसके लिए प्रचार किया जा रहा है कि आतंकियों की भर्ती की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि ऑपरेशन ब्लूस्टार की अगुवाई करने वाले ले. जनरल कुलदीप सिंह ब्रार को लंदन में चार लोगों ने चाकू से मारकर घायल कर दिया था। सिखों के पवित्र स्थल स्वर्ण मंदिर से खालीस्थान की मांग करने वाले आतंकियों को भगाने के लिए यह ऑपरेशन चलाया गया था।

हाल में शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, जिसे सिखों की संसद के रूप में भी जाना जाता है और जो देश में तमाम गुरुद्वारा के रखरखाव का जिम्मा संभालती है, ने स्वर्ण मंदिर में एक यादगार स्थल बनाया है। यह स्थल ऑपरेशन ब्लूस्टार में सेना द्वारा मारे गए आतंकियों की याद में बनाया गया है।

बता दें कि इस स्थल पर पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। वहीं, राज्य के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि इस स्थल पर मारे गए आतंकियों का नाम उद्धृत नहीं किया जाएगा। वहीं, सरकार की सहयोगी भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि वह इस तरह के किसी भी मंशा के खिलाफ है।

सुरक्षा एजेंसियों से सम्बद्ध सूत्रों का कहना है कि फिलहाल यह जरूरी है कि राजनीतिक जमात जल्द से जल्द इस तरह की कोशिशों के खिलाफ सक्रिय होकर लोगों में जागरुकता फैलाए। एजेंसियों का मानना है कि कुछ युवाओं में इस तरह की गतिविधियों को लेकर रुचि दिखाई दे रही है। केंद्र ने अपनी ओर से कदम उठाते तमाम मित्र राष्ट्रों से इस सम्बंध में सूचना का आदान-प्रदान करने को कहा है।

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अधिकारियों का कहना है कि 1980 के दशक और अभी के समय में काफी  बदलाव आ गया है। अब तमाम देश सहयोग कर रहे हैं जबकि तब कई देशों ने न केवल सूचना देने से इनकार कर दिया था बल्कि कुछ ने तो आतंकियों को अपने यहां पनाह तक दी थी।