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This Article is From Nov 11, 2014

स्मृति ईरानी ने कहा, एएमयू लाइब्रेरी में छात्राओं का प्रवेश रोका जाना बेटियों का अपमान है

अलीगढ़:

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति (वाइस चांसलर) रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल ज़मीरुद्दीन शाह ने अपने एक बयान को लेकर चौतरफा आलोचनाएं झेल रहे है। इसमें उन्होंने कहा था, अगर यूनिवर्सिटी की मुख्य लाइब्रेरी (मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी) की सदस्यता लड़कियों को भी दे दी जाएगी, तो लाइब्रेरी में लड़कियों के पीछे चौगुना लड़के भर जाएंगे, इसलिए उन्होंने लाइब्रेरी में लड़कियों की सदस्यता पर लगे हुए प्रतिबंध को हटाने से इनकार किया है।

सोमवार को विद्यार्थियों के एक समारोह को संबोधित करते हुए कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल ज़मीरुद्दीन शाह ने कहा, "यह मामला अनुशासन से भी ज़्यादा जगह का है... हमारी लाइब्रेरी पहले से भरी रहती है... लड़कों के बैठने के लिए भी जगह नहीं है..."

शाह के इस बयान पर हंगामा मच जाने के बाद केंद्रीय शिक्षामंत्री स्मृति ईरानी ने मामले पर रिपोर्ट तलब की है। मंत्रालय ने कुलपति को खत लिखकर कहा है कि कुछ महिलाओं को लाइब्रेरी से बाहर रखना 'मानवाधिकार उल्लंघन' है।

मानव संसाधन विकासमंत्री स्मृति ईरानी ने कुलपति के खबरों में आए कथन को 'बेटियों का अपमान' करार देते हुए कहा कि एक महिला के तौर पर यह बयान केवल आहत नहीं करता बल्कि आंदोलित भी करता है।

गौरतलब है कि देश के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में शुमार किए जाने वाले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में सभी स्नातक हो चुके विद्यार्थियों को मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी के इस्तेमाल की इजाज़त है, लेकिन स्नातक पाठ्यक्रम की लगभग 2,500 छात्राओं को लाइब्रेरी में प्रवेश से वंचित रखा गया है, और इस पर वाइस चांसलर कहते हैं कि वे लड़कियां महिला कॉलेज जा सकती हैं, जहां लाइब्रेरी है, हालांकि उसमें इतनी किताबें नहीं हैं।

वहीं इस मुद्दे पर सफाई देते हुए मंगलवार को कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल ज़मीरुद्दीन शाह ने कहा, "लगभग 4,000 लड़कियां हैं, जो स्नातक पाठ्यक्रम में पढ़ रही हैं... अगर हम उन्हें भीतर आने जेते हैं, तो जगह ही नहीं बचेगी... सो, साफ बात है, हम उन्हें अनुमति नहीं दे सकते... वैसे, हम महिला सशक्तिकरण के खिलाफ नहीं हैं..."

महिला कॉलेज की स्थापना वर्ष 1906 में हुई थी, और मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी कई दशक बाद स्थापित हुई। महिला कॉलेज की छात्राओं को कभी भी इस लाइब्रेरी की सदस्यता नहीं दी गई, और वैसे इस लाइब्रेरी में कुल 1,300 लोगों के बैठने की जगह है।

छात्राएं इस बात को लेकर काफी परेशान और गुस्से में हैं। उनमें से एक ने कहा, "क्या हम अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का हिस्सा नहीं हैं...? अगर भीतर नहीं बैठने दे सकते, तो कम से कम किताबें ही इश्यू कराने की अनुमति दे दें..."

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