कराटे किड आयशा नूर
कोलकाता:
कोलकाता की आयशा नूर ने एक सपना देखा, और उसे पूरा करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी। अपने सपने को पूरा करना आयशा के लिए इतना आसान नहीं था, लेकिन वो लड़ी और आखिरकार अपनी मंजिल तक पहुंच ही गई। वो जब 13 साल की थी तब उसके पिता की मौत हो गई, वो ड्राइवर थे। आयशा बीमार है पर इलाज के लिए पैसे नहीं। वो कराटे सीखना चाहती थी और देश-विदेश में मेडल जीतना चाहती थी।
हालात ने उसे हर तरफ से मारने की कोशिश की, लेकिन 19 साल की आयशा ने अपनी गरीबी और मिर्गी की बीमारी से लड़ते हुए हालात को करारा जवाब दिया। इतना ही नहीं उसने सामाजिक बाधाओं को भी लांघा। ऐसे में कोई हैरानी नहीं, जब डॉक्यूमेंट्री के लिए पूरी दुनिया में महिलाओं को तलाश रहे आईटीवीएस वालों को आयशा पसंद आ गई और अब आयशा पर डॉक्यूमेंट्री भी बनेगी। आयशा कोलकाता की झुग्गियों में रहती है, मिर्गी की बीमारी होने के वाबजूद उसने कराटे में कई गोल्ड मेडल जीते हैं।
आयशा और उससे प्रेरणा लेकर कराटे क्लास आने वाली लड़कियां उत्साहित हैं। यहां तक कि उन सभी की मां भी इसमें शामिल होना चाहती हैं। आईटीवीएस प्रोजेक्ट की खबर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दफ्तर तक भी पहुंची चुकी है, लेकिन संपर्क करने पर कराटे गर्ल आयशा ने दान लेने से मना कर दिया और कहा कि वो महिला पुलिस को कराटे सिखाएगी और बदले में तनख्वाह लेगी।
हालात ने उसे हर तरफ से मारने की कोशिश की, लेकिन 19 साल की आयशा ने अपनी गरीबी और मिर्गी की बीमारी से लड़ते हुए हालात को करारा जवाब दिया। इतना ही नहीं उसने सामाजिक बाधाओं को भी लांघा। ऐसे में कोई हैरानी नहीं, जब डॉक्यूमेंट्री के लिए पूरी दुनिया में महिलाओं को तलाश रहे आईटीवीएस वालों को आयशा पसंद आ गई और अब आयशा पर डॉक्यूमेंट्री भी बनेगी। आयशा कोलकाता की झुग्गियों में रहती है, मिर्गी की बीमारी होने के वाबजूद उसने कराटे में कई गोल्ड मेडल जीते हैं।
आयशा और उससे प्रेरणा लेकर कराटे क्लास आने वाली लड़कियां उत्साहित हैं। यहां तक कि उन सभी की मां भी इसमें शामिल होना चाहती हैं। आईटीवीएस प्रोजेक्ट की खबर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दफ्तर तक भी पहुंची चुकी है, लेकिन संपर्क करने पर कराटे गर्ल आयशा ने दान लेने से मना कर दिया और कहा कि वो महिला पुलिस को कराटे सिखाएगी और बदले में तनख्वाह लेगी।
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