यह ख़बर 25 अप्रैल, 2013 को प्रकाशित हुई थी

लद्दाख में घुसपैठ से चीन और भारत के बीच तनाव, विदेशमंत्री जाएंगे चीन

खास बातें

  • खुर्शीद की यात्रा अगले महीने चीन के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री ली क्विंग के भारत दौरे से पहले हो रही है। ली की यात्रा को काफी महत्व दिया जा रहा है क्योंकि पिछले महीने प्रधानमंत्री बनने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा होगी।
नई दिल्ली:

चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच जारी गतिरोध के बावजूद विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद 9 मई को चीन की यात्रा पर जाएंगे।

खुर्शीद की यात्रा अगले महीने चीन के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री ली क्विंग के भारत दौरे से पहले हो रही है। ली की यात्रा को काफी महत्व दिया जा रहा है क्योंकि पिछले महीने प्रधानमंत्री बनने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा होगी।

चीन की प्रस्तावित यात्रा के बारे में पूछे जाने पर खुर्शीद ने संवाददाताओं से कहा, मैं 9 मई को जा रहा हूं। मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत और चीन भारतीय क्षेत्र में चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद उत्पन्न स्थिति को सुलझा लेंगे।

ऐसे मुद्दों से निपटने के लिए दोनों देशों के बीच कार्यकारी तंत्र होने का जिक्र करते हुए खुर्शीद ने कहा, इस तंत्र को इसका समाधान निकालने दें और कई बार ऐसा हुआ है। हमारे पास यह मानने का अच्छा कारण है कि वह एक बार फिर ऐसा कर सकेगा। किसी भी मुद्दे पर असहमति, ‘धोखा’ नहीं है।

लद्दाख से चीनी सैनिकों को वापस भेजने के लिए तीसरी फ्लैग मीटिंग शुक्रवार को सकती है। उधर, सेनाध्यक्ष जनरल विक्रम सिंह ने लद्दाख में चीन की घुसपैठ के संबंध में रक्षा मंत्री ए के एंटनी को जानकारी दी । भाषा

दरअसल, इस वक्त न तो चीन किसी तरह के विवाद में पड़ने की हालत में है और न ही भारत। दोनों ही पीछे हटे बगैर अपनी बात मनवाने के लिए बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं। दरअसल, अगले महीने चीन के नए प्रधानमंत्री भारत के दौरे पर आ रहे हैं। वह भारत के साथ चीन के रिश्ते सुधारना चाहते हैं, लेकिन कहा जाता है कि चीन के कुछ पुराने जनरल अब भी पुरानी लीक पर ही चल रहे हैं। उनको समझाना आसान काम नहीं है।

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ऐसे में सवाल यह है कि भारत के सामने क्या विकल्प हैं। क्या मामले को बातचीत के जरिये सुलझाने का इंतजार करें, या भारत भी पांच किलोमीटर आगे जाकर अपना तंबू लगा दे या फिर चीन के साथ 66 अरब डॉलर के कारोबारी रिश्ते हैं, उनके जरिये चीन पर दबाव बनाएं।