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This Article is From Jul 24, 2017

कौरवों से बचने के लिए पांडवों ने अपनाई थी यह तरकीब, अब इसी से चीन को 'मात देगी' भारतीय सेना...

इन सुरंगों की लंबाई 7 किलोमीटर होगी. इसे बनाने का जिम्मा सीमा सड़क संगठन (BRO) को दिया गया है. तवांग इलाके में बनने वाले इन सुरंगों में दो लेन होंगे,

कौरवों से बचने के लिए पांडवों ने अपनाई थी यह तरकीब, अब इसी से चीन को 'मात देगी' भारतीय सेना...
पिछले कुछ समय से भारत-चीन बॉर्डर तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं, हालांकि दोनों तरफ से अभी तक एक भी गोली नहीं चली है.
नई दिल्ली: अगर आपने महाभारत पढ़ी होगी या टीवी सीरियल देखा होगा तो याद होगा कि पांडवों की मां कुंती समेत हत्या के लिए मामा शकुनि के साथ मिलकर दुर्योधन ने एक प्लान बनाया था. इसमें पांडवों को लाख के बने एक महल (लाक्षागृह) में ठहराया जाता है, और फिर उसमें आग लगा दी जाती है. दुर्योधन समझता है कि पांडव अपनी मां समेत झुलसकर मर गए हैं, लेकिन वे सभी एक सुरंग के ज़रिये बाहर आकर अपनी जान बचा लेते हैं.

भारतीय इतिहास पर नजर डालें तो कई ऐसे राजा थे, जो दुश्मनों से बचने के लिए सुरंग का प्रयोग करते थे. अब भारतीय सेना भी युद्ध में इस तरकीब को आजमाने की तैयारी में है. खासकर हाल के दिनों में चीन की ओर से बढ़ती हरकतों को देखते हुए भारत सरकार चीन बॉर्डर को कई सुरंगों से जोड़ने की तैयारी कर रही है.

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चीन ने सीमावर्ती इलाकों में सड़कों का जाल बिछा दिया है, ताकि युद्ध होने की स्थिति में उनकी सेना आसानी से भारत की सीमा तक पहुंच सके. वहीं भारत सरकार सड़कों के साथ सुरंगों के ज़रिये अपनी सेना बॉर्डर तक पहुंचाने की योजना पर काम कर रही है. इस योजना पर केंद्रीय रक्षा और गृह मंत्रालय मिलकर काम कर रहे हैं.

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इन इलाकों में बनेंगी सुरंगें : मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत सरकार की योजना है कि अरुणाचल प्रदेश से लेकर चीन बॉर्डर तक सुरंगें बनाई जाए. इन सुरंगों की लंबाई 7 किलोमीटर होगी. इसे बनाने का जिम्मा सीमा सड़क संगठन (BRO) को दिया गया है. तवांग इलाके में बनने वाले इन सुरंगों में दो लेन होंगे, यानी दोनों तरफ से एक साथ आवाजाही हो सके. 475 मीटर और 1.79 किलोमीटर लंबी सुरंगें इसी परियोजना का हिस्सा हैं. ये सुरंगें 11,000 और 12,000 फीट की ऊंचाई पर बनाई जाएंगी.

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क्या हैं फायदे: फिलहाल भारतीय फौज को चीन बॉर्डर तक पहुंचने के लिए 13,700 फीट ऊंचे सेला दर्रे का प्रयोग करना पड़ता है. यह रास्ता बेहद दुर्गम है. साथ ही यहां से गुजरने के दौरान सेटेलाइट और अत्याधुनिक दुरबीन की मदद से सेना की गतिविधि पर दुश्मन नजर रख सकते हैं. वहीं सुरंग बन जाने के बाद सेना दुश्मन की नजरों में आए बिना आसानी से बॉर्डर तक पहुंच पाएगी. इस सुरंग की चौड़ाई इतनी रखी जाएगी ताकि सेना के वाहन भी यहां से आसानी से आवाजाही कर सकें.

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मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो बीआरओ के प्रोजेक्ट कमांडर आरएस राव ने पश्चिमी कामेंग की उपायुक्त सोनल स्वरूप के साथ बैठक की है. इस दौरान उन्होंने 7 किलोमीटर सुरंगों के लिए जमीन की जरूरत के संबंध में अन्य दस्तावेज सौंपे. बताया जा रहा है कि मॉनसून के बाद अरुणाचल प्रदेश सरकार की मदद से सुरंगों के निर्माण के लिए जमीन के अधिग्रहण के लिए काम शुरू होगा.

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