संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की 75वीं वर्षगांठ पर तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने फिर से कश्मीर का मुद्दा (Kashmir issue) उठाया है. भारत ने इस पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है और तुर्की को दो-टूक शब्दों में कहा है कि आंतरिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप पूरी तरह से अस्वीकार्य है. संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में अर्दोआन द्वारा कश्मीर मुद्दे को हवा देने के घंटे भर बाद ही संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, टीएस तिरुमूर्ति ने ट्विटर पर कहा कि अंकारा को अन्य देशों की संप्रभुता का सम्मान करना सीखना चाहिए और इसके और उसकी नीतियों पर इसकी गहरी छाप दिखाई देनी चाहिए.
तिरुमूर्ति ने ट्वीट किया, ''भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर पर हमने राष्ट्रपति अर्दोआन की टिप्पणी देखी है. यह भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है और यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है. तुर्की को दूसरे देशों की संप्रभुता का सम्मान करना सीखना चाहिए और उसे अपनी नीतियों में गहराई से प्रतिबिंबित करना चाहिए.''
भारत पुराने पड़ चुके एजेंडे के तहत जम्म कश्मीर का मुद्दा सुरक्षा परिषद से हटाने के पक्ष में
संयुक्त राष्ट्र महासभा के दूसरे दिन तुर्की राष्ट्रपति ने कहा था, "कश्मीर विवाद, जो दक्षिण एशिया की स्थिरता और शांति के लिए भी महत्वपूर्ण है, अभी भी एक ज्वलंत मुद्दा है." अपने रिकॉर्डेड संदेश में अर्दोआन ने कहा कि बातचीत के माध्यम से कश्मीर के मुद्दे को हल करना अनिवार्य है. तुर्की राष्ट्रपति ने कहा, "हम संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के ढांचे के भीतर बातचीत के माध्यम से इस मुद्दे को हल करने के पक्ष में हैं, खासकर कश्मीर के लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप."
पिछले एक साल में, पाकिस्तान के सहयोगी रहे तुर्की ने कई मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठाया है. भारत ने हर वक्त उसका विरोध किया है और बार-बार बताया है कि यह उसका आंतरिक मामला है और बाहरी देश उसमें हस्तक्षेप न करे. पिछले हफ्ते भी भारत ने पाकिस्तान, तुर्की और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की आलोचना की थी, जिसने मानवाधिकार परिषद के 46वें सत्र में भारत के आंतरिक मामलों में दखल देते हुए कश्मीर मामले को उठाया था.
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