Ease Of Doing Business: कारोबार सुगमता रैंकिंग में भारत 77वें स्थान पर पहुंचा.
नई दिल्ली:
विश्व बैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग (Ease of doing business) में भारत ने लंबी छलांग लगाई है. भारत अब 23 पायदान के सुधार के साथ 100वें से 77वें स्थान पर पहुंच गया है. पिछले दो सालों में भारत की रैकिंग में 53 पायदान का सुधार आया है. माना जा रहा है कि इससे भारत को अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी. पिछले साल विश्व बैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग में भारत 100वें स्थान पर था. नरेंद्र मोदी सरकार के लिए यह रैंकिंग राहत की बात है. अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले सरकार को विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है. विश्व बैंक की कारोबार सुगमता पर 2019 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में कारोबार शुरू करने और उसमें सुगमता से संबंधित दस मानदंडों में से छह में भारत की स्थिति सुधरी है.
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न्यूजीलैंड पहले स्थान पर
इन मानदंडों में कारोबार शुरू करना, निर्माण परमिट, बिजली की सुविधा प्राप्त करना, कर्ज प्राप्त करना, करों का भुगतान, सीमापार व्यापार, अनुबंधों को लागू करना और दिवाला प्रक्रिया से निपटना शामिल है. नरेंद्र मोदी सरकार 2014 में सत्ता में आई थी. उस समय भारत कारोबार सुगमता के मामले में 190 देशों की सूची में 142वें स्थान पर था. पिछले साल भारत की रैंकिंग 131वें से 100वें स्थान पर आ गई थी. कारोबार सुगमता रैंकिंग में न्यूजीलैंड शीर्ष पर है. उसके बाद क्रमश: सिंगापुर, डेनमार्क और हांगकांग का नंबर आता है. सूची में अमेरिका आठवें, चीन 46वें और पाकिस्तान 136वें स्थान पर है. विश्व बैंक ने इस मामले में सबसे अधिक सुधार करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में भारत को दसवें स्थान पर रखा है.
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टॉप-50 में आना है लक्ष्य : जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जब सरकार बनी थी तब हम ईज ऑफ डुईंग बिजनेस रैंकिंग में 142वें स्थान पर थे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमारा लक्ष्य टॉप-50 में आना है. अगर 5 साल में हम 50 रैंक में आ गए तो ऐसा कभी हुआ नहीं है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि DIPP ने बारीकी से काम किया है. उसने हर योग्यता पर काम किया. इसी वजह से भारत की रैंकिंग इतनी ज्यादा सुधरी है.
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10 मानदंडों पर मिलती है रैंकिंग
विश्व बैंक की पिछले साल की कारोबार सुगमता रैंकिंग में भारत 30 पायदान की छलांग के साथ 100वें स्थान पर पहुंच गया था. इसमें 190 देशों को रैंकिंग दी गई थी. विश्व बैंक की यह रैंकिंग 10 मानदंडों मसलन कारोबार शुरू करना, निर्माण परमिट, बिजली कनेक्शन हासिल करना, कर्ज हासिल करना, करों का भुगतान, सीमापार कारोबार, अनुबंध लागू करना और दिवाला मामले का निपटान पर आधारित होती है.
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सुरेश प्रभु ने दिए थे संकेत
इससे पहले वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने मंगलवार को संकेत दिया था कि विश्व बैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग में भारत की स्थिति और सुधरेगी. प्रभु ने कहा था, 'आपको एक अच्छी खबर सुनने को मिलेगी कि कारोबार सुगमता के मानदंडों पर भारत की रैंकिंग सुधरी है. हमने इस दिशा में उल्लेखनीय रूप से सुधार किया है.
(इनपुट : भाषा से भी)
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इन मानदंडों में कारोबार शुरू करना, निर्माण परमिट, बिजली की सुविधा प्राप्त करना, कर्ज प्राप्त करना, करों का भुगतान, सीमापार व्यापार, अनुबंधों को लागू करना और दिवाला प्रक्रिया से निपटना शामिल है. नरेंद्र मोदी सरकार 2014 में सत्ता में आई थी. उस समय भारत कारोबार सुगमता के मामले में 190 देशों की सूची में 142वें स्थान पर था. पिछले साल भारत की रैंकिंग 131वें से 100वें स्थान पर आ गई थी. कारोबार सुगमता रैंकिंग में न्यूजीलैंड शीर्ष पर है. उसके बाद क्रमश: सिंगापुर, डेनमार्क और हांगकांग का नंबर आता है. सूची में अमेरिका आठवें, चीन 46वें और पाकिस्तान 136वें स्थान पर है. विश्व बैंक ने इस मामले में सबसे अधिक सुधार करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में भारत को दसवें स्थान पर रखा है.
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(इनपुट : भाषा से भी)
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