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This Article is From Dec 11, 2021

देश की 10 फीसदी आबादी के पास 57 फीसदी आय, अमीरों-गरीबों के बीच चौड़ी हो रही खाई

'विश्व असमानता रिपोर्ट 2022' शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अब दुनिया के सर्वाधिक असमानता वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की वयस्क आबादी की औसत राष्ट्रीय आय 2,04,200 रुपये है जबकि निचले तबके की आबादी की आय 53,610 रुपये है और शीर्ष 10 फीसदी आबादी की आय इससे करीब 20 गुना अधिक है.

देश की 10 फीसदी आबादी के पास 57 फीसदी आय, अमीरों-गरीबों के बीच चौड़ी हो रही खाई
World Inequality Report 2022 : भारत आर्थिक असमानता वाले देशों में शामिल.
नई दिल्ली:

भारत में गरीबी और अमीरी के बीच खाई चौड़ी होती जा रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश की 10 फीसदी आबादी के पास भारत की कुल कमाई का 57 फीसदी है. जबकि एक फीसदी आबादी के पास राष्ट्रीय आय का 22 फीसदी हिस्सा है. निचले तबके के पास 13 फीसदी कमाई ही है. रिपोर्ट में यह कहा गया है. 'विश्व असमानता रिपोर्ट 2022' शीर्षक वाली रिपोर्ट के लेखक लुकास चांसल हैं जोकि 'वर्ल्ड इनइक्यूलैटी लैब' के सह-निदेशक हैं. इस रिपोर्ट को तैयार करने में फ्रांस के अर्थशास्त्री थॉमस पिकेट्टी समेत कई विशेषज्ञों ने सहयोग दिया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अब दुनिया के सर्वाधिक असमानता वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की वयस्क आबादी की औसत राष्ट्रीय आय 2,04,200 रुपये है जबकि निचले तबके की आबादी (50 प्रतिशत) की आय 53,610 रुपये है और शीर्ष 10 फीसदी आबादी की आय इससे करीब 20 गुना (11,66,520 रुपये) अधिक है.

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रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की शीर्ष 10 फीसदी आबादी के पास कुल राष्ट्रीय आय का 57 फीसदी, जबकि एक फीसदी आबादी के पास 22 फीसदी है. वहीं, नीचे से 50 फीसदी आबादी की इसमें हिससेदारी मात्र 13 फीसदी है. इसके मुताबिक, भारत में औसत घरेलू संपत्ति 9,83,010 रुपये है. इसमें कहा गया है, ‘भारत एक गरीब और काफी असमानता वाला देश है जहां कुलीन वर्ग के लोग भरे पड़े हैं.'

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में लैंगिक असमानता बहुत अधिक है. इसमें कहा गया है कि महिला श्रमिक की आय की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत है. यह एशिया के औसत (21 प्रतिशत, चीन को छोड़कर) से कम है. कोरोना काल में अमीरों और गरीबों के बीच खाई और चौड़ी हुई है. बड़े पैमाने पर बेरोजगारी होने के कारण गरीबों की संख्या बढ़ी है, जबकि उनकी आय घटी है. 

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