आजादी स्‍पेशल : जिन अहम विदेशी शख्सियतों ने आजादी की लड़ाई में दिया महत्‍वपूर्ण योगदान...

आजादी स्‍पेशल : जिन अहम विदेशी शख्सियतों ने आजादी की लड़ाई में दिया महत्‍वपूर्ण योगदान...

खास बातें

  • अंग्रेजों के खिलाफ कई विदेशी नागरिकों ने भी मोर्चा लिया
  • इनमें एओ हयूम, एनी बेसेंट, सी एफ एंड्रूज का अहम योगदान
  • इन्‍होंने भारतीयों की दशा-दिशा सुधारने में अहम भूमिका निभाई
नई दिल्‍ली:

अंग्रेजों के अत्‍याचार के खिलाफ  भारतीय स्‍वतंत्रता आंदोलन में कई प्रबुद्ध विदेशी नागरिकों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्‍सा लिया. उन्‍होंने भी भारतीयों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आजादी की अलख जगाने में अहम भूमिका निभाई. आजादी की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर ऐसी ही कुछ शख्सियतों और उनके योगदान पर एक नजर...

एलेन ओक्‍टोवियो हयूम (1829-1912)
ब्रिटिश भारत में सिविल सेवक के रूप में तैनात थे. पक्षी विज्ञानी और वनस्‍पतिशास्‍त्री के रूप में भी जाने जाते हैं. 1885 में भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस की स्‍थापना में अहम योगदान दिया. इसके संस्‍थापक सदस्‍यों के रूप में याद किए जाते हैं. बाद में यह पार्टी भारतीय स्‍वतंत्रता आंदोलन की मुख्‍य आवाज बनकर उभरी. इनको भारत में 'पक्षी विज्ञान का पिता' भी कहा जाता है. 1857 के प्रथम स्‍वतंत्रता संग्राम को इटावा के प्रशासक के रूप में बेहद नजदीकी से देखा था. भारतीयों की बदहाली को देखकर लोगों की जीवन दशाओं को सुधारने की दिशा में अहम काम किया.

जॉर्ज यूल (1829-1892)
इलाहाबाद में 1888 में भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के चौथे अध्‍यक्ष बने. इस पद को धारण करने वाले पहले गैर-भारतीय थे. कोलकाता के शेरिफ रहने के अलावा यह स्‍कॉट व्‍यवसायी इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स का अध्‍यक्ष भी रहा.

एनी बेसेंट (1847-1933)
ब्रिटिश सोशलिस्‍ट और थियोसोफिकल सोसायटी की सदस्‍य. 1898 में वाराणसी में सेंट्रल हिंदू कॉलेज की स्‍थापना में अहम योगदान दिया. 1907 में थियोसोफिकल सोसायटी की अध्‍यक्ष बनीं. इसका अंतरराष्‍ट्रीय हेडक्‍वार्टर अड्यार (चेन्‍नई) में. भारत में डोमिनियन स्‍टेटस और लोकतंत्र की मांग के साथ 1914-16 के दौरान बाल गंगाधर तिलक के साथ देश में होमरूल आंदोलन चलाया. कांग्रेस की सदस्‍य बनीं और 1917 में इसकी अध्‍यक्ष भी बनीं. होमरूल आंदोलन के दौरान 'कॉमनवील' और 'न्‍यू इंडिया' अखबार भी चलाए. अड्यार में निधन.

सी एफ एंड्रूज (1871-1940)
ब्रिटिश शिक्षाविद् और समाज सुधारक. महात्‍मा गांधी के बेहद करीबी. महात्‍मा गांधी को दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के लिए प्रेरित में अहम भूमिका निभाई. भारतीय स्‍वाधीनता संग्राम में इनके अहम योगदान के चलते महात्‍मा गांधी और दिल्‍ली के सेंट स्‍टीफेंस कॉलेज के छात्रों ने इन्‍हें 'दीनबंधु' की उपाधि से नवाजा.


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