
सऊदी अरब में फंसे भारतीय (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सऊदी अरब में नौकरी चले जाने से चुनौती झेल रहे भारतीयों को लेकर सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक इनकी तादाद करीब 10 हजार है। शुरुआत में इमरान खोखर नामक जिस शख्स ने ट्विटर के जरिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मदद मांगी थी उसमें सिर्फ 800 भारतीयों की जानकारी थी। लेकिन बाद की दरयाफ्त में पता चला कि इस तरह के कई समूह हैं और मुसीबत में फंसे भारतीयों की तादाद कहीं ज्यादा है।
यह खाड़ी देशों में आई मंदी की वजह से बेरोजगार हुए हैं। हालांकि अलग-अलग कंपनियों के कर्मचारी के तौर पर इन पर असर भी अलग-अलग तरह से पड़ा है। जहां हजारों की नौकरी चली गई है वहीं ऐसे भी हजारों लोग हैं जिनको तनख्वाह तक नहीं मिली है।
रियाद में 3172 भारतीयों को महीनों से तनख्वाह नहीं मिली है, बस उन्हें राशन मिलता रहा है। 2450 कर्मचारी अकेले ओझर कंपनी के हैं जिनको जेद्दाह, मक्का और तैफ़ में कैंपो में रखा गया है। 25 जुलाई से कंपनी ने उनको खाना देना भी बंद कर दिया। विदेश मंत्री ने जेद्दाह कांसुलेट को निर्देश दिया कि वे तुरंत उनको राशन-पानी मुहैय्या कराए। विदेश मंत्री ने मदद के लिए भारतीय समुदाय से भी आगे आने का आग्रह किया। इन कोशिशों के चलते अब ओझर कंपनी के 2450 कर्मचारियों के पास 8-10 दिन का राशन पहुंच गया है।
विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर सऊदी प्रशासन से बातचीत कर यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि उनकी बकाया तनख्वाह दिलाई जा सके। साथ ही एक्जिट वीज़ा जारी हो ताकि जो अपने देश लौटना चाहते हैं वे लौट सकें। राज्यसभा में सऊदी कानून का ज़िक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि वहां के कानून के मुताबिक सऊदी एजेंसी कामगारों को एक्ज़िट वीज़ा तब तक जारी नहीं करतीं जब तक उनकी नियोक्ता कंपनी 'नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट' न दे। हालत यह है कि कंपनी बोरिया बिस्तर समेट चुकी है तो फिर नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट कौन देगा? इसिलए विदेश मंत्रालय वहां के विदेश मंत्रालय से बात कर रास्ता निकालने की कोशिश कर रहा है।
जल्दी नतीजे के लिए विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह सऊद अरब रवाना हो रहे हैं। वे वहां जमीनी हालात का जायजा लेंगे और उसके बाद भारतीयों के वापस लौटने की व्यवस्था की जाएगी। इस पूरे मामले की निगरानी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज खुद कर रही हैं। फंसे हुए भारतीय लगातार उनसे संपर्क कर रहे हैं। एक भारतीय ने बीती रात पौने तीन बजे फोन कर विदेश मंत्री से बात की।
यह खाड़ी देशों में आई मंदी की वजह से बेरोजगार हुए हैं। हालांकि अलग-अलग कंपनियों के कर्मचारी के तौर पर इन पर असर भी अलग-अलग तरह से पड़ा है। जहां हजारों की नौकरी चली गई है वहीं ऐसे भी हजारों लोग हैं जिनको तनख्वाह तक नहीं मिली है।
रियाद में 3172 भारतीयों को महीनों से तनख्वाह नहीं मिली है, बस उन्हें राशन मिलता रहा है। 2450 कर्मचारी अकेले ओझर कंपनी के हैं जिनको जेद्दाह, मक्का और तैफ़ में कैंपो में रखा गया है। 25 जुलाई से कंपनी ने उनको खाना देना भी बंद कर दिया। विदेश मंत्री ने जेद्दाह कांसुलेट को निर्देश दिया कि वे तुरंत उनको राशन-पानी मुहैय्या कराए। विदेश मंत्री ने मदद के लिए भारतीय समुदाय से भी आगे आने का आग्रह किया। इन कोशिशों के चलते अब ओझर कंपनी के 2450 कर्मचारियों के पास 8-10 दिन का राशन पहुंच गया है।
विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर सऊदी प्रशासन से बातचीत कर यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि उनकी बकाया तनख्वाह दिलाई जा सके। साथ ही एक्जिट वीज़ा जारी हो ताकि जो अपने देश लौटना चाहते हैं वे लौट सकें। राज्यसभा में सऊदी कानून का ज़िक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि वहां के कानून के मुताबिक सऊदी एजेंसी कामगारों को एक्ज़िट वीज़ा तब तक जारी नहीं करतीं जब तक उनकी नियोक्ता कंपनी 'नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट' न दे। हालत यह है कि कंपनी बोरिया बिस्तर समेट चुकी है तो फिर नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट कौन देगा? इसिलए विदेश मंत्रालय वहां के विदेश मंत्रालय से बात कर रास्ता निकालने की कोशिश कर रहा है।
जल्दी नतीजे के लिए विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह सऊद अरब रवाना हो रहे हैं। वे वहां जमीनी हालात का जायजा लेंगे और उसके बाद भारतीयों के वापस लौटने की व्यवस्था की जाएगी। इस पूरे मामले की निगरानी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज खुद कर रही हैं। फंसे हुए भारतीय लगातार उनसे संपर्क कर रहे हैं। एक भारतीय ने बीती रात पौने तीन बजे फोन कर विदेश मंत्री से बात की।
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