मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सरकार ने आम बजट से ठीक एक दिन पहले घोषणा की कि उसने दूर दराज़ के उच्च शिक्षा संस्थानों में पढ़ाने के लिए 1225 फैकल्टी नियुक्ति की है, जो अगले 3 साल तक 'देशसेवा की भावना' से काम करेंगे. इस योजना के लिये 375 करोड रुपये का बजट रखा गया है.
यह भी पढ़ें : अब घर बैठे इस तरह मुफ्त में इंजीनियरिंग एंट्रेस की तैयारी कर सकेंगे छात्र
देश के इन जाने माने संस्थानों से पास आउट अब दूर दराज के इलाकों के इंजीनियरिंग और टेक्नीकल कॉलेजों में पढ़ायेंगे. सरकार ने ऐसे 1225 पीएचडी और मास्टर्स डिग्री धारकों का चयन किया है. इनमें से ज्यादातर आईआईटी और एनआईटी जैसे उच्च संस्थानों से हैं. ये झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, उड़ीसा और उत्तरपूर्व समेत पिछड़े राज्यों के 53 संस्थानों (सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज) में जाकर 3 साल तक पढ़ायेंगे. इन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कॉन्ट्रेक्ट में रखा गया है और 70 हजार रुपये महीना दिया जाएगा.
यह भी पढ़ें : इंजीनियरिंग के छात्र ने किया सुरक्षाबलों की बुलेट प्रूफ जैकेट को हल्का बनाने का दावा
सरकार कहती है कि ये छात्र देशभक्ति की भावना से प्रेरित होकर इन इलाकों में काम करने जा रहे हैं, लेकिन सच यह भी है कि बाज़ार में अभी नौकरियों की भारी कमी है और इनके प्रीमियर संस्थानों के पास आउट इस पद दी जाने वाली तनख्वाह से कम पर ये सेवा देने को तैयार हुए हैं. मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के मुताबिक कोई 5000 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था.
VIDEO : जज्बे को सलाम : जेल में रहकर पीयूष ने पास की IIT प्रवेश परीक्षा
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा ये काफी हौसला बढ़ाने वाला कदम है, क्योंकि इन इलाकों में फैकल्टी की नियुक्ति हो रही है, जहां पद खाली पड़े थे. प्रकाश जावड़ेकर के मुताबिक कुछ संस्थानों में तो 60 फीसद पद खाली थे. सरकार का कहना है कि इन छात्रों ने जाकर पढ़ाने का काम शुरू कर दिया है, लेकिन एक सवाल ये भी है कि ठेके पर की गई इन नियुक्तियों से क्या एससी-एसटी कोटे के उम्मीदवार की अनदेखी नहीं हुई, जो कि इस श्रेणी के उम्मीदवारों का संवैधानिक अधिकार है.. जावड़ेकर ने इस सवाल के जवाब में कहा कि जब स्थाई नियुक्तियां होंगी तो आरक्षण नीति का पालन किया जाएगा.
यह भी पढ़ें : अब घर बैठे इस तरह मुफ्त में इंजीनियरिंग एंट्रेस की तैयारी कर सकेंगे छात्र
देश के इन जाने माने संस्थानों से पास आउट अब दूर दराज के इलाकों के इंजीनियरिंग और टेक्नीकल कॉलेजों में पढ़ायेंगे. सरकार ने ऐसे 1225 पीएचडी और मास्टर्स डिग्री धारकों का चयन किया है. इनमें से ज्यादातर आईआईटी और एनआईटी जैसे उच्च संस्थानों से हैं. ये झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, उड़ीसा और उत्तरपूर्व समेत पिछड़े राज्यों के 53 संस्थानों (सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज) में जाकर 3 साल तक पढ़ायेंगे. इन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कॉन्ट्रेक्ट में रखा गया है और 70 हजार रुपये महीना दिया जाएगा.
यह भी पढ़ें : इंजीनियरिंग के छात्र ने किया सुरक्षाबलों की बुलेट प्रूफ जैकेट को हल्का बनाने का दावा
सरकार कहती है कि ये छात्र देशभक्ति की भावना से प्रेरित होकर इन इलाकों में काम करने जा रहे हैं, लेकिन सच यह भी है कि बाज़ार में अभी नौकरियों की भारी कमी है और इनके प्रीमियर संस्थानों के पास आउट इस पद दी जाने वाली तनख्वाह से कम पर ये सेवा देने को तैयार हुए हैं. मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के मुताबिक कोई 5000 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था.
VIDEO : जज्बे को सलाम : जेल में रहकर पीयूष ने पास की IIT प्रवेश परीक्षा
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा ये काफी हौसला बढ़ाने वाला कदम है, क्योंकि इन इलाकों में फैकल्टी की नियुक्ति हो रही है, जहां पद खाली पड़े थे. प्रकाश जावड़ेकर के मुताबिक कुछ संस्थानों में तो 60 फीसद पद खाली थे. सरकार का कहना है कि इन छात्रों ने जाकर पढ़ाने का काम शुरू कर दिया है, लेकिन एक सवाल ये भी है कि ठेके पर की गई इन नियुक्तियों से क्या एससी-एसटी कोटे के उम्मीदवार की अनदेखी नहीं हुई, जो कि इस श्रेणी के उम्मीदवारों का संवैधानिक अधिकार है.. जावड़ेकर ने इस सवाल के जवाब में कहा कि जब स्थाई नियुक्तियां होंगी तो आरक्षण नीति का पालन किया जाएगा.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं