प्रतीकात्मक तस्वीर
हालिया सुकमा नक्सली हमले में 25 सीआरपीएफ जवानों की शहादत के बाद उनके परिजनों की मदद के लिए देश की शीर्ष प्रशासनिक सेवा के अधिकारी आगे आए हैं. दरअसल आतंक और नक्सल विरोधी रोधी ऑपरेशनों में शहीद हुए जवानों के परिवारों और विशेष रूप से इनके बच्चों की मदद के लिए आईएएस अधिकारियों का एसोसिएशन आगे आया है. इसने स्वैच्छिक रूप से कदम उठाते हुए शहीद हुए परिवारों को अपनाने का फैसला किया है ताकि इनके बच्चों की समुचित ढंग से पढ़ाई हो सके और सरकार की मुआवजी नीति के तहत इनको समयबद्ध ढंग से वित्तीय मदद मिल सके.
इस स्वैच्छिक पहल के तहत आईएएस एसोसिएशन ने फैसला किया है कि हर एक आईएएस अधिकारी सशस्त्र बलों (रक्षा, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और राज्य पुलिस) का हिस्सा किसी जवान के शहीद होने पर उसके परिवार की मदद के तहत करेगा. इसके तहत कम से कम 5-10 वर्षों तक वह पूरे परिवार की देखभाल का जिम्मा उठाएगा. यह अधिकारी जिस राज्य (कैडर) से संबंधित होगा, मोटे तौर पर उसी राज्य के श्हीद परिवार के देखभाल का जिम्मा उठाएगा. हालांकि इसके तहत उस अधिकारी को अपनी तरफ से सीधे तौर पर ऐसे परिवार को वित्तीय सहायता देने की जरूरत नहीं होगी बल्कि सरकार की मुआवजा नीति के तहत समयबद्ध ढंग से पैसे की उपलब्धता, ऐसे परिवारों के लिए सरकारी प्रयासों की निगरानी और उनको सहयोग का जिम्मा होगा ताकि ऐसे परिवार को अभिभावक की कमी नहीं खले और दुख की घड़ी में उनको देखभाल और संबल मिल सके.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस नई पहल के तहत शुरुआत में पिछले चार आईएएस बैच (2012-16) के 600-700 युवा अधिकारियों को अपनी पोस्टिंग वाले एरिया में से कम से कम एक शहीद परिवार की देखभाल का जिम्मा उठाने के लिए एसोसिएशन ने कहा है. ये अधिकारी शहीदों के परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर पेंशन, ग्रेज्युटी, सेवाओं का एलॉटमेंट मसलन पेट्रोल पंप, स्कूलों में बच्चों का दाखिला, युवाओं को सरकार के स्किल इंडिया या डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के तहत विशेष कौशल हासिल करने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करने में मदद करना जैसे काम शामिल हैं. यदि आश्रित परिवार कोई बिजनेस या स्टार्ट-अप शुरू करना चाहता है तो वित्तीय संस्थानों से मदद दिलाने में भी ये अधिकारी सहायता करेंगे.
इसके अलावा भारतीय क्रिकेटर गौतम गंभीर ने घोषणा की है कि हाल ही में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में माओवादी हमले में शहीद हुए 25 सीआरपीएफ जवानों के बच्चों की शिक्षा का खर्च उठायेंगे. शहीदों के परिवारों की सहायता के लिये आगे आये गंभीर ने ट्विटर पर कहा कि उनका फाउंडेशन शहीदों के बच्चों की शिक्षा का खर्च उठायेगा.
इस स्वैच्छिक पहल के तहत आईएएस एसोसिएशन ने फैसला किया है कि हर एक आईएएस अधिकारी सशस्त्र बलों (रक्षा, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और राज्य पुलिस) का हिस्सा किसी जवान के शहीद होने पर उसके परिवार की मदद के तहत करेगा. इसके तहत कम से कम 5-10 वर्षों तक वह पूरे परिवार की देखभाल का जिम्मा उठाएगा. यह अधिकारी जिस राज्य (कैडर) से संबंधित होगा, मोटे तौर पर उसी राज्य के श्हीद परिवार के देखभाल का जिम्मा उठाएगा. हालांकि इसके तहत उस अधिकारी को अपनी तरफ से सीधे तौर पर ऐसे परिवार को वित्तीय सहायता देने की जरूरत नहीं होगी बल्कि सरकार की मुआवजा नीति के तहत समयबद्ध ढंग से पैसे की उपलब्धता, ऐसे परिवारों के लिए सरकारी प्रयासों की निगरानी और उनको सहयोग का जिम्मा होगा ताकि ऐसे परिवार को अभिभावक की कमी नहीं खले और दुख की घड़ी में उनको देखभाल और संबल मिल सके.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस नई पहल के तहत शुरुआत में पिछले चार आईएएस बैच (2012-16) के 600-700 युवा अधिकारियों को अपनी पोस्टिंग वाले एरिया में से कम से कम एक शहीद परिवार की देखभाल का जिम्मा उठाने के लिए एसोसिएशन ने कहा है. ये अधिकारी शहीदों के परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर पेंशन, ग्रेज्युटी, सेवाओं का एलॉटमेंट मसलन पेट्रोल पंप, स्कूलों में बच्चों का दाखिला, युवाओं को सरकार के स्किल इंडिया या डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के तहत विशेष कौशल हासिल करने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करने में मदद करना जैसे काम शामिल हैं. यदि आश्रित परिवार कोई बिजनेस या स्टार्ट-अप शुरू करना चाहता है तो वित्तीय संस्थानों से मदद दिलाने में भी ये अधिकारी सहायता करेंगे.
इसके अलावा भारतीय क्रिकेटर गौतम गंभीर ने घोषणा की है कि हाल ही में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में माओवादी हमले में शहीद हुए 25 सीआरपीएफ जवानों के बच्चों की शिक्षा का खर्च उठायेंगे. शहीदों के परिवारों की सहायता के लिये आगे आये गंभीर ने ट्विटर पर कहा कि उनका फाउंडेशन शहीदों के बच्चों की शिक्षा का खर्च उठायेगा.
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