नई दिल्ली:
देश की सबसे प्रभावशाली भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में हर साल औसतन 18 अधिकारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले रहे हैं। पिछले 10 सालों के दौरान 181 आईएएस अधिकारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली है।
सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत यह जानकारी प्राप्त हुई है। एक आईएएस अधिकारी के प्रशिक्षण में सरकार के चार लाख रुपये खर्च होते हैं, लेकिन कुछ आईएएस अधिकारी बहुराष्ट्रीय एवं कंसल्टेंसी कंपनियों में अधिक वेतन और उच्च पद की चाहत में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले रहे हैं। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले ऐसे अधिकारियों में से कई बड़ी कंपनियों के साथ जुड़ जाते हैं।
कुछ समय पहले आईएएस अधिकारी एके खुराना के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद जेपीएसके स्पोर्ट्स से, जेपी आर्या के जेपी गंगा इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, एम संबाशिवा राव के हेरिटेज फूड लिमिटेड, विवेक कुलकर्णी के बी2के कॉरपोरेशन, पीसी साइरस के जीवन टेलीकॉम, बीएस पाटिल के सुप्राजीत इंजीनियरिंग लिमिटेड, के नीलक्षण के कंसल्टेंसी फर्म से जुड़ने की खबर आई थी।
इस विषय पर सीबीआई के पूर्व निदेशक आरके राघवन का कहना है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को आज किसी भी विषय पर स्वत: निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं रह गई है और वे विभिन्न राजनीतिक दबाव के बीच काम करने को बाध्य हैं। यह आईएसएस अधिकारियों के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने का सबसे प्रमुख कारण है। इसके अलावा निजी क्षेत्र में उच्च वेतन एवं शीर्ष पदों पर काम करने की चाहत भी इसका एक कारण है।
सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, मार्च 2002 से मार्च 2012 के बीच बिहार कैडर से 12, तमिलनाडु कैडर से 11, गुजरात कैडर से 15, आंध्र प्रदेश कैडर से नौ, कर्नाटक कैडर से 18, महाराष्ट्र कैडर से 18 अधिकारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ग्रहण की।
मध्य प्रदेश कैडर से 11, उत्तर प्रदेश से 12, उत्तराखंड कैडर से 7, पश्चिम बंगाल कैडर से 8, राजस्थान कैडर से 4, पंजाब से 3, छत्तीसगढ़ कैडर से 6, हिमाचल प्रदेश कैडर से 6, हरियाणा कैडर से 4, केरल कैडर से 6, जम्मू-कश्मीर कैडर से एक आईएसएस अधिकारी ने सेवानिवृत्ति ली। आरटीआई कार्यकर्ता गोपाल प्रसाद ने पिछले 10 वर्षों में भारतीय प्रशासनिक सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले अधिकारियों का ब्यौरा मांगा था।
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, 2007 में 320 आईएएस अधिकारियों के प्रशिक्षण पर 13,79,46,228 रुपये, 2008 में 294 अधिकारियों के प्रशिक्षण पर 11,24,52,931 रुपये और 2009 में 288 अधिकारियों के प्रशिक्षण पर 11,75,19,078 रुपये खर्च हुए थे।
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रति आईएएस अधिकारी के प्रशिक्षण कार्य पर 2007 में 4,31,082 रुपये, 2008 में 3,82,493 रुपये और 2009 में 4,08,052 रुपये खर्च आया। पिछले 10 वर्षों में प्रति वर्ष औसतन 18 आईएसएस अधिकारियों ने सेवानिवृत्ति ली है। शुक्रवार को महाराष्ट्र में 27 आईएएस अधिकारियों के कथित तौर पर राजनीतिक दबाव में काम करने की वजह से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए अर्जी देने की खबर आई है। हालांकि इस विषय में पूछे जाने पर राज्य के मुख्यमंत्री कुछ भी कहने से बचते नजर आए।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय लोक सेवा में मंजूर पदों की संख्या 6,154 है और इनमें से 1,777 पद रिक्त हैं। उत्तर प्रदेश में 216, बिहार में 128, मध्य प्रदेश में 118, राजस्थान में 112, झारखंड में 100, आंध्र प्रदेश में 92, पश्चिम बंगाल में 87, कर्नाटक में 80, महाराष्ट्र में 55 और छत्तीसगढ़ में 54 पद रिक्त हैं।
सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत यह जानकारी प्राप्त हुई है। एक आईएएस अधिकारी के प्रशिक्षण में सरकार के चार लाख रुपये खर्च होते हैं, लेकिन कुछ आईएएस अधिकारी बहुराष्ट्रीय एवं कंसल्टेंसी कंपनियों में अधिक वेतन और उच्च पद की चाहत में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले रहे हैं। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले ऐसे अधिकारियों में से कई बड़ी कंपनियों के साथ जुड़ जाते हैं।
कुछ समय पहले आईएएस अधिकारी एके खुराना के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद जेपीएसके स्पोर्ट्स से, जेपी आर्या के जेपी गंगा इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, एम संबाशिवा राव के हेरिटेज फूड लिमिटेड, विवेक कुलकर्णी के बी2के कॉरपोरेशन, पीसी साइरस के जीवन टेलीकॉम, बीएस पाटिल के सुप्राजीत इंजीनियरिंग लिमिटेड, के नीलक्षण के कंसल्टेंसी फर्म से जुड़ने की खबर आई थी।
इस विषय पर सीबीआई के पूर्व निदेशक आरके राघवन का कहना है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को आज किसी भी विषय पर स्वत: निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं रह गई है और वे विभिन्न राजनीतिक दबाव के बीच काम करने को बाध्य हैं। यह आईएसएस अधिकारियों के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने का सबसे प्रमुख कारण है। इसके अलावा निजी क्षेत्र में उच्च वेतन एवं शीर्ष पदों पर काम करने की चाहत भी इसका एक कारण है।
सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, मार्च 2002 से मार्च 2012 के बीच बिहार कैडर से 12, तमिलनाडु कैडर से 11, गुजरात कैडर से 15, आंध्र प्रदेश कैडर से नौ, कर्नाटक कैडर से 18, महाराष्ट्र कैडर से 18 अधिकारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ग्रहण की।
मध्य प्रदेश कैडर से 11, उत्तर प्रदेश से 12, उत्तराखंड कैडर से 7, पश्चिम बंगाल कैडर से 8, राजस्थान कैडर से 4, पंजाब से 3, छत्तीसगढ़ कैडर से 6, हिमाचल प्रदेश कैडर से 6, हरियाणा कैडर से 4, केरल कैडर से 6, जम्मू-कश्मीर कैडर से एक आईएसएस अधिकारी ने सेवानिवृत्ति ली। आरटीआई कार्यकर्ता गोपाल प्रसाद ने पिछले 10 वर्षों में भारतीय प्रशासनिक सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले अधिकारियों का ब्यौरा मांगा था।
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, 2007 में 320 आईएएस अधिकारियों के प्रशिक्षण पर 13,79,46,228 रुपये, 2008 में 294 अधिकारियों के प्रशिक्षण पर 11,24,52,931 रुपये और 2009 में 288 अधिकारियों के प्रशिक्षण पर 11,75,19,078 रुपये खर्च हुए थे।
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रति आईएएस अधिकारी के प्रशिक्षण कार्य पर 2007 में 4,31,082 रुपये, 2008 में 3,82,493 रुपये और 2009 में 4,08,052 रुपये खर्च आया। पिछले 10 वर्षों में प्रति वर्ष औसतन 18 आईएसएस अधिकारियों ने सेवानिवृत्ति ली है। शुक्रवार को महाराष्ट्र में 27 आईएएस अधिकारियों के कथित तौर पर राजनीतिक दबाव में काम करने की वजह से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए अर्जी देने की खबर आई है। हालांकि इस विषय में पूछे जाने पर राज्य के मुख्यमंत्री कुछ भी कहने से बचते नजर आए।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय लोक सेवा में मंजूर पदों की संख्या 6,154 है और इनमें से 1,777 पद रिक्त हैं। उत्तर प्रदेश में 216, बिहार में 128, मध्य प्रदेश में 118, राजस्थान में 112, झारखंड में 100, आंध्र प्रदेश में 92, पश्चिम बंगाल में 87, कर्नाटक में 80, महाराष्ट्र में 55 और छत्तीसगढ़ में 54 पद रिक्त हैं।
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