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This Article is From Jan 25, 2022

केंद्र के पास अधिकारी नहीं होंगे तो पॉलिसी कैसे बनेगी...सरकार कैसे चलेगी : I&B सेक्रेटरी अपूर्व चंद्रा

अपूर्व चंद्रा ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन में सेंट्रल रिजर्व केंद्र और राज्य सरकार मिलकर आपस में तय करेंगे कि कितना रिजर्व है. कभी राज्य में भी अधिकारी कम होते हैं तो हो सकता है कि केंद्र सरकार भी 40% से कम अधिकारी ले.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव अप्रूव चंद्रा ने एनडीटीवी से खास बातचीत की

नई दिल्ली:

आईएएस कैडर नियमों में बदलाव को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव अप्रूव चंद्रा (Apurva Chandra) ने एनडीटीवी से खास बातचीत की.  उन्होंने कहा कि IAS कैडर सर्विस रूल्स 6(1) संशोधन की जरूरत है, क्योंकि फेडरल स्ट्रक्चर में सरकार चलाई जाती है. केंद्र और राज्य दोनों ही सरकार चलाना ज़रूरी है. केंद्र सरकार के पास अधिकारी नहीं होंगे तो केंद्र सरकार कैसे चलेगी?  हमारे फेडरल स्ट्रक्चर में है कि IAS, IPS 40% केंद्र में और बाकी राज्य शासन में काम करेंगे, लेकिन अभी का हाल है कि 40% की जगह 18% ही केंद्र के पास रह गए हैं. पिछले 7-8 साल में 25% से घटकर 18% रह गए हैं. हमारी भी केंद्र में कई जिम्मेदारियां हैं तो ऐसे में काम करने के लिए अधिकारियों का होना केंद्र में भी जरूरी. प्रस्तावित संशोधन में सेंट्रल रिजर्व केंद्र और राज्य सरकार मिलकर आपस में तय करेंगे कि कितना रिजर्व है. कभी राज्य में भी अधिकारी कम होते हैं तो हो सकता है कि केंद्र सरकार भी 40% से कम अधिकारी ले. एक बार तय हो जाए तो राज्य सरकार को हिदायत दी जाएगी कि वो अधिकारी आप उपलब्ध करें.

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उन्होंने आगे कहा कि जब मैं तीसरी बार केंद्र में 1999 में आया था तो यहां केंद्र में डिप्टी सेक्रेटरी के लिए भी बहुत कंपटीशन था. मैं महाराष्ट्र कैडर का हूं. वहां जो CR होता है वहां हर किसी को वैरी गुड देते हैं, आउटस्टेंडिंग नहीं देते. वहीं कुछ राज्यों में आउटस्टेंडिंग दी जाती है. जब मैं आया तो वैरी गुड था तो डिप्टी सेक्रेटरी आने में भी काफी वक्त लगा.2009 में केंद्र में ज्वाइंट सेक्रेटरी के तौर पर आया, वो भी बहुत मुश्किल था. आज की परिस्थिति में 6 से 8 महीने पहले जब लेबर सेक्रेटरी था तो कहा गया कि आपको एक डिप्टी सेक्रेटरी आईएएस मिलने वाला है तो मैं आश्चर्य में आ गया, क्योंकि कई सालों से मैंने डिप्टी सेक्रेटरी IAS  देखा ही नहीं था. अब परिस्थिति ऐसी है कि न डिप्टी और न ही ज्वाइंट सेक्रेटरी मिलते हैं. 

बता दूं कि जब हम यंगर ऑफिसर थे तो केंद्र सरकार में काम करना गौरव की बात समझी जाती थी और वहीं आज केंद्र सरकार हमें बुला ले या फिर हमें बुलाया जाता तो हम बहुत खुश होते हैं. अगर राज्य सरकार संघीय ढांचे पर खतरा कह रही हैं तो खतरा तो ये भी है कि केंद्र के पास अधिकारी न रहें. ड्राफ्ट रूल्स पर राज्यों से कमेंट्स मंगाए गए हैं और आज तक की तारीख है. कमेंट्स आएंगे उस पर विचार किया जाएगा. फील्ड से लोग आते हैं, जो केंद्र में पॉलिसी बनाने में लाभ देते हैं. फील्ड में काम किए गए अधिकारियों के दम पर भी अच्छी पॉलिसी बन पाती है, क्योंकि उनको फील्ड की स्थिति की जानकारी होती है. ये ढांचा अगर जर्जर हो जाएगा तो काम कैसे चलेगा?

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