'मणिपुर की बीजेपी सरकार, राज्य में अनुकूल कानून और व्यवस्था का माहौल बनाने की दिशा में काम करती रहेगा ताकि वह केंद्र सरकार को AFSPA (आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट) हटाने के लिए प्रेरित कर सके. ' राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने NDTV से चर्चा के दौरान यह बात कही. गौरतलब है कि AFSPA, सशस्त्र बलों को व्यापक अधिकार प्रदान करता है. पिछले वर्ष दिसंबर मेंसशस्त्र बलों के आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन में 'गलत पहचान' के कारण कुछ लोगों के मारे जाने के बाद मणिपुर का पड़ोसी राज्य नगालैंड पहले से ही सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम यानी AFSPA को हटाने की कोशिश कर रहा है. पिछले साल दिसंबर में हुई इस घटना में एक सैनिक सहित 14 लोगों की मौत हुई थी. घटना म्यांमार की सीमा से लगे नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग गांव में हुई थी.
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बीरेन सिंह ने कहा, 'AFSPA पूर्वोत्तर में चिंता का विषय है और मणिपुर में इम्फाल म्युनिसिपल कांउिसल के सात खंडों से इसे हटा दिया था लेकिन पूववर्ती कांग्रेस सरकार AFSPA को पूरी तरह खत्म नहीं कर सकी. वह (कांग्रेस) ग्रेटर इम्फाल क्षेत्रों से भी इसे हटा सकते थे लेकिन वे जमीनी हकीकत से वाफिक हैं...मणिपुर में अभी भी कुछ परेशानियां हैं.' गौरतलब है कि नगालैंड की घटना के बाद AFSPA को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं, यह कानून अभी भी पूर्वोत्तर के हिस्सों में लागू है. मणिपुर की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस पहले ही कह चुकी है कि यदि वह इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में राज्य में सत्ता में आई तो पहली कैबिनेट मीटिंग में ही AFSPA को वापस लेने का प्रस्ताव पारित करेगी.
सिंह ने कहा, 'मैं स्वयं AFSPA के खिलाफ लेकिन राज्य के जिम्मेदार प्रमुख के तौर पर मुझे राष्ट्रीय सुरक्षा को भी देखना है. ' नगालैंड की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नगालैंड के उनके समकक्ष AFSPA को हटाना चाहते थे लेकिन केंद्र ने इसे फिर लागू कर दिया. म्यांमार की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, 'मैं राज्य में कानून व्यवस्था का अच्छा माहौल देने की कोशिश कर रहा हूं और हमें पड़ोसी देश (आशय म्यांमार से) की स्थिति को भी देखना होगा.' गौरतलब है कि मणिपुर में विधानसभा चुनाव के लिए दो चरणों में 27 फरवरी और तीन मार्च को वोटिंग होगी. वोटों की गिनती और नतीजे 10 मार्च को आएंगे.
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