जयपुर:
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह शुक्रवार और शनिवार को देश की पश्चिमी सरहद का दौरा करेंगे. वह जैसलमेर में बॉर्डर स्टेट्स जम्मू और कश्मीर, पंजाब, गुजरात, राजस्थान के मुख्यमंत्रियों और बीएसएफ के साथ बैठक भी करेंगे.
भारत-पाकिस्तान की पश्चिमी सरहद पर भी सीमा सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर है. यहां के तारकरीबन 200 गांवों को फिलहाल खाली करने के आदेश नहीं दिए गए है क्योंकि यहां रेतीली टिब्बों के पास गांव पाकिस्तान की सीमा से करीब 20-25 किलोमीटर दूर बसे हुए हैं.
पश्चिमी सीमा आर्टिलरी और मोर्टार फायर का शिकार नहीं होती है. लेकिन इस बॉर्डर पर जासूसी और तस्करी की गतिविधियों की वजह से सुरक्षा बल अलर्ट पर रहते हैं क्योंकि यहां से नारकोटिक्स के साथ-साथ विस्फोटकों की तस्करी का भी अंदेशा रहता है, जिसे देश में आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किये जाने का खतरा रहता है. यहां की करीब 1048 किलोमीटर लंबी रेतीली सरहद पर नज़र रखना कोई आसान काम नहीं है.
पश्चिमी सीमा पर घुसपैठ की कोशिशें कम रहती हैं क्योंकि यहां पर मीलों तक पाकिस्तान की सीमा BSF की नज़र में रहती है. लेकिन 1971 के युद्ध में ऐसा नहीं था. पश्चिमी सरहद में घुसपैठ करते हुए पाकिस्तानी सेना यहां काफी अंदर तक आ गाई थी. तनोट गांव में भारी बमबारी हुई थी. आज भी यहां के बुज़ुर्ग '71 और 1965 का युद्ध याद करते हैं.
तनोट निवासी आडू राम ने बताया, "मकान जैसे थे वैसे छोड़ गए थे, किसी ने ताला लगाया, किसी ने नहीं. 4 बजे हमला हुआ. पशु यहां रह गए, बहुत साल बर्बाद हुए थे हमारे, मैया ने लाज रखी." गांव के लोग आज भी मानते हैं कि यहां तनोट माता का जो मंदिर है उससे उनकी जानें बचीं. 1971 के युद्ध में कई बम मंदिर परिसर में गिरे लेकिन एक भी बम नहीं फटा.
अब सरहद पर तनाव ज़रूर है लेकिन पश्चिमी सीमा पर गांव खाली करने के आदेश नहीं दिए गए हैं. लेकिन सीमा पर सुरक्षा कैसे चौकस रखी जाये इसको लेकर नेतृत्व चिंतित है. गृह मंत्री इन्हीं मुद्दों पर पश्चिमी सरहद पर शुक्रवार को एक अहम बैठक करने जा रहे हैं.
भारत-पाकिस्तान की पश्चिमी सरहद पर भी सीमा सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर है. यहां के तारकरीबन 200 गांवों को फिलहाल खाली करने के आदेश नहीं दिए गए है क्योंकि यहां रेतीली टिब्बों के पास गांव पाकिस्तान की सीमा से करीब 20-25 किलोमीटर दूर बसे हुए हैं.
पश्चिमी सीमा आर्टिलरी और मोर्टार फायर का शिकार नहीं होती है. लेकिन इस बॉर्डर पर जासूसी और तस्करी की गतिविधियों की वजह से सुरक्षा बल अलर्ट पर रहते हैं क्योंकि यहां से नारकोटिक्स के साथ-साथ विस्फोटकों की तस्करी का भी अंदेशा रहता है, जिसे देश में आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किये जाने का खतरा रहता है. यहां की करीब 1048 किलोमीटर लंबी रेतीली सरहद पर नज़र रखना कोई आसान काम नहीं है.
पश्चिमी सीमा पर घुसपैठ की कोशिशें कम रहती हैं क्योंकि यहां पर मीलों तक पाकिस्तान की सीमा BSF की नज़र में रहती है. लेकिन 1971 के युद्ध में ऐसा नहीं था. पश्चिमी सरहद में घुसपैठ करते हुए पाकिस्तानी सेना यहां काफी अंदर तक आ गाई थी. तनोट गांव में भारी बमबारी हुई थी. आज भी यहां के बुज़ुर्ग '71 और 1965 का युद्ध याद करते हैं.
तनोट निवासी आडू राम ने बताया, "मकान जैसे थे वैसे छोड़ गए थे, किसी ने ताला लगाया, किसी ने नहीं. 4 बजे हमला हुआ. पशु यहां रह गए, बहुत साल बर्बाद हुए थे हमारे, मैया ने लाज रखी." गांव के लोग आज भी मानते हैं कि यहां तनोट माता का जो मंदिर है उससे उनकी जानें बचीं. 1971 के युद्ध में कई बम मंदिर परिसर में गिरे लेकिन एक भी बम नहीं फटा.
अब सरहद पर तनाव ज़रूर है लेकिन पश्चिमी सीमा पर गांव खाली करने के आदेश नहीं दिए गए हैं. लेकिन सीमा पर सुरक्षा कैसे चौकस रखी जाये इसको लेकर नेतृत्व चिंतित है. गृह मंत्री इन्हीं मुद्दों पर पश्चिमी सरहद पर शुक्रवार को एक अहम बैठक करने जा रहे हैं.
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