
देश में पहले लोकपाल की नियुक्ति की प्रक्रिया के लिए लोकपाल खोज समिति के अध्यक्ष जस्टिस केटी थॉमस ने अपना पद त्याग दिया है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में समिति के प्रमुख ने कहा है कि यह समिति पूरी आजादी के साथ ऐसे आदमी का चयन नहीं कर सकती जो सबसे उपयुक्त हो, बल्कि केंद्र सरकार द्वारा सुझाए गए नामों पर ही इस समिति को विचार करना होगा।
इसी के साथ जस्टिस थॉमस ने कहा कि आखिर ऐसी समिति की जरूरत ही क्या है जब समिति द्वारा सुझाए गए नाम को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति वीटो कर सकती है।
पिछले हफ्ते प्रख्यात न्यायविद फली एस नरीमन द्वारा लोकपाल खोज समिति का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने कहा था कि भ्रष्टाचार निरोधक संस्था लोकपाल के अध्यक्ष एवं सदस्यों के चयन की खातिर उपयुक्त लोगों के नाम सुझाने के लिए एक खोज समिति गठित करने में सभी प्रक्रिया का पालन किया गया।
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने कहा, मैं इसे बहुत स्पष्ट करना चाहूंगा। पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई। इस प्रक्रिया का पालन उचित तरीके से किया गया। जहां तक खोज समिति के सदस्यों के चयन का मामला है, फली नरीमन उन न्यायविदों में से हैं जिनके नाम पर विचार किया गया...यह तो व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह प्रस्ताव को स्वीकार करे या स्वीकार न करे। सरकार को लिखे गए पत्र में नरीमन ने आठ सदस्यीय खोज समिति का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि चयन की पूरी प्रक्रिया में खामियां हैं।
खोज समिति का काम लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्य पद के लिए योग्य लोगों के नाम सुझाना है। खोज समिति जो नाम सुझाएगी उन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली चयन समिति विचार करेगी।
अन्य सदस्यों के सुझाव के आधार पर नरीमन के नाम पर विचार की बात बताते हुए मंत्री ने कहा, उनके पत्र को पढ़े बगैर मैं उस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, सवाल उनसे संपर्क करने का नहीं है क्योंकि गठित की गयी समिति में कुछ नाम थे और उसके बाद हम लोगों को लगा वह (नरीमन) समिति का हिस्सा बन सकते हैं। लिहाजा, उनके नाम पर विचार किया गया..।
नारायणसामी ने कहा, इसका मतलब यह नहीं कि प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। हम इसे मुद्दा नहीं बना सकते। आठ सदस्यों में से कुछ ने अपनी सहमति दे दी है। हमारे विभाग को उनकी सहमति मिल चुकी है। हम अगली प्रक्रिया पर काम करेंगे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली चयन समिति में लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष, भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित उच्चतम न्यायालय का कोई एक न्यायाधीश और राष्ट्रपति या किसी अन्य सदस्य द्वारा नामित एक वरिष्ठ न्यायविद सदस्य के तौर पर शामिल होते हैं।
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