इलाहाबाद हाई कोर्ट का फाइल फोटो
इलाहाबाद:
उत्तर प्रदेश में अवैध खनन की खराब स्थिति के मद्देनजर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को सीबीआई को समूचे राज्य में मामले की जांच का निर्देश दिया और छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा। जांच के दायरे में सरकारी अधिकारियों की भूमिका को भी शामिल करने को कहा गया है।
यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वी के शुक्ला और न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी की पीठ ने विजय कुमार द्विवेदी और कुछ अन्य की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर दिया। उन्होंने दावा किया था कि कई पट्टाधारकों के खनन पट्टे को संबद्ध अधिकारियों ने 31 मई 2012 को समाप्त होने के बाद अवैध तरीके से बढ़ा दिया।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख आठ सितंबर को निर्धारित कर दी। अदालत ने हलफनामे में राज्य के प्रधान सचिव (खनन) द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि उनकी यह दलील कि राज्य में अवैध खनन गतिविधियों की जांच के लिए समिति गठित की गई है, वह आंख में धूल झोंकना है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वी के शुक्ला और न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी की पीठ ने विजय कुमार द्विवेदी और कुछ अन्य की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर दिया। उन्होंने दावा किया था कि कई पट्टाधारकों के खनन पट्टे को संबद्ध अधिकारियों ने 31 मई 2012 को समाप्त होने के बाद अवैध तरीके से बढ़ा दिया।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख आठ सितंबर को निर्धारित कर दी। अदालत ने हलफनामे में राज्य के प्रधान सचिव (खनन) द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि उनकी यह दलील कि राज्य में अवैध खनन गतिविधियों की जांच के लिए समिति गठित की गई है, वह आंख में धूल झोंकना है।
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