विज्ञापन
This Article is From Apr 17, 2018

मोदी सरकार के कार्यकाल में VIP नेताओं के हेट स्पीच में करीब 500% का इजाफा

एनडीटीवी का मकसद सिर्फ ऐसे  भाषणों के बारे में आपको बताना है. गौरतलब है कि देश में इससे पहले भी इस तरह के भाषणों का इस्तेमाल होता रहा है लेकिन बीते चार सालों में ऐसे भाषणों की संख्या में खासी बढ़ोतरी हुई है. 

मोदी सरकार के कार्यकाल में VIP नेताओं के हेट स्पीच में करीब 500% का इजाफा
प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली: मोदी सरकार के बीते चार वर्षों के कार्यकाल में वरिष्ठ नेताओं द्वारा भड़काऊ भाषणों की संख्या में करीब 500 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. एनडीटीवी द्वारा ऐसे आंकड़ों की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है. एनडीटीवी की पड़ताल में पता चला है कि ऐसा कोई दिन या सप्ताह नहीं बीता है जब किसी वरिष्ठ नेता ने भड़काऊ भाषण नहीं दिया हो. ऐसा भाषण देने वालों में सांसद, मंत्री, विधायक और यहां तक की सूबे के मुख्यमंत्री तक शामिल हैं. इस तरह के भाषणों में खासतौर पर किसी धर्म विशेष के खिलाफ और हिंसा भड़काने वाले शब्दों का इस्तेमाल किया गया है. नेताओं द्वारा सोशल मीडिया के इस्तेमाल की वजह से इस तरह के भाषणों को दायरा और बढ़ गया है. एनडीटीवी का मकसद सिर्फ ऐसे  भाषणों के बारे में आपको बताना है. गौरतलब है कि देश में इससे पहले भी इस तरह के भाषणों का इस्तेमाल होता रहा है लेकिन बीते चार सालों में ऐसे भाषणों की संख्या में खासी बढ़ोतरी हुई है. 

यह भी पढ़ें: पूर्व नौकरशाहों ने पीएम मोदी को लिखा खुला खत, 'सरकार मूल ज़िम्मेदारियों को पूरा करने में भी नाकाम'

इस तरह के भाषणों को अलग करने के लिए हमनें सामान्य प्रक्रिया का अनुसरण किया है. हमनें उन्हीं भाषण को इस श्रेणी में रखा है जिनमें खास तौर पर किसी समुदाय, जाति के खिलाफ शब्दों का इस्तेमाल, या हिंसा भड़काने वाले शब्दों का चयन किया गया है. इस तरह का भाषण आईपीसी की धाराओं के तहत गैर-कानूनी माना जाता है. हमनें टिप्पणियों को भी शामिल किया है जो सीधे तौर पर सांप्रदायिक नहीं लगती हैं लेकिन उससे कहीं न कहीं सांप्रदायिक भावनाएं आहत होती हैं. हमनें इन भाषणों में महिलाओं के खिलाफ दिए गए निम्न स्तरीय भाषणों को शामिल नहीं किया है. एनडीटीवी ने अपनी पड़ताल के दौरान वर्ष 2009 से 14 और 2014 से अब तक का डेटा लिया है.

यह भी पढ़ें: राबड़ी देवी ने सीएम नीतीश को पत्र लिख सुरक्षा कटौती पर मांगी सफाई

इन दो समय के बीच दिए गए ऐसे भाषणों के आधार पर ही यह डेटा तैयार किया गया है. इस दौरान हमनें इंटरनेट से लेकर सार्वजनिक रिकॉर्ड भी जांचे. साथ ही इस समय काल के दौरान के 1300 से ज्यादा आर्टिकल को खंगाला गया है. एनडीटीवी को अपनी पड़ताल के दौरान कुछ भड़काऊ भाषण भी मिले. इनमें खास तौर पर 2015 में योगी आदित्यनाथ द्वारा दिया गया वह भाषण है. उस दौरान वह सांसद थे. योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि 'शाहरुख खान और हाफिज सईद की भाषा में कोई फर्क नहीं है'.

VIDEO: रामविलास पासवान ने की न्यायपालिका में आरक्षण देने की मांग की.


इसी तरह मार्च 2016 में बीजेपी के कर्नाटक से सांसद अनंत कुमार हेगड़े ने अपने एक भाषण में कहा था कि 'जब तक विश्व में इस्लाम है तब तक आतंकवाद खत्म नहीं हो सकता. अगर आप इस्लाम खत्म नहीं कर सकते तो और आंतकवाद पर भी काबू नहीं पा पाएंगे'. 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com