Covid-19 से जंग जीतने वाला यह परिवार इस तरह कर रहा है दूसरों की मदद...

हरियाणा के फरीदाबाद का नागपाल परिवार कोरोनावायरस की जंग में साहस का एक नया उदाहरण बनकर सामने आया है.

Covid-19 से जंग जीतने वाला यह परिवार इस तरह कर रहा है दूसरों की मदद...

फरीदाबाद के नागपाल परिवार में लगभग हर सदस्य कोरोना को हरा चुका है.

खास बातें

  • फरीदाबाद का नागपाल परिवार बना मिसाल
  • प्लाज़्मा डोनेट कर बचा रहे दूसरों की जान
  • परिवार का हर सदस्य हो चुका है कोरोना से संक्रमित
नई दिल्ली:

हरियाणा के फरीदाबाद का नागपाल परिवार कोरोनावायरस की जंग में साहस का एक नया उदाहरण बनकर सामने आया है. इस परिवार में हर कोई कोरोनावायरस से संक्रमित हो चुका है, वहीं इस वायरस ने उनके परिवार में दो बुजुर्गों की जान भी ले ली है, लेकिन वायरस को हराने वाला यह परिवार अब कोविड-19 के खिलाफ मैदान में उतरकर दूसरे लोगों की मदद कर रहा है. इस परिवार के सदस्य अब प्लाज़्मा डोनेट कर रहे हैं ताकि दूसरों को मदद मिल पाए. बता दें कि जून के पहले हफ्ते में परिवार के छह के छह सदस्य वायरस से संक्रमित हो गए थे. यहां तक कि पांच दिनों के भीतर ही उनके परिवार के अभिभावक 84 साल के पृथ्वीराज नागपाल और फिर उनकी पत्नी, 78 साल की कौशल की इस वायरस से जान चली गई. 

उनके परिवार में पति-पत्नी के बेटे 54 साल के सुभाष और 51 साल के गजेन्द्र अपने माता-पिता का अंतिम संस्कार भी नहीं कर पाए, क्योंकि वो खुद वायरस से संक्रमित थे. लेकिन इतना बड़ा दुख झेलने के बाद अब यह परिवार दूसरों की जान बचाने में जुटा हुआ है.

सुभाष नागपाल ने बुधवार को अपने जन्मदिन के मौके पर दिल्ली के वसंत कुंज के Institute of Liver and Biliary Sciences (ILBS) में प्लाज़्मा डोनेट किया. उन्होंने NDTV से बातचीत में कहा, 'यह पूरी तरह संयोग है कि मैंने कोविड-19 से 14 दिनों की रिकवरी अपने जन्मदिन वाले दिन पूरी की है. मैं अपनी मां को तो नहीं बचा पाया, लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि मैं किसी और की मां की जान बचा पाऊं. मेरे जन्मदिन के मौके पर मेरे और मेरे मां-पिता के लिए इससे अच्छी कोई बात नहीं हो सकती. मैं समझता हूं कि प्लाज़्मा डोनर मिलने में कितनी मुश्किल होती है. हम मेरी मां के लिए AB ब्लड ग्रुप का प्लाज़्मा पाने के लिए तीन दिनों तक भटकते रहे. डॉक्टरों ने बताया था कि बस 10 फीसदी लोग ही इस ब्लड ग्रुप के होते हैं. चूंकि, मेरा ब्लड ग्रुप भी यही है, ऐसे में मैंने सोचा कि मुझे जरूर डोनेट करना चाहिए. ये मेरे माता-पिता को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.'

उन्होंने बताया कि उनके पिता का निधन 9 जून को हुआ था, उस वक्त उनकी मां एक अस्पताल के कोविड वॉर्ड में थीं. परिवार ने उनको उनके पति के निधन की जानकारी नहीं दी, क्योंकि उनकी हालत और खराब होने का डर था. लेकिन वो खुद इसके पांच दिनों बाद गुज़र गईं. 

नागपाल परिवार में बस सुभाष नागपाल की भाभी सोनिया नागपाल ही वायरस से बची रहीं और सबका खयाल रखती रहीं. सुभाष नागपाल ने बताया कि वो अगले 14 दिनों के बाद फिर से प्लाज़्मा डोनेट करने जाएंगे. उनके साथ उनके 21 साल के भतीजे सहित वायरस को हरा चुके तीन और लोग भी प्लाज़्मा डोनेट करेंगे. 

उनके भतीजे अभिजीत ने NDTV से बातचीत में कहा, 'हमारे परिवार ने मुश्किल वक्त देखा है. मुझे अपने चाचा से प्रेरणा मिली. दूसरों के लिए मेरा यही मैसेज है कि जिम्मेदार बनें. अगर आप कोविड के मरीज हैं तो बाहर मत जाइए, सभी जरूरी सावधानियां बरतिए. जो लोग ठीक हो चुके हैं, प्लीज़ वो प्लाज़्मा डोनेट करें क्योंकि बहुत से लोगों को इसकी जरूरत है. कोविड-19 के खिलाफ जंग में एकजुट होकर ही इसे हराया जा सकता है.'

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