ग्वालियर:
ग्वालियर की एक स्थानीय अदालत ने अपहरण के बाद एक बच्ची से एक सप्ताह तक दुष्कर्म करने वाले व्यक्ति को मरने तक जेल में रहने की सजा सुनाई है।
प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश लक्ष्मी शर्मा ने आरोपी को 11 साल की बालिका के अपहरण और जान से मारने की धमकी देकर एक सप्ताह तक दुष्कर्म करने का दोषी करार देते हुए यह सजा सुनाई। न्यायाधीश ने फैसले में लिखा कि दोषी का शेष जीवन कारावास में बीते अर्थात मौत होने तक अपराधी जेल में रहे।
गौरतलब है कि दिल्ली में चलती बस में सामूहिक बलात्कार की शिकार लड़की की मौत के बाद गठित समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति जेएस वर्मा ने दुष्कर्म के दोषी को मृत्यु तक जेल में रखने की सिफारिश की थी।
अभियोजन के अनुसार, 20 जून 2012 को शिवपुरी के रन्नौद के रामपुरा निवासी रामकिशन (40) लड़की के पिता के मामा को खोजता उनके घर आया था, लेकिन संबंधित के नहीं मिलने पर वह उनके घर ही रुक गया। अगले दिन वह लड़की को कपड़े दिलाने के बहाने ले गया और जंगल में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद वह उसे ट्रेन से राजस्थान के बारा लेकर पहुंचा। वहां जाकर भी उसने उसके साथ दुष्कर्म किया।
रामकिशन यहां से लड़की को राधापुरा गांव ले आया और वहां भी दुष्कर्म किया। इसके बाद लड़की को एक खेत में छोड़कर फरार हो गया। खेत में बनी झोपड़ी में रह रही एक वृद्ध महिला को लड़की ने आपबीती सुनाई। उस महिला की मदद से वह अपने घर पहुंची।
लड़की के पिता ने मोहना थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि किसी महिला की निजता का उल्लंघन अथवा उस पर ऐसा हमला जो उसके मस्तिष्क पर धब्बा या टीस छोड़ जाए, उसके लिए जिंदगीभर मृत्युकारी कष्ट के समान होता है। इसलिए दुष्कृत्य करने वाले अपराधियों के साथ सहानुभूति दिखाना न तो न्याय के उद्देश्य की पूर्ति करेगा और न ही समाज के लिए हितकारी होगा।
न्यायाधीश ने कहा कि इस तरह के अपराध समाज की नैतिकता को भी प्रभावित करते हैं, इसलिए इस प्रकार के मामलों में कठोर दंड ही दिया जाना चाहिए।
प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश लक्ष्मी शर्मा ने आरोपी को 11 साल की बालिका के अपहरण और जान से मारने की धमकी देकर एक सप्ताह तक दुष्कर्म करने का दोषी करार देते हुए यह सजा सुनाई। न्यायाधीश ने फैसले में लिखा कि दोषी का शेष जीवन कारावास में बीते अर्थात मौत होने तक अपराधी जेल में रहे।
गौरतलब है कि दिल्ली में चलती बस में सामूहिक बलात्कार की शिकार लड़की की मौत के बाद गठित समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति जेएस वर्मा ने दुष्कर्म के दोषी को मृत्यु तक जेल में रखने की सिफारिश की थी।
अभियोजन के अनुसार, 20 जून 2012 को शिवपुरी के रन्नौद के रामपुरा निवासी रामकिशन (40) लड़की के पिता के मामा को खोजता उनके घर आया था, लेकिन संबंधित के नहीं मिलने पर वह उनके घर ही रुक गया। अगले दिन वह लड़की को कपड़े दिलाने के बहाने ले गया और जंगल में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद वह उसे ट्रेन से राजस्थान के बारा लेकर पहुंचा। वहां जाकर भी उसने उसके साथ दुष्कर्म किया।
रामकिशन यहां से लड़की को राधापुरा गांव ले आया और वहां भी दुष्कर्म किया। इसके बाद लड़की को एक खेत में छोड़कर फरार हो गया। खेत में बनी झोपड़ी में रह रही एक वृद्ध महिला को लड़की ने आपबीती सुनाई। उस महिला की मदद से वह अपने घर पहुंची।
लड़की के पिता ने मोहना थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि किसी महिला की निजता का उल्लंघन अथवा उस पर ऐसा हमला जो उसके मस्तिष्क पर धब्बा या टीस छोड़ जाए, उसके लिए जिंदगीभर मृत्युकारी कष्ट के समान होता है। इसलिए दुष्कृत्य करने वाले अपराधियों के साथ सहानुभूति दिखाना न तो न्याय के उद्देश्य की पूर्ति करेगा और न ही समाज के लिए हितकारी होगा।
न्यायाधीश ने कहा कि इस तरह के अपराध समाज की नैतिकता को भी प्रभावित करते हैं, इसलिए इस प्रकार के मामलों में कठोर दंड ही दिया जाना चाहिए।
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