कोरोना के टेस्ट के मामले में सरकार बड़ा यूटर्न लेते हुए दिख रही है. केंद्र सरकार कोरोना की जांच के सबसे भरोसेमंद टेस्ट आरटीपीसीआर (RTPCR tests) का कुल जांच में हिस्सा 70 से घटाकर 40 फीसदी पर लाने की तैयारी कर रही है. जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने स्वयं कहा था कि कुल जांच में से 70 फीसदी कम से कम आरटीपीसीआर टेस्ट होने चाहिए. सरकार अब 60 फीसदी टेस्ट एंटीजन पर निर्भर करेगी. सरकार जून के अंत तक रोजाना जांच की क्षमता को बढ़ाकर 45 लाख करने वाली है.
यह ऐलान पीएम मोदी की राज्यों को सलाह के करीब दो माह बाद हुआ है, जिसमें उन्होंने राज्यों से कुल कोरोना जांच में से 70 फीसदी आरटीपीसीआर कराने को कहा था. पीएम (PM Modi ) ने कहा था कि अगर पॉजिटिव मरीजों की संख्या ज्यादा रहती है तो कोई दबाव नहीं है. सरकार ने आरटीपीसीार की जांच क्षमता को भी पिछले हफ्ते के 16 लाख से घटाकर 12-13 लाख प्रतिदिन से कर दिया है. पिछले हफ्ते सरकार कह रही थी कि रोजाना आरटीपीसीआर टेस्ट करने की उसकी क्षमता 16 लाख है, लेकिन अब वो 12-13 लाख का आंकड़ा दे रही है.
केंद्र सरकार ने जून के अंत तक आरटीपीसीआर टेस्ट की संख्या 18 लाख तक पहुंचाने का इरादा जताया है, लेकिन कुल 45 लाख जांच में यह महज 40 फीसदी ही होगा. उसने RT-PCR को गोल्ड स्टैंडर्ड टेस्ट की जगह सिर्फ स्टैंडर्ड टेस्ट के तौर पर परिभाषित किया है. गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्रालय की नियमित ब्रीफिंग में यह भी कहा गया कि अप्रैल-मई में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान आरटीपीसीआर औऱ एंटीजन टेस्ट (AntigenTest) का अनुपात करीब 50-50 फीसदी रहा.
पिछले 24 घंटे के दौरान देश में 20.55 लाख सैंपल लिए गए. इनमें से 10.5 लाख (51.3%) आरटीपीसीआर टेस्ट थे. जबकि 8.92 लाख ((43.4 %) रैपिड एंटीजन टेस्ट थे. वहीं 1 लाख ((5.3 %)के करीब ट्रूनैट-सीबीनैट टेस्ट किए गए.
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