प्रकाश जावेड़कर ने कहा शिक्षा संस्थाओं का मूल्यांकण जरूरी
नई दिल्ली:
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शनिवार को कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों के त्वरित मूल्यांकन और प्रत्यायन के लिए नैक और एन बी ए जैसी आधिकारिक एजेंसियों के साथ आईआईटी और आईआईएम की सेवाएं ली जाएंगी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) और राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एन बी ए) को जहां विस्तारित किया जाएगा, वहीं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई आई टी) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आई आई एम) जैसे अग्रणी संस्थान भी इस काम से जुड़ सकते हैं व प्रक्रिया को तेज करने के लिए एक प्रत्यायन एजेंसी का गठन कर सकते हैं. गौरतलब है कि वर्तमान में देश में केवल 15 प्रतिशत उच्च शिक्षा संस्थान ही प्रत्यायन प्राप्त हैं.
यह भी पढ़ें: IIT BHU अब बनाएगा 'आदर्श बहू', शुरू होने जा रहा है 3 महीने का कोर्स
मंत्री ने यहां चौथे विश्व प्रत्यायन सम्मेलन से इतर संवाददाताओं से कहा कि हमने आई आई टी और आई आई एम से साथ आने और एक एजेंसी बनाने को कहा है जिससे कि हम प्रत्यायन की प्रक्रिया को तेज कर सकें. उन्होंने कहा कि प्रत्यायन अब से पठन पाठन के परिणाम पर आधारित होगा और किसी संस्थान का स्तर तय करने के लिए शिक्षा गुणवत्ता एक मानक होना चाहिए. मंत्री की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू जी सी) ने हाल में अगस्त में मौजूदा क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रत्यायन के क्षेत्र से और भी प्रत्यायान एजेंसियों के जुड़ने को अनुमति दे दी थी.
यह भी पढ़ें: अब हर सांप काटे का होगा इलाज, महज 50 से 60 रुपये में मिलेगी दवा
जावड़ेकर ने कार्यक्रम में कहा कि प्रत्यायन के लिए 80 प्रतिशत महत्व पठन-पाठन के परिणाम और समकक्ष समीक्षा को दिया जाएगा, जबकि परिसर और अवसंरचना का भौतिक प्रमाणन सेटलाइट का इस्तेमाल कर किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि गुणवत्ता कायम रखने वाला संस्थान ही रह पाएगा और जो ऐसा करने में विफल होते हैं, वे बाहर हो जाएंगे. उच्च शिक्षा सचिव आर सुब्रह्मण्यन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की न्यू इंडिया की परिकल्पना के मद्देनजर सुझाव दिया कि 2022-23 से प्रत्यायन नहीं, प्रवेश नहीं की नीति अपनाई जानी चाहिए.
VIDEO: सांप काटने का सस्ता इलाज.
इस बीच, मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर एक परिचर्चा में कहा कि सरकार ऐसी योजना लाएगी जहां स्कूली विद्यार्थी साक्षरता मिशन से जुड़कर निरक्षर लोगों को शिक्षा उपलब्ध करा सकें. (इनपुट भाषा से)
यह भी पढ़ें: IIT BHU अब बनाएगा 'आदर्श बहू', शुरू होने जा रहा है 3 महीने का कोर्स
मंत्री ने यहां चौथे विश्व प्रत्यायन सम्मेलन से इतर संवाददाताओं से कहा कि हमने आई आई टी और आई आई एम से साथ आने और एक एजेंसी बनाने को कहा है जिससे कि हम प्रत्यायन की प्रक्रिया को तेज कर सकें. उन्होंने कहा कि प्रत्यायन अब से पठन पाठन के परिणाम पर आधारित होगा और किसी संस्थान का स्तर तय करने के लिए शिक्षा गुणवत्ता एक मानक होना चाहिए. मंत्री की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू जी सी) ने हाल में अगस्त में मौजूदा क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रत्यायन के क्षेत्र से और भी प्रत्यायान एजेंसियों के जुड़ने को अनुमति दे दी थी.
यह भी पढ़ें: अब हर सांप काटे का होगा इलाज, महज 50 से 60 रुपये में मिलेगी दवा
जावड़ेकर ने कार्यक्रम में कहा कि प्रत्यायन के लिए 80 प्रतिशत महत्व पठन-पाठन के परिणाम और समकक्ष समीक्षा को दिया जाएगा, जबकि परिसर और अवसंरचना का भौतिक प्रमाणन सेटलाइट का इस्तेमाल कर किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि गुणवत्ता कायम रखने वाला संस्थान ही रह पाएगा और जो ऐसा करने में विफल होते हैं, वे बाहर हो जाएंगे. उच्च शिक्षा सचिव आर सुब्रह्मण्यन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की न्यू इंडिया की परिकल्पना के मद्देनजर सुझाव दिया कि 2022-23 से प्रत्यायन नहीं, प्रवेश नहीं की नीति अपनाई जानी चाहिए.
VIDEO: सांप काटने का सस्ता इलाज.
इस बीच, मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर एक परिचर्चा में कहा कि सरकार ऐसी योजना लाएगी जहां स्कूली विद्यार्थी साक्षरता मिशन से जुड़कर निरक्षर लोगों को शिक्षा उपलब्ध करा सकें. (इनपुट भाषा से)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं