नई दिल्ली:
छत्तीसगढ़ में दो आईपीएस अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है क्योंकि उनका कामकाज अपेक्षा के अनुरूप नहीं था. केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय पुलिस सेवा के 2000 बैच के अधिकारी ए एम जूरी और 2002 के अधिकारी केसी अग्रवाल को छत्तीसगढ़ सरकार की अनुशंसा के बाद सेवा से बर्खास्त किया गया क्योंकि इन दोनों को ‘अनुपयोगी’ पाया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति की स्वीकृति के बाद गृह मंत्रालय ने इन दोनों को बर्खास्त करने का आदेश शनिवार को जारी किया. अधिकारी ने कहा कि डीआईजी रैंक के इन दोनों अधिकारियों की सेवा के 15 साल पूरा होने पर उनके कामकाज की समीक्षा की गई और उन्हें सेवा में बने रहने के अयोग्य पाया गया.
जूरी साल 1983 में राज्य पुलिस में शामिल हुए थे और 2000 में उनको पदोन्नति देकर आईपीएस बनाया गया था. अग्रवाल 1985 में राज्य पुलिस सेवा में शामिल हुए थे और उनको 2002 में पदोन्नति देकर आईपीएस बनाया गया था. इन दोनों के कामकाज की समीक्षा करने के बाद अखिल भारतीय सेवा नियम-1958 के तहत ‘जनहित में’ इनको बर्खास्त किया गया.
अधिकारी ने कहा, ‘‘अनुपयोगी लोगों को सेवा से अलग करने के लिए आईपीएस अधिकारियों के कामकाज की समीक्षा की जाती है.’’ अखिल भारतीय सेवा के किसी भी अधिकारी के कामकाज की समीक्षा दो बार की जाती है. पहली समीक्षा 15 साल की सेवा पूरी होने पर और दूसरी 25 साल की सेवा पूरी होने पर की जाती है.
गृह मंत्रालय के एक और अधिकारी ने कहा कि इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ कथित कदाचार की शिकायत थी. इसी साल जनवरी में केंद्र शासित प्रदेश कैडर के 1998 बैच के अधिकारी मयंक शील चौहान और छत्तीसगढ़ कैडर के 1992 बैच के अधिकारी राजकुमार देवांगन को इसी आधार पर सेवा से बर्खास्त किया गया था.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
जूरी साल 1983 में राज्य पुलिस में शामिल हुए थे और 2000 में उनको पदोन्नति देकर आईपीएस बनाया गया था. अग्रवाल 1985 में राज्य पुलिस सेवा में शामिल हुए थे और उनको 2002 में पदोन्नति देकर आईपीएस बनाया गया था. इन दोनों के कामकाज की समीक्षा करने के बाद अखिल भारतीय सेवा नियम-1958 के तहत ‘जनहित में’ इनको बर्खास्त किया गया.
अधिकारी ने कहा, ‘‘अनुपयोगी लोगों को सेवा से अलग करने के लिए आईपीएस अधिकारियों के कामकाज की समीक्षा की जाती है.’’ अखिल भारतीय सेवा के किसी भी अधिकारी के कामकाज की समीक्षा दो बार की जाती है. पहली समीक्षा 15 साल की सेवा पूरी होने पर और दूसरी 25 साल की सेवा पूरी होने पर की जाती है.
गृह मंत्रालय के एक और अधिकारी ने कहा कि इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ कथित कदाचार की शिकायत थी. इसी साल जनवरी में केंद्र शासित प्रदेश कैडर के 1998 बैच के अधिकारी मयंक शील चौहान और छत्तीसगढ़ कैडर के 1992 बैच के अधिकारी राजकुमार देवांगन को इसी आधार पर सेवा से बर्खास्त किया गया था.
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