यह ख़बर 14 अगस्त, 2013 को प्रकाशित हुई थी

सीमांध्र में चार लाख कर्मचारी हड़ताल पर

खास बातें

  • रायलसीमा और तटीय आंध्र प्रदेश (सीमांध्र) में चार लाख से अधिक कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है। कर्मचारियों ने पृथक तेलंगाना राज्य के गठन का फैसला वापस लेने की मांग की है।
हैदराबाद:

रायलसीमा और तटीय आंध्र प्रदेश (सीमांध्र) में चार लाख से अधिक कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है। कर्मचारियों ने पृथक तेलंगाना राज्य के गठन का फैसला वापस लेने की मांग की है।

सीमांध्र के 13 जिलों में सामान्य जनजीवन पर बुरा असर पड़ा है। यहां दुकानें, व्यापारिक प्रतिष्ठान और शैक्षणिक संस्थान बंद रहे।

सोमवार आधी रात के बाद से 12,000 बसों का परिचालन थम जाने से यहां सड़क यातायात ठप हो गया है। आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (एपीएसआरटीसी) के कर्मचारियों ने भी इस हड़तालमें हिस्सा लिया है।

30 जून को कांग्रेस कार्य समिति और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन द्वारा पृथक तेलंगाना राज्य के गठन को मंजूरी देने के बाद से विरोध और बंद शुरू हो गए।

हड़ताल का आह्वान करने वाले आंध्र प्रदेश अराजपत्रित अधिकारी (एपीएनजीओ) संघ ने आपात सेवाओं को हड़ताल से बाहर रखा है। स्वास्थ्य, नगरपालिका प्रशासन और विद्युत विभागों के कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हो गए हैं।

सीमांध्र क्षेत्र के कर्मचारियों के काम पर नहीं आने से हैदराबाद स्थित सचिवालय और अन्य सरकारी कार्यालयों में कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सोमवार मध्य रात्रि से पेट्रोल पंपों ने भी 24 घंटे तक बंद रखने का फैसला लिया है। वकीलों ने अदालतों का बहिष्कार किया है।

एपीएनजीओ ने यह बंद सीमांध्र से ताल्लुक रखने वाले केंद्रीय और राज्य मंत्रियों, सांसदों और विधायकों द्वारा केंद्र पर दबाव बनाने के लिए इस्तीफा न दिए जाने पर बुलाया है। एपीएनजीओ के अध्यक्ष पी. अशोक बाबू ने कहा कि हड़ताल में 4.25 लाख कर्मचारी शामिल हुए हैं।

मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी ने मुख्य सचिव पीके मोहंती एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की।

30 जुलाई से अपने दफ्तर से दूर रहने वाले मुख्यमंत्री सोमवार और मंगलवार को कार्यालय पहुंचे। उन्होंने परिवहन निगम के अधिकारियों और चित्तूर जिले के कलेक्टर को तिरुपति स्थित तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर आने वाले तीर्थयात्रियों को वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए कहा।

चार दशकों में पहली बार तिरुपति और तिरुमला हिल्स के बीच बस सेवा बंद होने से तीर्थयात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक एके खान ने संवाददाताओं से कहा कि हड़ताल से निगम को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले दो सप्ताह से चल रहे विरोध प्रदर्शनों के कारण निगम को 98 करोड़ का नुकसान हो चुका है।