तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता के खिलाफ श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर डाले गए एक आपत्तिजनक लेख के विरोध में संसद में अन्नाद्रमुक के सदस्यों के भारी हंगामे के बीच सरकार ने सोमवार को कहा कि वह इस लेख की कड़ी भर्त्सना करती है और इस बारे में श्रीलंका के उच्चायुक्त को तलब किया जाएगा।
इस मुद्दे पर अन्नाद्रमुक सदस्यों के हंगामे के कारण उच्च सदन में प्रश्नकाल नहीं चल पाया और बैठक को दो बार स्थगित किया गया। लोकसभा की कार्यवाही भी इसी मुद्दे पर दो बार स्थगित हुई।
उच्च सदन में दो बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे बैठक फिर शुरू होने पर अन्नाद्रमुक वी मैत्रेयन ने कहा कि एक पत्रकार द्वारा लिखे गए बेहद आपत्तिजनक लेख को श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर डाले जाने को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। इस आलेख में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और उनकी नेता जे जयललिता के खिलाफ आपत्तिजनक बातें की गई हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार को श्रीलंका के भारत में स्थित उच्चायुक्त को तलब कर इस मामले में अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज करानी चाहिए।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मुद्दे पर सरकार का पक्ष रखते हुए कहा 'यह विषय वाकई बेहद गंभीर है। भारत इस तरह की कार्रवाई की कठोर निंदा करता है। हम इस मामले में उच्चायुक्त को बुला कर उन्हें (सरकार की आपत्ति से) अवगत कराएंगे।'
लोकसभा में इस मुद्दे को अन्नाद्रमुक के नेता एम थंबीदुरई ने उठाया और आपत्तिजनक लेख की निंदा नहीं करने के लिए सरकार पर सीधा प्रहार किया। उन्होंने मांग की कि जब तमिलनाडु की जनता इस मुद्दे पर उद्वेलित है तो सरकार को इस बारे में अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। थंबीदुरई ने कहा कि जयललिता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तमिल मछुआरों को श्रीलंकाई नौसेना द्वारा परेशान करने और कच्चातिवु द्वीप को वापस लेने के संबंध में कई पत्र लिखे हैं। यह बहुत आपत्तिजनक है कि ऐसे पत्रों को उस कथित लेख में 'प्रेम पत्र' कहा गया है।
इसी बीच, अन्नाद्रमुक सदस्य श्रीलंका सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए आसन के समक्ष आ गए जिससे सदन की बैठक स्थगित करनी पड़ी।
बैठक दोबारा शुरू होने पर संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि वे सदस्यों की भावनाओं से विदेश मंत्री को अवगत करा देंगे। उन्होंने कहा कि श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर डाला गया लेख पूर्णत: अस्वीकार्य और निंदनीय है।
हालांकि थंबीदुरई मंत्री के बयान से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने सदन द्वारा इस आपत्तिजनक लेख के बारे में सर्वसम्मति से निंदा प्रस्ताव जारी करने की मांग की। हंगामा थमते न देख स्पीकर ने बैठक दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी।
इससे पहले राज्यसभा में आज सुबह बैठक शुरू होने पर अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता के खिलाफ श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर डाले गए एक कथित आपत्तिजनक लेख का मुद्दा उठाया और विरोध जताने लगे।
सभापति ने सदस्यों से शांत रहने और प्रश्नकाल चलने देने का आग्रह किया लेकिन सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने बैठक 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी। बैठक 11 बज कर 17 मिनट पर जब दोबारा शुरू हुई तो सदन में वही नजारा था। अन्नाद्रमुक सदस्य श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर डाले गए जयललिता के खिलाफ कथित आपत्तिजनक लेख के मुद्दे पर आसन के समक्ष आ कर नारे लगाने लगे।
सभापति ने सदन में अन्नाद्रमुक के नेता डॉ एम वी मैत्रेयन से कहा, 'मुद्दा उठाने का यह तरीका नहीं है। अपने सहयोगियों से अपने स्थानों पर जाने के लिए कहें।' हंगामा न थमने पर उन्होंने कहा 'संसद सदस्यों का यह आचरण उचित नहीं है। 10 सदस्यों ने सदन की कार्यवाही बाधित की है।' इसके बाद उन्होंने बैठक दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
लोकसभा में थंबीदुरई ने सरकार के प्रति कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि सत्ताधारी दल ने चुनाव में श्रीलंका समस्या के हल का वादा किया था। 'लेकिन मुझे संदेह है कि अब यह राजग सरकार हम तमिलों से ज्यादा श्रीलंका का समर्थन कर रही है। सरकार ने अभी तक इस लेख की निंदा नहीं की है।'
उन्होंने कहा, 'हम जानना चाहते हैं कि सरकार क्या कार्रवाई कर रही है और इस बारे में राजग सरकार बयान दे।' स्पीकर से उन्होंने कहा कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री एक महिला हैं और आप भी एक महिला हैं। आप ही बताइये कि इस समस्या के बारे में प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र को 'प्रेम पत्र' कहा जाए तो कैसा लगेगा।
थंबीदुरई ने कहा कि ऐसे में सरकार को उस आपत्तिजनक लेख के बारे में कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
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