950 करोड़ रुपये के बहुचर्चित चारा घोटाले (Fodder Scam) के सबसे बड़े रांची के डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ के गबन के मामले में सीबीआई अदालत (CBI Court) आज राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (RJD Chief Lalu Prasad Yadav) समेत 38 दोषियों को सजा सुनाएगी. अदालत ने 15 फरवरी को इन सभी आरोपियों को दोषी करार दिया था. विशेष सीबीआई अदालत वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आज सजा सुनायेगी.
सीबीआई के विशेष अभियोजक बीएमपी सिंह ने बताया कि विशेष अदालत ने शनिवार को निर्देश दिया कि 15 फरवरी को दोषी करार दिये गये 41 आरोपियों में से अदालत में पेश हुए 38 दोषियों को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सजा सुनायी जायेगी. उन्होंने कहा कि तीन अन्य दोषी 15 फरवरी को अदालत में उपस्थित नहीं हो सके थे जिसके चलते अदालत ने तीनों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है.
सिंह ने बताया कि जिन 38 दोषियों को सजा सुनायी जानी है, उनमें से 35 बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं जबकि लालू प्रसाद यादव समेत तीन अन्य दोषी स्वास्थ्य कारणों से राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में भर्ती हैं. इस मामले में सीबीआई ने कुल 170 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था जबकि 148 आरोपियों के खिलाफ 26 सितंबर 2005 में आरोप तय किए गए थे.
चारा घोटाले के चार विभिन्न मामलों में चौदह वर्ष तक की सजा पा चुके लालू प्रसाद यादव समेत 99 लोगों के खिलाफ अदालत ने सभी पक्षकारों की बहस सुनने के बाद 29 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
बता दें कि संयुक्त बिहार में चारा घोटाला मामला जनवरी 1996 में पशुपालन विभाग में छापेमारी के बाद सामने आया था. सीबीआई ने जून 1997 में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव को एक आरोपी के रूप में नामित किया था. एजेंसी ने लालू प्रसाद और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के खिलाफ आरोप तय किए थे. सितंबर 2013 में निचली अदालत ने चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्रा और 45 अन्य को दोषी ठहराया और रांची जेल भेज दिया था.
दिसंबर 2013 में उच्चतम न्यायालय ने मामले में लालू प्रसाद को जमानत दे दी, जबकि दिसंबर 2017 में सीबीआई अदालत ने उन्हें और 15 अन्य को दोषी पाया और उन्हें बिरसा मुंडा जेल भेज दिया. झारखंड उच्च न्यायालय ने लालू प्रसाद को अप्रैल 2021 में जमानत दे दी थी. चारा घोटाले में कुल पांच मामले चल रहे हैं, जिसमें यह पांचवां और अंतिम मामला है.
चारा घोटाले में कब-कब क्या हुआ?
जनवरी 1996: यह घोटाला तब सामने आया जब चाईबासा के तत्कालीन उपायुक्त अमित खरे ने पशुपालन विभाग के कार्यालयों पर छापा मारा और उन दस्तावेजों को जब्त कर लिया, जो चारे की आपूर्ति के नाम पर गैर-मौजूद कंपनियों द्वारा धन की हेराफेरी दिखाते थे.
11 मार्च 1996: इस मामले में जांच के लिए दवाब बढ़ा. पटना हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए. 19 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट का आदेश बरकरार रखा.
27 मार्च, 1996: चाईबासा ट्रेजरी से अवैध निकासी के मामले में सीबीआई ने केस रजिस्टर किया.
23 जून, 1997: CBI ने चार्जशीट दाखिल की और मामले में राज्य के तत्तकालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव समेत 56 लोगों को आरोपी बनाया. उन पर आईपीसी की धारा 420 (जालसाजी) और 120 (बी) (आपराधिक साजिश) और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा 13 (बी) के तहत 63 मामले दर्ज किए गए.
30 जुलाई, 1997: विपक्ष के बढ़ते दबाव के बाद लालू यादव ने रांची की सीबीआई अदालत में आत्मसमर्पण किया. लालू न्यायिक हिरासत में भेजे गए. इससे पहले उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दिया और पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बना दिया.
4-5 अप्रैल, 2000: CBI ने लालू प्रसाद यादव के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया. राबड़ी देवी को भी आय से अधिक मामले में सह आरोपी बनाया गया लेकिन समर्पण के बाद उन्हें अदालत ने जमानत दे दी. लालू यादव की जमानत याचिका खारिज कर दी गई और फिर से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
5 अक्टूबर, 2001: झारखंड राज्य का गठन होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को झारखंड में ट्रांसफर कर दिया.
फरवरी 2002: रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने चारा घोटाला मामले में सुनवाई शुरू की.
दिसंबर 2006: सीबीआई द्वारा दायर आय से अधिक संपत्ति के मामले में प्रसाद और राबड़ी देवी को आरोपों से बरी कर दिया गया.
जून 2007: रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के दो भतीजों सहित 58 लोगों को 1990 के दशक में चाईबासा कोषागार से धोखाधड़ी से 48 करोड़ रुपये निकालने के लिए ढाई साल से लेकर छह साल तक की जेल की सजा सुनाई.
मार्च 2012: विशेष सीबीआई अदालत में पेश होने के छह महीने बाद लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्रा के खिलाफ आरोप तय किए गए. अदालत ने 1995-96 में पशुपालन विभाग द्वारा कथित जाली और नकली बिल से बांका और भागलपुर जिलों के कोषागार से 47 लाख रुपये की धोखाधड़ी से निकासी का आरोप लगाया, जब वह मुख्यमंत्री थे.
13 अगस्त, 2013: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई कर रहे निचली अदालत के न्यायाधीश के स्थानांतरण की मांग वाली लालू प्रसाद की याचिका खारिज कर दी.
17 सितंबर, 2013: सीबीआई की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा.
30 सितंबर, 2013: सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्रा सहित 45 अन्य को चाईबासा ट्रेजरी से 37.70 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का दोषी ठहराया और पांच साल जेल की सजा सुनाई. फैसले के बाद लालू प्रसाद को लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया. दोनों जेल से रिहा होने की तारीख से छह साल तक विधानसभा/परिषद सहित कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. इसी साल दिसंबर में लालू यादव को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई.
नवंबर 2014: CBI ने झारखंड हाई कोर्ट द्वारा लालू प्रसाद के खिलाफ चार लंबित चारा घोटाले के मामलों को इस आधार पर रद्द करने के आदेश को चुनौती दी कि एक मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति पर समान गवाहों और सबूतों के आधार पर समान मामलों में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. अदालत ने दो धाराओं के तहत प्रसाद के खिलाफ निचली अदालत में कार्यवाही जारी रखने की सीबीआई की याचिका को बरकरार रखा.
नवंबर 2016: सुप्रीम कोर्ट ने मिश्रा को उनके खिलाफ चार लंबित चारा घोटाले के मामलों को रद्द करने को चुनौती देने वाली सीबीआई द्वारा दायर अपील को कथित रूप से खींचने और देरी करने के लिए जिम्मेवार ठहराया.
मई 2017: सुप्रीम कोर्ट ने माना कि लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्रा सहित अन्य आरोपियों पर 1991-94 में देवघर कोषागार से 84.53 लाख रुपये की निकासी और रिकॉर्ड्स के फर्जीवाड़े से जुड़े एक आपराधिक मामले में भ्रष्टाचार के लिए अलग-अलग मुकदमा चलाया जाएगा.
23 दिसंबर, 2017: रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को देवघर ट्रेजरी से 89.27 लाख रुपये के चारा घोटाला मामले में दोषी ठहराया. इस मामले में लालू प्रसाद को 3.5 साल जेल की सजा सुनाई गई थी.
6 जनवरी 2018: चाईबासा ट्रेजरी से 33.13 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से निकासी से संबंधित तीसरे मामले में भी लालू यादव को सजा मिली. इस मामले में भी उन्हें पांच साल कैद की सजा सुनाई गई.
24 मार्च 2018: विशेष सीबीआई कोर्ट ने लालू प्रसाद को दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 तक दुमका कोषागार से धोखाधड़ी से 3.76 करोड़ रुपये की निकासी से संबंधित केस में साजिश और भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत दोषी ठहराया था. कोर्ट ने उन्हें दो अलग-अलग धाराओं में सात-सात साल की सजा सुनाई और कहा कि दोनों सजाएं अलग-अलग चलेंगी. यानी कुल 14 साल जेल की सजा सुनाई गई और 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.
17 अप्रैल, 2021: झारखंड उच्च न्यायालय ने लालू प्रसाद यादव को जमानत दी.
15 फरवरी, 2022: डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ के गबन के मामले में सीबीआई अदालत ने दोषी करार दिया.
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