खास बातें
- वन भूमि पर उगाए जा रहे बांस पर सरकार का नियंत्रण बना रहेगा
- बदलाव के लिए 1927 के वन कानून में संशोधन किया गया
- देश में बांस की अनुमानित पैदावार एक करोड़ टन
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने गैर वन भूमि पर उगाए जाने वाले बांस को पेड़ की परिभाषा से बाहर कर दिया है. इसके लिए सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया है. इस कदम से आदिवासियों और किसानों को राहत मिलेगी और उनकी आमदनी बढ़ेगी.
सरकार ने साफ किया है कि वन भूमि पर उगाए जा रहे बांस पर उसका नियंत्रण बना रहेगा लेकिन वन भूमि के बाहर बांस की खेती, उसे काटने और लाने ले जाने पर कोई रोक टोक नहीं है. जब तक बांस पेड़ की परिभाषा में है उसे काटा नहीं जा सकता और उसे काटने पर दंड का प्रावधान है. सरकार ने इस बदलाव के लिए 1927 के वन कानून में संशोधन किया है.
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केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने ट्वीट कर कहा है, “बांस वन क्षेत्र के बाहर खूब उगता है और अंदाजन इसकी पैदावार एक करोड़ टन की है. दो करोड़ लोग बांस के कारोबार से जुड़े हैं. एक टन बांस से एक व्यक्ति को 350 दिन का रोजगार मिलता है.”
बांस की खेती और उसकी परिभाषा को लेकर विवाद होता रहा है और ग्रामीण रोजगार के लिए इसका इस्तेमाल नहीं कर पाते क्योंकि कानून आड़े आता है. पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने भी बांस की परिभाषा में बदलाव कर उस घांस की श्रेणी में रखा था जिससे जंगल से बांस को उठा ले जाने पर कोई सजा न दी जाए.
VIDEO : बाढ़ में बांस का पुल
बांस का इस्तेमाल कागज बनाने और कुटीर उद्योगों से लेकर कई तरह के व्यवसायों में होता है.