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This Article is From Dec 06, 2020

सरकार के साथ बैठक में किसान नेता अपना भोजन और चाय साथ लेकर पहुंचे

बातचीत के दौरान किसान नेताओं ने बैठक छोड़ने की चेतावनी दी, मंत्रियों ने वार्ता जारी रखने के लिए मना लिया

सरकार के साथ बैठक में किसान नेता अपना भोजन और चाय साथ लेकर पहुंचे
सरकार के साथ बैठक में किसान संगठनों के नेताओं ने अपने साथ लंगर से लाया गया भोजन किया.
नई दिल्ली:

कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में चल रहे आंदोलन के दौरान किसानों की सरकार के साथ पांचवी बैठक हुई. कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे किसान यूनियनों (Farmer Unions) के नेता इस बैठक में सिंघू बार्डर के लंगर में बनी अपनी चाय और भोजन साथ लाए. सिंघू सीमा पर हजारो किसान एक सप्ताह से ज्यादा समय से विरोध प्रदर्शन (Protest) कर रहे हैं. पांचवे दौर की बातचीत दोपहर ढाई बजे शुरू हुई और इसमें किसानों के अलग-अलग 40 संगठनों के नेताओं ने भाग लिया.  किसान संगठनों ने नेताओं ने कहा कि उन्होंने बैठक स्थल विज्ञान भवन में सरकार द्वारा की गई व्यवस्था से इतर बैठक के अंतराल में अपनी चाय पी और अपना ही भोजन किया.

केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरुद्ध चल रहे प्रदर्शनों को लेकर बने गतिरोध को तोड़ने का प्रयास करते हुए सरकार ने शनिवार को आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधियों से कहा कि उनकी चिंताओं पर ध्यान दिया जा रहा है लेकिन किसान संगठनों के नेता कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे और उन्होंने बातचीत बीच में छोड़ने की चेतावनी दी. हालांकि, सरकार किसान नेताओं को वार्ता जारी रखने के लिए मनाने में सफल रही. यह सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच पांचवें दौर की वार्ता थी. किसानों का दावा है कि इन कानूनों से मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी.

अपराह्न ढाई बजे शुरू हुई बैठक जब चाय ब्रेक के बाद दोबारा शुरू हुई तो किसान नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार सितंबर में लागू तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के बारे में नहीं सोच रही तो वे बैठक छोड़कर चले जाएंगे. ब्रेक में किसान नेताओं ने अपने साथ लाया गया भोजन और जलपान किया.

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने उन्हें बातचीत जारी रखने के लिए मना लिया. मंत्रियों द्वारा रखे गए प्रस्तावों पर बैठक में भाग लेने वाले किसानों के बीच मतभेद भी सामने आया. एक सूत्र ने कहा कि सरकार ने किसानों के खिलाफ पराली जलाने के और कुछ किसान कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की भी पेशकश की.

मंत्रियों ने शाम को बैठक स्थल पर मौजूद कुल 40 किसान प्रतिनिधियों में से तीन-चार किसान नेताओं के छोटे समूह के साथ बातचीत पुन: शुरू की. सूत्रों के अनुसार केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अनेक किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के समूह से कहा कि सरकार सौहार्दपूर्ण बातचीत के लिए प्रतिबद्ध है और नए कृषि कानूनों पर उनके सभी सकारात्मक सुझावों का स्वागत करती है.

बाद में केंद्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री और पंजाब से सांसद सोम प्रकाश ने पंजाबी में किसान नेताओं को संबोधित किया और कहा कि सरकार पंजाब की भावनाओं को समझती है. एक सूत्र के अनुसार सोम प्रकाश ने किसान नेताओं से कहा, ‘‘हम खुले दिमाग से आपकी समस्त चिंताओं पर ध्यान देने को तैयार हैं.''

बैठक में रेल, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल हुए. केंद्र की ओर से वार्ता की अगुवाई कर रहे तोमर ने अपने प्रारंभिक वक्तव्य में कहा कि सरकार किसान नेताओं के साथ ‘शांतिपूर्ण वार्ता' के लिए प्रतिबद्ध है और किसानों की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहती.

किसानों ने आठ दिसंबर को ‘भारत बंद' की घोषणा की है और चेतावनी दी है कि यदि सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती तो आंदोलन तेज किया जाएगा तथा राष्ट्रीय राजधानी आने वाले और मार्गों को अवरुद्ध कर दिया जाएगा.

सितंबर में लागू तीनों कृषि कानूनों को सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार करार दिया है. वहीं प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका जताई है कि नये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था को समाप्त कर देंगे. केंद्र सरकार बार-बार इस बात पर जोर दे रही है कि मंडी और एमएसपी की व्यवस्था जारी रहेगी तथा इसमें और सुधार किया जाएगा.

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