टिकैत ने कहा हमारी किसी पार्टी के साथ (चुनावों के संबंध में) कोई बातचीत नहीं चल रही है.
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) गुट के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने एनडीटीवी के साथ खास बातचीत में आगामी विधानसभा चुनाव, किसानों आदि पर खुलकर बातचीत की. उन्होंने कहा, "देश के प्रधानमंत्री या कोई भी मुख्यमंत्री कहीं जाता है तो किसानों की बात होती है. किसान आंदोलन से किसानों का नाम चर्चा में आ गया है. कोई भी पॉलीटिकल पार्टी है, आज किसानों का नाम ले रही है अपने घोषणापत्र में. सभी किसानों से जुड़े मुद्दों की चर्चा करते हैं." उत्तर प्रदेश के चुनावी मैदान में इस बार किसान सबसे अहम फैक्टर है. एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में टिकैत ने कहा, 'उत्तर प्रदेश के चुनावों में किसानों को उनकी फसल का सही दाम मिले, एमएसपी पर खरीद हो, गन्ना का रेट, समय पर भुगतान और बिजली की ऊंची दरें किसानों के लिए सबसे अहम चुनावी मुद्दे हैं.'
चौधरी चरण सिंह की जयंती पर पिछले साल 23 दिसंबर को पर राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ हवन करने की उनकी इस तस्वीर की राजनितिक गलियारों में खूब चर्चा हो रही है. लेकिन टिकैत कहते हैं, इसके राजनीतिक मायने नहीं निकलने जाने चाहिए. टिकैत ने कहा, "हमारी किसी पार्टी के साथ (चुनावों के संबंध में) कोई बातचीत नहीं चल रही है. किसी भी राजनीतिक दल के नेता हमसे बात कर सकते हैं." वहीं जब उनसे जयंत चौधरी के साथ हवन करते हुए सामने आई तस्वीर के बारे में पूछा गया तो टिकैत ने कहा, "23 दिसंबर को चौधरी चरण सिंह की जयंती पर किसान घाट पर कार्यक्रम दिल्ली सरकार का था. देश के प्रधानमंत्री 7 साल से चौधरी चरण सिंह की समाधि पर नहीं गए. उन्हें जाना चाहिए था."

उन्होंने कहा, "जो भी किसान की राजनीति करते हैं उनसे हम बातचीत के लिए तैयार हैं. बातचीत पर बैन नहीं है. हम सब पार्टियों के साथ बातचीत करते हैं. हमने सभी पार्टियों से कहा है कि वह अपने मेनिफेस्टो में किसानों के एजेंडे को शामिल करें. इसका यह मतलब नहीं कि हम उनके साथ हैं. हमारे सभी दलों के नेताओं के साथ रिश्ते हैं. हम सत्ता पक्ष और विपक्ष सब से बात करते हैं."
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यूपी में अहम चुनावी मुद्दे पर चर्चा करते हुए टिकैत ने कहा, "उत्तर प्रदेश के चुनावों में किसानों को उनकी फसल का सही दाम मिले, एमएसपी पर खरीद हो यह बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा रहेगा. गन्ना का रेट और उसका भुगतान भी हमारे लिए अहम चुनावी मुद्दा है. उत्तर प्रदेश में बिजली का रेट भी सबसे ज्यादा है."
गौरतलब है कि 15 जनवरी को SKM की बैठक होनी है. टिकैत ने बताया कि इस बैठक में एमएसपी पर कमेटी बनाने को लेकर सरकार ने जो आश्वासन दिया है उस पर हम आगे फैसला करेंगे.
टिकैत ने कहा, "किसान आंदोलन की छाया पूरे चुनावी प्रक्रिया पर दिखाई दे रही है. इलाहाबाद में हमारा 3 दिन का camp है. वहां पर पुलिस ने फसलों से लदे 100 ट्रैक्टरों को रोक रखा है. मैं कोविड-19 गाइडलाइंस के तहत कम लोगों को लेकर वहां जाऊंगा. हम किसानों के लिए आंदोलन करते रहेंगे."
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जब उनसे पूछा गया कि क्या यूपी चुनाव में किसान अहम मुद्दा बन कर उबरे हैं, तो उन्होंन कहा, "जी हां, इन चुनावों में किसानों से जुड़े मुद्दे सबसे अहम बनकर उभरे हैं. देश के प्रधानमंत्री या कोई भी मुख्यमंत्री कहीं जाता है तो किसानों की बात होती है. किसान आंदोलन से किसानों का नाम चर्चा में आ गया है. कोई भी पॉलीटिकल पार्टी है आज किसानों का नाम ले रही है, अपने घोषणापत्र में सभी किसानों से जुड़े मुद्दों की चर्चा करते हैं. जब भी नेता मंच पर होता है प्रेस के लोग उनसे किसानों के बारे में सवाल पूछते हैं.
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