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किसान बिलों के विरोध में आज राष्ट्रपति से मिलने की तैयारी में विपक्ष, पढ़ें- अब तक की 10 बड़ी बातें

केंद्र की एनडीए सरकार के तीन किसान बिलों पर जबरदस्त हंगामा मचा हुआ है. ये तीनों बिल संसद के दौनों सदनों में पास किए जा चुके हैं. अब इनके कानून बनने में बस राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के एक हस्ताक्षर भर की जरूरत है.

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किसान बिलों को लेकर पूरी तरह से लामबंद हैं विपक्षी पार्टियां.
नई दिल्ली:

केंद्र की एनडीए सरकार के तीन किसान बिलों पर जबरदस्त हंगामा मचा हुआ है. ये तीनों बिल संसद के दौनों सदनों में पास किए जा चुके हैं. अब इनके कानून बनने में बस राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के एक हस्ताक्षर भर की जरूरत है. इन बिलों के विरोध में विपक्षी पार्टियां पूरी तरह से लामबंद हैं. विपक्ष ने मंगलवार को विरोध में राज्यसभा का बहिष्कार करने का ऐलान किया था. अब इसके बाद वो राष्ट्रपति से मुलाकात करने की तैयारी कर रहे हैं. विपक्ष चाहता है कि राष्ट्रपति इन बिलों पर हस्ताक्षर न करके इन्हें लौटा दें. बस विपक्ष ही नहीं, देश के कई राज्यों में किसानों और किसान संघों का भी इन विधेयकों के खिलाफ गुस्सा दिख रहा है. विपक्ष के नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आज़ाद आज शाम पांच बजे राष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले हैं.

विपक्ष है लामबंद

  1. किसान बिलों के विरोध में विपक्षी दलों ने सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में एक बैठक बुलाई थी, जिसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर बिल को स्वीकृति नहीं देने की अपील करने पर सहमति जताई गई, जिसके बाद आज शाम को पांच बजे गुलाम नबी आजाद राष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले हैं.
  2. नबी आजाद ने मीडिया से कहा कि 'हमने कल राष्ट्रपति जी को लिखा है कि जो विधेयक पारित हुए हैं उनमें प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया. ऐसे में वह इनको स्वीकृति नहीं दें.' उन्होंने यह भी बताया कि इसे लेकर राष्ट्रपति को पहले चिट्ठी भी लिखी जा चुकी है.
  3. राष्ट्रपति से मिलने के लिए विपक्ष की कोशिशों पर रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि 'यह बहुत ही दुखद है कि राष्ट्रपति मिलने के लिए वक्त नहीं दे रहे हैं. हमें बहुत निराशा हुई है क्योंकि हमें उम्मीद थी थी कि राष्ट्रपति विपक्षी पार्टियों से मिलेंगे, बिल को टालेंगे और 62 करोड़ किसानों के प्रतिनिधियों को सुनेंगे.'
  4. बिलों के विरोध में कई विपक्षी सांसद संसद के परिसर में प्लेकार्ड लेकर विरोध करते नजर आए. कई सांसद मंगलवार को राज्यसभा का बहिष्कार करने के बाद संसद परिसर में विरोध में बैठे नजर आए थे.
  5. विपक्ष ने कल तीन मांगें रखते हुए राज्यसभा का बहिष्कार कर दिया था. विपक्ष की पहली मांग है कि सरकार एक नया बिल लाए जिसमें यह बात सुनिश्चित की जाए कि कोई भी प्राइवेट कंपनी MSP के नीचे किसानों से कोई उपज नहीं खरीद सकती हैं.
  6. उनकी दूसरी मांग है कि स्वामीनाथन फॉर्मूला के तहत MSP देश में तय हो. और तीसरी मांग है कि भारत सरकार राज्य सरकार या फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यह सुनिश्चित करें कि किसानों से निर्धारित MSP की रेट पर ही है उनकी उपज खरीदी जाए.
  7. रविवार को राज्यसभा में जमकर ऐतिहासिक हंगामा हुआ था, जिसके बाद कई विपक्षी पार्टियों के सांसदों को बचे हुए सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था. विपक्ष की ओर से उनका निलंबन वापस करने का भी आग्रह किया गया है. हालांकि, सत्तापक्ष की ओर से कहा गया है कि अगर सांसद बिना शर्त माफी मांगने को तैयार हों तो उनका निलंबन वापस किए जाने पर विचार होगा.
  8.  बता दें कि संसद में आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020, किसान उत्पादन व्यापार एवं वाणिज्य (प्रोत्साहन एवं सुविधा) विधेयक 2020 और किसान (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन का समझौता एवं कृषि सेवा विधेयक 2020 को मंजूरी दे दी गई है. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही यह कानून का रूप ले लेंगे. 
  9. बता दें कि विपक्ष ने सोमवार से ही देशभर में इन बिलों के खिलाफ देशव्यापी जनआंदोलन करने की योजना बनाई हुई है. हर विपक्षी पार्टी अपने-अपने तरीके से विरोध कर रही है. कांग्रेस की योजना हर राज्य में जिला कार्यालय पर प्रदर्शन करने और वर्चुअल रैली निकालने की है. 
  10. वहीं, बड़ी संख्या में किसान और व्यापारी संघ भी इन विधेयकों के खिलाफ उतर पड़े हैं. अगले एक-दो दिनों में ये अभियान और तेजी पकड़ने की उम्मीद है. हालांकि, इस बीच सरकार बार-बार इन विधेयकों को किसानों के हित में बता रही है.

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