एमएम कलबुर्गी (फाइल फोटो)
धारवाड़ (कर्नाटक):
जानेमाने कन्नड़ विद्वान एवं शोधकर्ता एम एम कलबुर्गी के स्थानीय आवास पर आज दो अज्ञात लोगों ने काफी करीब से गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। कलबुर्गी मूर्ति पूजा सहित विभिन्न मुद्दों पर अपने बेबाक बयानों से अक्सर विवाद पैदा कर देते थे।
हुबली-धारवाड़ सिटी के पुलिस आयुक्त रविंद्र प्रसाद ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि दो लोग एक दो पहिया वाहन पर आए और कलबुर्गी के घर का दरवाजा खटखटाया। जैसे ही दरवाजा खोला गया, उन्होंने कलबुर्गी के सिर और छाती में दो गोली मारी और इसके बाद हमलावर फरार हो गए।
हम्पी कन्नड़ यूनिवर्सिटी के कुलपति रह चुके 77 साल के कलबुर्गी को सिविल अस्पताल ले जाया गया जहां उन्होंने तुरंत दम तोड़ दिया। कलबुर्गी की हत्या ने कन्नड़ साहित्यिक जगत को झकझोर कर रख दिया है। प्रसाद ने कहा कि विशेष टीम बनाई गई है और दोषियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। फॉरेंसिक एवं प्रिंगर प्रिंट विशेषज्ञों को भी बुलाया गया है ।
यह पूछे जाने पर कि हत्या के पीछे क्या कोई 'निजी या अन्य कारण' है, इस पर पुलिस आयुक्त ने कहा कि जांच के बाद ही असल मकसद का खुलासा होगा। केंद्रीय एवं राज्य साहित्य अकादमी पुरस्कारों के विजेता रह चुके कलबुर्गी मूर्ति पूजा के विरोधी थे । इसके अलावा, वह विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय से विवाद पैदा कर देते थे। उन्होंने एक बेहतर राज्यगान की भी वकालत की थी।
हुबली-धारवाड़ सिटी के पुलिस आयुक्त रविंद्र प्रसाद ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि दो लोग एक दो पहिया वाहन पर आए और कलबुर्गी के घर का दरवाजा खटखटाया। जैसे ही दरवाजा खोला गया, उन्होंने कलबुर्गी के सिर और छाती में दो गोली मारी और इसके बाद हमलावर फरार हो गए।
हम्पी कन्नड़ यूनिवर्सिटी के कुलपति रह चुके 77 साल के कलबुर्गी को सिविल अस्पताल ले जाया गया जहां उन्होंने तुरंत दम तोड़ दिया। कलबुर्गी की हत्या ने कन्नड़ साहित्यिक जगत को झकझोर कर रख दिया है। प्रसाद ने कहा कि विशेष टीम बनाई गई है और दोषियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। फॉरेंसिक एवं प्रिंगर प्रिंट विशेषज्ञों को भी बुलाया गया है ।
यह पूछे जाने पर कि हत्या के पीछे क्या कोई 'निजी या अन्य कारण' है, इस पर पुलिस आयुक्त ने कहा कि जांच के बाद ही असल मकसद का खुलासा होगा। केंद्रीय एवं राज्य साहित्य अकादमी पुरस्कारों के विजेता रह चुके कलबुर्गी मूर्ति पूजा के विरोधी थे । इसके अलावा, वह विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय से विवाद पैदा कर देते थे। उन्होंने एक बेहतर राज्यगान की भी वकालत की थी।
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