पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते किए गए लॉकडाउन के ऐलान के बीच RBI की ओर से रेपो रेट में कटौती और तीन महीने के लिए EMI को टालने के फैसले का स्वागत किया है. लेकिन उन्होंने साथ में यह भी जोड़ा कि EMI तिथियों को स्थगित करने की दिशा अस्पष्ट और आधी-अधूरी है. मांग यह है कि सभी EMI देय तिथियों को ऑटोमैटिक स्थगित कर दिया जाना चाहिए. साथ में उन्होंने कहा, 'मैंने सुझाव दिया था कि 30 जून से पहले पड़ने वाली सभी नियत तारीखों को 30 जून तक के लिए टाला जा सकता है. उधारकर्ताओं को संबंधित बैंक पर निर्भर बना दिया गया है और निराश हो जाएगा'. पूर्व वित्त मंत्री ने गुरुवार को सरकार की ओर से किए गए आर्थिक राहत के ऐलान पर भी खुशी जाहिर की थी. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से फाइनेंसियल ऐक्शन प्लान लाया गया है. वह उनकी ओर से सुझाए गए 10 बिंदुओं से मिलता जुलता है. लेकिन हालात को यह देखते हुए यह काफी नहीं है. सरकार को जल्द ही अहसास होगा कि इसमें और भी कुछ करने की जरूरत है.
मैं आरबीआई के रेपो रेट में कटौती और अधिक तरलता प्रदान करने के उपायों का स्वागत करता हूं।
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) March 27, 2020
हालांकि,EMI तिथियों को स्थगित करने की RBI का दिशा अस्पष्ट और आधी-अधूरी है। मांग यह है कि सभी EMI देय तिथियों को स्वचालित रूप से स्थगित कर दिया जाना चाहिए।
पी. चिदंबरम ने ट्वीटर पर कहा, 'आप देखेंगे कि किरायेदार किसानों और निराश्रितों को मदद, रोजगार और मजदूरी के मौजूदा स्तर को बनाए रखने, कर अवहेलना, ईएमआई स्थगन, जीएसटी दर में कटौती, आदि जैसे सुझावों पर ध्यान नहीं दिया गया है. आइए उम्मीद करते हैं कि शीघ्र ही एक प्लान-2 होगी.
एक साथ किए गए कई अलग-अलग ट्वीट में उन्होंने कहा, योजना तीन महीने के लिए गरीबों को पर्याप्त अतिरिक्त खाद्यान्न देती है, और यह स्वागत योग्य है. योजना में गरीबों की जेब में पर्याप्त नकदी नहीं देता है। कुछ वर्गों को पूरी तरह से छोड़ दिया गया है'. हमारा अनुमान (अतिरिक्त धन जो हस्तांतरित किया जाएगा (अनाज और दालों के मूल्य सहित) 1 लाख करोड़ रुपये है. आवश्यक है लेकिन पर्याप्त नहीं है.
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