ई-कॉमर्स कंपनियां जो कि किराने का सामान, दवाइयां, खाने पीने की चीजें डिलीवर करती हैं उनका आरोप है कि कथित तौर पर पुलिस द्वारा उन पर हमले किए जा रहे हैं और उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है. कोरोनावायरस लॉकडाउन की स्थिति में कंपनियों ने सरकार से आवश्यक हस्तक्षेप की मांग की है. ई-कॉमर्स कंपनियों का कहना है कि इस तरह रोके जाने और पुलिस प्रशासन द्वारा परेशान किए जाने से खाने-पीने की ताजा चीजों को फेंकना पड़ा और कई चीजों की बर्बादी हुई.
बिग बास्केट, फ्रेस मैन्यू और पोरटी मेडिकल के प्रमोटर के. गणेश ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से पुलिस द्वारा गाली-गलौज, मारपीट और यहां तक कि गिरफ्तारी भी की गई जिससे कि उनका कामकाज प्रभावित हुआ. एनडीटीवी से बातचीत में के. गणेश ने बताया कि जहां तक कि सरकार के कोरोनावायरस को लेकर लॉकडाउन के फैसले की बात है तो यह बिल्कुल सही फैसला है. हमारा काम आवश्यक सेवाओं में आता है. हम खाने पीने के सामान ,दवाई जैसी चीजों की डिलीवरी करते हैं लेकिन सरकार का जरूरी चीजों की डिलीवरी की अनुमति देने का निर्देश शायद जमीन तक पुलिस अधिकारियों या प्रशासन तक नहीं पहुंच सका है.
के. गणेश ने कहा कि पुलिस वालों को यह नहीं मालूम है कि यह भी एक अनिवार्य सेवा है.कई मौके पर पुलिस वाले बहुत बुरा व्यवहार करते हैं वह डिलीवरी करने वालों से मारपीट करते हैं. यहां तक कि हमारे हेल्थ वर्कर को गिरफ्तार कर लिया गया. के गणेश ने कहा कि लोग अपनी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं तो ऐसे में उनकी पिटाई ना करें. हालांकि चालान किया जा सकता है. अगर लोग डरकर सेवा करने से भाग जाएंगे तो हम काम कैसे करेंगे? जो लोग जरूरी सामान की डिलीवरी कर रहे हैं या सामान पहुंचा रहे हैं उनके साथ मारपीट नहीं की जानी चाहिए.
ऑनलाइन ग्रॉसरी रिटेलर ग्रोफर्स और फ्रेश टू होम ने कहा कि इसी तरह का हस्तक्षेप का सामना उन्हें भी करना पड़ रहा है. पुलिस आम लोगों में और डिलीवरी करने वालों में फर्क नहीं समझ पा रही है. इस तरह के हस्तक्षेप की वजह से खाने-पीने के सामान की बर्बादी हुई है. ग्राहकों को संदेश देते हुए ग्रॉसरी और मिल्क डिलीवरी वेबसाइट मिल्क बास्केट ने बताया कि उनको मजबूरन 15,000 लीटर दूध फेंकना पड़ा और 10,000 किलो की सब्जी भी बर्बाद हुई.
We @grofers are having a lot of trouble getting essentials to people who need them as our warehouses are asked to shut, and trucks and delivery partners are being stopped by the police. We apologise to our customers and are working hard to find a solution.
— Saurabh Kumar (@theknownface) March 22, 2020
उन्होंने बताया कि वे गुड़गांव, नोएडा, हैदराबाद में दूध की डिलीवरी नहीं कर सकते. टेक अवे रेस्टोरेंट्स भी इसी तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं. बेकिंग बैड के फाउंडर अरुण जायसवाल ने भी कुछ इसी तरह के आरोप पुलिस पर लगाए. जयसवाल ने कहा कि ईस्ट ऑफ कैलाश , दक्षिण दिल्ली में तो बाइक पर जा रहे डिलीवरी करने वालों को लाठीचार्ज तक का सामना करना पड़ा. नोएडा में फोन तक छीने जा रहे हैं और उनको प्रूफ दिखाना पड़ रहा है.
Our delivery executives are selflessly putting their safety at risk to ensure people stay indoors and get all their essentials at home. And then they get stopped and harassed by police and local goons. Who are we really clapping for at 5pm today?
— Saurabh Kumar (@theknownface) March 22, 2020
Home Delivery Associates are doing the job of Rashtra Rakshaks, serving a noble cause of delivering food and grocery, but across the country, we are facing hurdles in delivering orders, request you to declare home delivery as an essential service.@PMOIndia
— Freshtohome - 100% Fresh 0% Chemicals (@myfreshtohome) March 23, 2020
@PMOIndia @cmohry @narendramodi @BJP4Haryana #milkbasket why milkbasket delivery guys are being harassed? Ain't milk and groceries considered as essentials? During the lockdown time, when there is so much of shortage of all the essentials, they had to dump 1000s of litres of milk pic.twitter.com/AnkC3XGMQN
— Swati Walia (@Swati_w) March 24, 2020
कैप्टन ग्रब के करन नांबियार ने भी इन आरोपों को दोहराते हुए बताया कि नोएडा पुलिस ने हमको नहीं बताया कि हमें डिलीवर क्यों नहीं करने दिया जा रहा है. पुलिस को खुद कानून की जानकारी नहीं है.हमारे डिलीवरी बॉय स्वास्थ्य और वक्त को जोखिम में डालकर खाने पीने के सामान की डिलीवरी कर रहे हैं और जरूरतमंदों तक खाना पहुंचा रहे हैं.
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