दिल्ली में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के लिए काम करने वाले 42 साल के संविदा डॉक्टर जावेद अली (Javed Ali) की कोविड-19 (Covid-19) से लड़ते हुए 20 जून को मौत हो गई थी. डॉ. जावेद मार्च से कोविड-19 ड्यूटी पर थे. उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि 24 जून को हुई थी और उन्हें तीन सप्ताह के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया था. सोमवार सुबह एम्स ट्रॉमा सेंटर में उन्होंने अंतिम सांस ली. लेकिन मौत के बाद दिल्ली सरकार द्वारा उनके परिवार से सीधे सम्पर्क ना किये जाने पर एक समुदाय के लोगों ने नाराज़गी जताया था. लेकिन डॉक्टर जावेद अली की पत्नी ने इस बहस पर विराम लगा दिया है.
उनकी पत्नी डॉक्टर हीना कौसर ने NDTV से बात करते हुए कहा की हम नहीं चाहते की डॉक्टर जावेद की मौत किसी मज़हबी दायरे में रखा जाए. हमारी ख्वाहिश है की कोरोना की इस लड़ाई में जिसकी भी मौत होती है केंद्र और राज्य सरकार उनके बच्चे की सुरक्षा को देखते हुए उनको मुआवज़ा ज़रूर दें क्योकि मौत की कोई भरपाई नहीं की जा सकती लेकिन मुआवजे से बच्चों का भविष्य सुरक्षित जरूर हो सकता है.
डॉ. हीना कौसर ने कहा कि दिल्ली सरकार ने सबकी कोशिश से ये क़दम उठाया है. हमने कभी भी सरकार से अप्रोच भी नहीं किया लेकिन डॉक्टर जावेद जहां एडमिट हुए वहां के इलाज में हमारा खर्च नहीं हुआ था. दिल्ली सरकार के किसी मंत्री या अधिकारी ने आप से सीधे संपर्क किया उसके जवाब में डॉ हीना कौसर कहती है की हमने निजी तौर पर ये उम्मीद भी नहीं की है की कोई हमसे मिले. सरकार से हमसे संपर्क तो नहीं किया है लेकिन सरकार ने अपना काम किया है. मेरी निजी बात तो नहीं हुई है हां मैंने भी अखबारों और टीवी के ज़रिये पता चली है की दिल्ली सरकार 1 करोड़ के मुआवज़े की स्वीकृति कर रही है. दिल्ली सरकार ने डॉक्टर जावेद अली के नाम मुआवज़े को स्वकृति कर दी अब वो मिले या नहीं मिले ये देखना होगा.लेकिन उन्होंने अपना काम कर दिया है , ,
उन्होंने आगे कहा की दिल्ली सरकार से हम खुश है क्योकि दिल्ली सरकार से इतनी जल्दी कोशिश की, डॉक्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन के साथ मीडिया और उनके शुचिन्तकों के साथ सहयोग से ये मामला उठा. हमें दिल्ली सरकार से कोई शिकायत नहीं की सरकार की तरफ से किसी ने फ़ोन किया की नहीं. सरकार ने अपना काम कर दिया इतना काफी है,जिस काम के लिए हम मिलकर कहते तो खुद सरकार ने खुद ही मुआवज़े की मंज़ूरी दे दी इतना हमारे लिए काफी है.
डॉ हीना कौसर कहती है की मैं मामले को राजनीतिक मुद्दे से दूर रखना चाहती हूं. हिन्दू मुस्लिम से इस का कोई मतलब नहीं है. डॉक्टर जावेद डॉक्टर थे वो अपना काम कर रहे थे वो अपनी सेवा दे रहे थे. उनको इस सेवा के दौरान ये रोग हुई और ऊपर वाले ने उनको बुला लिया. हम नहीं चाहते की डॉक्टर जावेद की मौत को हिन्दू मुस्लिम में बांट कर देखा जाए. बताते चले कि डॉक्टर जावेद उत्तर प्रदेश के चंदौसी ज़िले से ताल्लुक़ रखते थे उनका 6 साल का बेटा और 12 साल की बेटी है. उनकी पत्नी एक नर्सिंग होम में बतौर डॉक्टर कार्यरत है.
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