यह ख़बर 29 दिसंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

गैंगरेप पीड़ित को सिंगापुर भेजने के फैसले का डॉक्टरों ने किया बचाव

खास बातें

  • सफदरजंग अस्पताल में पीड़ित का इलाज करने वाले दल के प्रमुख डॉक्टर तथा पीड़ित के साथ एयर एंबुलेन्स में गए अन्य डॉक्टरों ने कहा कि उनका इरादा किसी भी सूरत में लड़की को बचाना था।
नई दि्ल्ली:

चलती बस में सामूहिक बलात्कार की शिकार लड़की को इलाज के लिए सिंगापुर भेजे जाने को लेकर उठते सवालों के बीच, सफदरजंग अस्पताल में उसका इलाज करने वाले दल के प्रमुख डॉक्टर तथा पीड़ित के साथ एयर एंबुलेन्स में गए अन्य डॉक्टरों ने इस फैसले की आलोचनाओं को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उनका इरादा किसी भी सूरत में लड़की को बचाना था।

सफदरजंग अस्पताल के सुपरिन्टेन्डेंट डॉ बीडी अथानी ने कहा कि यह समय इस बात को लेकर बहस करने का नहीं है कि पीड़ित को सिंगापुर भेजने का फैसला राजनीतिक आधार पर था या चिकित्सकीय आधार पर। उन्होंने कहा, एकमात्र और सिर्फ एकमात्र इरादा हर सूरत में उसकी जान बचाने का था। पूरा देश उसके लिए प्रार्थना कर रहा था और हर व्यक्ति को उम्मीद थी कि वह ठीक हो जाएगी। हम उम्मीद नहीं त्याग सकते थे। हम उसकी जान बचाना चाहते थे।

मेदांता मेडिसिटी हॉस्पिटल के चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ यतीन मेहता ने कहा कि वह पीड़ित को सिंगापुर भेजने के फैसले की आलोचना से आश्चर्यचकित हैं। आलोचनाओं पर प्रतिक्रिया में डॉ मेहता ने कहा, अक्सर डॉक्टर दूसरे डॉक्टरों के फैसले की आलोचना करते हैं और यह सही नहीं है। उन्होंने कहा कि मरीज सिंगापुर के अस्पताल में 48 घंटे जीवित रही और यह नहीं कहा जा सकता कि उसे वहां नहीं भेजा जाना चाहिए था।

डॉ मेहता ने कहा, दूसरी बात यह है कि भारत में सरकारी अस्पतालों और सिंगापुर के माउंट एलिजबेथ अस्पताल के बीच कोई तुलना नहीं है। मैं डॉक्टरों की कुशलता के बारे में नहीं, बल्कि बुनियादी सुविधाओं के बारे में बात कर रहा हूं। हमें यह पता होना चाहिए। डॉ अथानी ने कहा कि पीड़ित की आंत और अन्य अंगों में अत्यंत गंभीर चोटें थीं। उन्होंने कहा, हमने उसकी आंत का बहुत बड़ा हिस्सा संक्रमण की वजह से निकाल दिया था। जो चोटें थीं, वह अत्यंत गंभीर किस्म की थीं।

अथानी ने कहा कि इलाज के बाद शुरुआती पांच दिन तक लड़की की हालत स्थिर थी और सुधार के संकेत दिख रहे थे, लेकिन सेप्सिस (रक्त में संक्रमण) होने की वजह से उसकी हालत बिगड़ गई। डॉक्टर ने कहा, उसकी इच्छाशक्ति प्रबल थी और उसने पुलिस को दो बयान दिए। वह होश में थी।

अथानी ने कहा कि पैरा-मेडिकल की छात्रा का सफदरजंग अस्पताल में और हवाई एंबुलेन्स से सिंगापुर के माउंट एलिजबेथ मेडिकल सेंटर ले जाने के बाद वहां भी बेहतरीन इलाज किया गया। सिंगापुर का अस्पताल एक साथ अनेक अंगों के प्रतिरोपण की सुविधाओं के लिए जाना जाता है। अथानी ने कहा कि भारत से अभिनेता रजनीकांत और राजनीतिज्ञ अमर सिंह जैसी जानी-मानी हस्तियां वहां इलाज के लिए गईं और ठीक हो कर लौटी हैं। डॉ मेहता ने कहा कि लड़की की हालत दिल्ली की तुलना में वहां ज्यादा बिगड़ गई।

उन्होंने कहा, हमने शुक्रवार को दिल्ली रवाना होने से पहले उससे मुलाकात की थी। दिल्ली की तुलना में उसकी हालत ज्यादा खराब हो गई थी। उसे बहुत गंभीर चोटें आई थीं और हमने उसे बचाने के लिए भरसक प्रयास किए। मेहता ने भी कहा कि पीड़ित को हवाई एंबुलेन्स से सिंगापुर ले जाने का फैसला इसलिए किया गया, क्योंकि वह अस्पताल अंग प्रतिरोपण के लिए बेहतरीन अस्पतालों में से एक है। एक और मुख्य कारण यह भी था कि उसकी जान बचाना सबसे पहला उद्देश्य था।

डॉ अथानी ने कहा, वह बहुत बहादुर लड़की थी। उन्होंने कहा कि सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे बचाने के प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन उसकी चोटों की प्रकृति ऐसी थी कि उसे बचाया नहीं जा सका। डॉ अथानी ने कहा, ऐसी चोटों वाले अत्यंत गंभीर मरीजों को भी आईसीयू में भर्ती किया जाता है और उनमें से कई बच जाते हैं। यह एक अत्यंत गंभीर मामला था।

उन्होंने कहा कि सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों, नर्सों और पैरा-मेडिकल स्टाफ ने सचमुच कड़ा परिश्रम किया। इसका प्रतिफल भी मिला और 16 दिसंबर की रात को गंभीर रूप से घायल अवस्था में यहां लाने के बाद वह कम से कम 12 दिन तक जीवित रह सकी। चौथे दिन से उसकी हालत बिगड़ने लगी। तीसरे ऑपरेशन के बाद वह बिल्कुल नहीं उबर पाई। उसकी चेतना का स्तर भी कम हो गया था। डॉ अथानी ने कहा कि उसने हालात से मुकाबला करने और जीने का इरादा जाहिर किया था। उसकी ज्यादातर बातचीत उसकी मां के साथ होती थी। शुरुआती तीन दिन के बाद ऐसा लगने लगा था कि वह ठीक हो जाएगी।

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डॉ मेहता ने कहा, सफदरजंग अस्पताल से निकलते समय उसकी हालत बहुत खराब हो चुकी थी। उसे बहुत बुरी तरह जख्मी किया गया था। उसकी आंत का कोई भी भाग अच्छी हालत में नहीं था। पीड़ित को सिंगापुर के अस्पताल में क्यों भेजा गया। इस पर डॉ मेहता ने कहा, वहां का अस्पताल दुनिया के इस हिस्से के बेहतरीन अस्पतालों में से एक है और वहां के डॉक्टरों के साथ मेरी कई बार बातचीत हुई। मैंने वहां की सुविधाएं और उपकरण खुद देखे हैं।