'आईआईटी में प्रवेश के लिए नहीं हो कोचिंग की जरूरत', प्रवेश परीक्षा में बड़े बदलाव संभव

'आईआईटी में प्रवेश के लिए नहीं हो कोचिंग की जरूरत', प्रवेश परीक्षा में बड़े बदलाव संभव

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली:

आईआईटी में एडमिशन के लिए होने वाली परीक्षाओं में बड़े परिवर्तन होने की संभावना है। एक उच्च स्तरीय समिति ने परीक्षाओं में बदलाव करने की सिफारिश की है। समिति ने नेशनल टेस्टिंग सर्विस (एनटीएस) स्थापित करने की भी सिफारिश की है। समिति परीक्षार्थियों की कोचिंग संस्थानों पर निर्भरता को समाप्त करना चाहती है।

एनटीएस की स्थापना की सिफारिश
समिति भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में प्रवेश के लिए होने वालीं परीक्षाओं में बड़े बदलाव चाहती है। समिति ने एनटीएस की स्थापना करने की भी सिफारिश की है। एनटीएस संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) के लिए चार लाख विद्यार्थियों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए एप्टीट्यूड टेस्ट आयोजित करेगा। प्रोफेसर अशोक मिश्रा की अध्यक्षता में गठित प्रबुद्ध जन समिति (सीईपी) की कई सिफारिशों का मकसद आईआईटी अभ्यर्थियों की कोचिंग संस्थानों पर निर्भरता को समाप्त करना है। समिति ने पांच नवंबर को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी।

सिफारिशें सार्वजनिक करने का फैसला
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी मिनिस्ट्री) ने व्यापक विचार-विमर्श के लिए समिति की सिफारिशें सार्वजनिक करने का फैसला लिया है। मंत्रालय ने तय किया है कि 2016 की जेईई 2015 की तरह ही आयोजित की जाएगी जिसमें जेईई (एडवांस्ड) चरण में 1.5 लाख से बढ़ाकर दो लाख परीक्षार्थियों को शामिल किया जाएगा । सीईपी ने सुझाव दिया है कि जेईई की संरचना में बदलावों को 2017 से प्रभावी किया जाना चाहिए।

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वैज्ञानिक अभिरुचि और नए तरीके से विचार की क्षमता की जांच
सिफारिशों के मुताबिक सन 2016 की शुरुआत तक एक नेशनल टेस्टिंग सर्विस का गठन किया जाएगा जो एक एप्टीट्यूड टेस्ट आयोजित करेगा। एप्टीट्यूड टेस्ट में वैज्ञानिक अभिरुचि एवं नवोन्मेषी तरीके से सोचने की क्षमता की जांच की जाएगी। एप्टीट्यूड टेस्ट साल में दो या इससे ज्यादा बार आयोजित होगा और यह एक ऑनलाइन परीक्षा होगी। समिति ने यह सिफारिश भी की है कि टेस्ट के जरिए वैज्ञानिक सोच परखी जाएगी ओर उसे कोचिंग के जरिए नहीं विकसित किया जा सकता।