आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से कश्मीर घाटी में हिंसा का दौर जारी है
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर में हिंसक भीड़ पर सुरक्षा बलों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली पैलेट गन के बारे में तमाम विरोधों के बावजूद ऐसी संभावना है कि इसका इस्तेमाल पूरी तरह बंद नहीं होगा. इस बारे में बनी गृह मंत्रालय की समिति ने अपनी रिपोर्ट दी है.
सूत्रों के मुताबिक हालांकि समिति ने कम खतरनाक हथियारों के कई विकल्पों पर विचार किया, जिनका इस्तेमाल आने वाले दिनों में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए किया जाएगा. लेकिन इसके बावजूद पैलेट गन पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा.
सीआरपीएफ और दूसरे सुरक्षाबल भी इसके इस्तेमाल को रोकने के खिलाफ ही हैं. सीआरपीएफ का शुरू से कहना है कि पैलेट गन पर रोक के बाद मौतें बढ़ सकती हैं, क्योंकि हिंसक भीड़ को रोकने के लिए उनके विकल्प सीमित हो जाएंगे. कश्मीर में तैनात सुरक्षा बलों का मानना है कि उन पर पत्थर, ग्रेनेड और अन्य घातक हथियारों से हमला करने वाले प्रदर्शनकारी पैलेट गन से ही काबू में आते हैं.
पैलेट गन के विकल्पों की खोज के लिए केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से विशेषज्ञों की कमेटी ने पावा शेल्स अर्थात मिर्ची बम का सुझाव दिया है. साथ ही उसने कॉन्डोर रबड़ बुलेट और आंसू गैस के गोले का भी सुझाव दिया है. पिछले महीने की 25 तारीख को इस कमेटी का गठन किया गया था. इसमें गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव, सीआरपीएफ, बीएसएफ के उच्च अधिकारियों के साथ जम्मू-कश्मीर के पुलिस अधिकारी, आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर और दो अन्य को शामिल किया गया था.
हालांकि सीआरपीएफ के कई अफसरों का मानना है कि मिर्ची बम हिंसा पर उतारू लोगों पर कोई असर नहीं दिखा पाएंगे, क्योंकि वे पहले से ही इसका इस्तेमाल कर रहे हैं और आखिरकार उन्हें हिंसा पर काबू पाने के लिए पैलेट गन या फिर गोलियों का सहारा लेना पड़ता है.
सूत्रों के मुताबिक हालांकि समिति ने कम खतरनाक हथियारों के कई विकल्पों पर विचार किया, जिनका इस्तेमाल आने वाले दिनों में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए किया जाएगा. लेकिन इसके बावजूद पैलेट गन पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा.
सीआरपीएफ और दूसरे सुरक्षाबल भी इसके इस्तेमाल को रोकने के खिलाफ ही हैं. सीआरपीएफ का शुरू से कहना है कि पैलेट गन पर रोक के बाद मौतें बढ़ सकती हैं, क्योंकि हिंसक भीड़ को रोकने के लिए उनके विकल्प सीमित हो जाएंगे. कश्मीर में तैनात सुरक्षा बलों का मानना है कि उन पर पत्थर, ग्रेनेड और अन्य घातक हथियारों से हमला करने वाले प्रदर्शनकारी पैलेट गन से ही काबू में आते हैं.
पैलेट गन के विकल्पों की खोज के लिए केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से विशेषज्ञों की कमेटी ने पावा शेल्स अर्थात मिर्ची बम का सुझाव दिया है. साथ ही उसने कॉन्डोर रबड़ बुलेट और आंसू गैस के गोले का भी सुझाव दिया है. पिछले महीने की 25 तारीख को इस कमेटी का गठन किया गया था. इसमें गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव, सीआरपीएफ, बीएसएफ के उच्च अधिकारियों के साथ जम्मू-कश्मीर के पुलिस अधिकारी, आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर और दो अन्य को शामिल किया गया था.
हालांकि सीआरपीएफ के कई अफसरों का मानना है कि मिर्ची बम हिंसा पर उतारू लोगों पर कोई असर नहीं दिखा पाएंगे, क्योंकि वे पहले से ही इसका इस्तेमाल कर रहे हैं और आखिरकार उन्हें हिंसा पर काबू पाने के लिए पैलेट गन या फिर गोलियों का सहारा लेना पड़ता है.
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