यह ख़बर 25 सितंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार का पद से इस्तीफा

खास बातें

  • अजित पवार के इस्तीफे के बाद नाराज एनसीपी के मंत्रियों ने भी राज्य एनसीपी प्रमुख मधुकर पीचड़ को अपने इस्तीफे सौंप दिए हैं।
मुंबई:

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार राज्य में पहले सिंचाई मंत्री भी थे। अजित पवार के इस्तीफे के बाद नाराज एनसीपी के मंत्रियों ने भी राज्य एनसीपी प्रमुख मधुकर पीचड़ को अपने इस्तीफे सौंप दिए हैं। वहीं, खबर आ रही है कि बुधवार को विधायक दल की बैठक के बाद इस पूरे मसले पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। वहीं इस खबर के बाद नाराज तमाम एनसीपी विधायकों ने कहा कि अब महाराष्ट्र सरकार को बाहर से समर्थन देना चाहिए।

जानकारी के अनुसार अजित पवार ने अपने इस्तीफे के मुद्दे पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार से बात की थी। उनकी रजामंदी के बाद ही अजित पवार ने अपना इस्तीफा भेजा है।

इस पूरे मुद्दे पर सीएम पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, ‘‘मैं इस स्थिति में नहीं हूं कि अभी इस घटनाक्रम पर टिप्पणी कर सकूं। मैं सभी संबंधित पक्षों से बात करूंगा और फिर अपनी प्रतिक्रिया दूंगा।’’ फिलहाल अभी तक सीएम ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। सूत्र बता रहे हैं कि शरद पवार ने सीएम से इस्तीपा स्वीकार करने को कहा है।

राज्य में इस मंत्रालय में तमाम घोटाले सामने आए हैं और जांच की मांग को लेकर विपक्ष ने तमाम मौकों पर अजित पवार का इस्तीफा मांगा था। कहा जा रहा था कि अजित पवार ने तमाम ठेके बिना टेंडर निकाले ही अपने करीबियों को दे दिए थे। सिंचाई मंत्री के खिलाफ खुद उनके ही विभाग के तमाम अधिकारियों ने सीएम को चिट्ठी लिखकर शिकायत की थी।

बता दें कि 1999 से 2009 तक अजित पवार के पास ही सिंचाई मंत्रालय रहा है। 2009 के बाद भी अजित पवार के करीबी सुनील तटकरे को यह प्रभार दिया गया। इस दौरान महाराष्ट्र में सिंचाई पर 70 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए लेकिन कथित रूप से मात्र एक फीसदी हिस्सा ही सिंचाई के क्षेत्र में जोड़ा जा सका है।

विपक्ष के हंगामे के बीच कांग्रेस और एनसीपी की सरकार में तनाव पैदा हो गया था। इस मौके पर सीएम ने विधानसभा में बयान दिया था कि पिछले दस साल में खर्च रुपयों पर सरकार श्वेत पत्र के साथ सामने आएगी। जानकार यह कह रहे हैं कि सीएम के इस बयान के बाद एनसीपी ने कांग्रेस पर यह दबाव बनाया कि वह अजित पवार के कार्यकाल को इस दायरे से बाहर कर दे लेकिन सीएम नहीं माने।

इस्तीफा देने के बाद मंगलवार को अजित पवार ने कहा कि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है। उनका कहना है कि वह अब मात्र एमएलए हैं और तब तक कोई मंत्री पद ग्रहण नहीं करेंगे जब तक वह पूरी तरह से घोटाले के आरोपों से बरी नहीं हो जाते।

राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि एनसीपी ने यह सोच-समझकर चाल चली है। महाराष्ट्र में कांग्रेस के कोटे से मंत्री बने कुछ नेताओं पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और उन्होंने अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है। कहा जा रहा है कि अब कांग्रेस पार्टी पर भी दबाव है कि वह अपने कोटे के मंत्रियों से इस्तीफा ले।

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उल्लेखनीय है कि कोयला घोटाले में राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री राजेंद्र दर्डा पर भी आरोप लगे हैं और उन्होंने न ही इस्तीफा दिया है और न ही पार्टी ने उनसे इस्तीफा मांगा है।