फरीदकोट :पंजाब::
देश के विभाजन के दौरान बिछड़े दो भाईयों का छह दशक के बाद अब कहीं जा कर संपर्क हुआ, वह भी पत्र के माध्यम से। सेना में नौकरी करते हुए मोहिंदर सिंह को कभी उर्दू नहीं आई और न ही उसने कभी पाकिस्तान में रह रहे अपने भाई को पत्र लिखा। उसे नौकरी छूटने का डर था। अब मोहिंदर सूबेदार के पद से सेवानिवृत्त हो चुका है। सेवानिवृत्ति के बाद उसने उर्दू सीखी। तीन माह पहले उसने पाकिस्तान के लाहौर में रह रहे अपने भाई माखन सिंह को उर्दू में पत्र लिखा। विभाजन से पहले सिंह का परिवार लाहौर में ही रहता था। मोहिंदर ने मंगलवार को बताया कि उसे हाल ही में माखन का पत्र मिला जिसमें उसने लिखा है कि उसने और उसके परिवार वालों ने ईसाई धर्म ग्रहण कर लिया है। माखन ने यह भी लिखा कि अब वह कसूर के एक गांव के समीप रह रहा है और उसका नाम माखन मसीह हो गया है। उसने पत्र में यह भी लिखा है कि वह अपने भाई मोहिंदर से मिलने के लिए बेताब है। अब मोहिंदर अपने भाई से मिलने के लिए योजना बना रहा है। उसने पासपोर्ट के लिए आवेदन कर दिया है और अन्य औपचारिकताएं पूरी करने की कोशिश कर रहा है।