नई दिल्ली:
भाई-बहन की हत्या मामले में बच्चों के मामा और उसके दो सहयोगियों को दिल्ली में रविवार को गिरफ्तार कर लिया गया। इस हत्या के चौथे अभियुक्त की तलाश के लिए पुलिस ने मुहिम छेड़ दी है। 30 लाख रुपये फिरौती के लिए वारदात को अंजाम दिया गया।
पुलिस ने बताया कि मनसीज (7) और उसकी बहन यश्वी (5) पूर्वी दिल्ली के अपने स्कूल से 26 फरवरी से लापता थे। उनके शव को सबसे पहले एक टैक्सी चालक ने शनिवार की सुबह रिंग रोड- भैरव रोड के क्रॉसिंग के समीप झाड़ियों में देखा।
मृतक बच्चों के पिता मनोज कुमार शेयर ब्रोकरेज फर्म में काम करते हैं। पुलिस ने बताया कि मनोज को 30 लाख फिरौती के लिए सात बार कॉल की गई। ये कॉल बच्चों के मामा अमित सिंह और उसके दो सहयोगियों पंकज कश्यप और शिवम गुप्ता ने की।
पुलिस ने बताया कि तीनों अभियुक्तों को शनिवार को पूर्वी दिल्ली के मंडावली में उनके छिपने के ठिकाने से गिरफ्तार कर लिया गया। उनका सहयोगी अभिषेक फरार है।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया, "अमित सिंह को एक फ्लैट सौदे के लिए छह लाख रुपये की जरूरत थी। पंकज को अपना कर्जा चुकाने के लिए 1.50 लाख रुपये की दरकार थी। शिवम और अभिषेक को अपने जीवन शैली पर फिजूलखर्ची के लिए पैसा चाहिए था।"
अधिकारी ने कहा, "फिरौती के वास्ते अपहरण के लिए अमित सिंह ने बच्चों को निशाना बनाया। अमित सिंह को पता था कि बच्चों के परिवार को एक प्रॉपर्टी सौदे में 30 लाख रुपये मिला है।
पुलिस उपायुक्त प्रभाकर ने कहा, " पुलिस ने संदेह के आधार पर अमित को पूछताछ के लिए चुना। उसने अपने तीन सहयोगियों के साथ वारदात को अंजाम देने की बात कबूल ली।"
पुलिस ने बताया कि बच्चों का पता लगने के समय उनका शव सड़ चुका था। मालूम होता है कि उनके कुछ अंगों को जानवर भी खा चुके थे। दोनों बच्चे स्कूल की पोशाक में थे। पोशाक से ही बच्चों की शिनाख्त हुई।
पुलिस के अनुसार अमित ने मदर कान्वेंट स्कूल के बाहर 26 फरवरी को दिन में करीब एक बजे बच्चों को अगवा किया।
अपहरण से चंद मिनट पहले शिवम ने बच्चों के घर के मुख्य दरवाजे में ताला जड़ दिया था, ताकि उनकी मां उन्हें लाने के लिए स्कूल न जा सके। अमित सिंह ने बच्चों को स्कूल से अपने साथ ले लिया। इधर, पंकज बच्चों के घर पर नजर टिकाए था।
अधिकारी ने बताया, "अमित सिंह बच्चों को लेकर पांडव नगर गया, जहां वह दो बजे के करीब साजिश में शामिल अन्य लोगों से मिला। 30 लाख फिरौती के लिए पहली कॉल वहीं से की गई। इसके बाद अभियुक्तों ने फिरौती के लिए दो अन्य कॉल 27-28 फरवरी को की।" पुलिस ने बताया कि बच्चों को बाद में महरौली ले जाया गया।
पुलिस के अनुसार अभियुक्तों को रकम नहीं मिल सकी क्योंकि वे माता-पिता की बात बच्चों से कराने में असमर्थ थे।
पुलिस ने बताया कि अमित और उसके सहयोगी फिरौती की रकम नहीं पा सके इसलिए उन्होंने बच्चों की हत्या कर दी।
पुलिस ने बताया कि मनसीज (7) और उसकी बहन यश्वी (5) पूर्वी दिल्ली के अपने स्कूल से 26 फरवरी से लापता थे। उनके शव को सबसे पहले एक टैक्सी चालक ने शनिवार की सुबह रिंग रोड- भैरव रोड के क्रॉसिंग के समीप झाड़ियों में देखा।
मृतक बच्चों के पिता मनोज कुमार शेयर ब्रोकरेज फर्म में काम करते हैं। पुलिस ने बताया कि मनोज को 30 लाख फिरौती के लिए सात बार कॉल की गई। ये कॉल बच्चों के मामा अमित सिंह और उसके दो सहयोगियों पंकज कश्यप और शिवम गुप्ता ने की।
पुलिस ने बताया कि तीनों अभियुक्तों को शनिवार को पूर्वी दिल्ली के मंडावली में उनके छिपने के ठिकाने से गिरफ्तार कर लिया गया। उनका सहयोगी अभिषेक फरार है।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया, "अमित सिंह को एक फ्लैट सौदे के लिए छह लाख रुपये की जरूरत थी। पंकज को अपना कर्जा चुकाने के लिए 1.50 लाख रुपये की दरकार थी। शिवम और अभिषेक को अपने जीवन शैली पर फिजूलखर्ची के लिए पैसा चाहिए था।"
अधिकारी ने कहा, "फिरौती के वास्ते अपहरण के लिए अमित सिंह ने बच्चों को निशाना बनाया। अमित सिंह को पता था कि बच्चों के परिवार को एक प्रॉपर्टी सौदे में 30 लाख रुपये मिला है।
पुलिस उपायुक्त प्रभाकर ने कहा, " पुलिस ने संदेह के आधार पर अमित को पूछताछ के लिए चुना। उसने अपने तीन सहयोगियों के साथ वारदात को अंजाम देने की बात कबूल ली।"
पुलिस ने बताया कि बच्चों का पता लगने के समय उनका शव सड़ चुका था। मालूम होता है कि उनके कुछ अंगों को जानवर भी खा चुके थे। दोनों बच्चे स्कूल की पोशाक में थे। पोशाक से ही बच्चों की शिनाख्त हुई।
पुलिस के अनुसार अमित ने मदर कान्वेंट स्कूल के बाहर 26 फरवरी को दिन में करीब एक बजे बच्चों को अगवा किया।
अपहरण से चंद मिनट पहले शिवम ने बच्चों के घर के मुख्य दरवाजे में ताला जड़ दिया था, ताकि उनकी मां उन्हें लाने के लिए स्कूल न जा सके। अमित सिंह ने बच्चों को स्कूल से अपने साथ ले लिया। इधर, पंकज बच्चों के घर पर नजर टिकाए था।
अधिकारी ने बताया, "अमित सिंह बच्चों को लेकर पांडव नगर गया, जहां वह दो बजे के करीब साजिश में शामिल अन्य लोगों से मिला। 30 लाख फिरौती के लिए पहली कॉल वहीं से की गई। इसके बाद अभियुक्तों ने फिरौती के लिए दो अन्य कॉल 27-28 फरवरी को की।" पुलिस ने बताया कि बच्चों को बाद में महरौली ले जाया गया।
पुलिस के अनुसार अभियुक्तों को रकम नहीं मिल सकी क्योंकि वे माता-पिता की बात बच्चों से कराने में असमर्थ थे।
पुलिस ने बताया कि अमित और उसके सहयोगी फिरौती की रकम नहीं पा सके इसलिए उन्होंने बच्चों की हत्या कर दी।
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