नई दिल्ली:
अपने ऊपर हुए हमले के बाद अब पत्रकार एकजुट हैं। दिल्ली में सोमवार को पत्रकारों की पिटाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट बुधवार को एक याचिका पर सुनवाई करने वाला है। मंगलवार को इस मामले में पत्रकारों ने एक जुलूस निकाला और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया से पैदल मार्च किया। एक मेमोरेंडम भी सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को दिया गया।
जो लोग टीवी चैनलों और अख़बारों के पन्नों पर दिखते हैं, वो मंगलवार को सड़क पर दिखे। सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट परिसर के भीतर और बाहर पत्रकारों की पिटाई के ख़िलाफ़ उन्होंने दिल्ली के प्रेस क्लब पर मानव श्रृंखला बनाई और फिर पैदल मार्च किया।
अलग अलग संदेशों की तख्तियां लिए मीडिया की जानी मानी हस्तियां इस पैदल मार्च में शामिल हुईं। कोशिश सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने की थी, लेकिन उससे कुछ दूर पहले ही भगवान दास रोड पर इन्हें रोक दिया गया। फिर मेमोरेंडम पर सिग्नेचर का सिलसिला शुरू हुआ और पत्रकारों का एक प्रतिनिधि मंडल सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार से मिलने निकला। जहां रजिस्ट्रार ने ये आश्वासन दिया कि फिलहाल तो चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया व्यस्त हैं, लेकिन आप लोगों को एक दो दिनों में मिलने का वक्त जरूर मिलेगा।
सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट परिसर में छात्र, शिक्षक और पत्रकार सब पिटते रहे और पुलिस मूक दर्शक बनी रही।
जो लोग टीवी चैनलों और अख़बारों के पन्नों पर दिखते हैं, वो मंगलवार को सड़क पर दिखे। सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट परिसर के भीतर और बाहर पत्रकारों की पिटाई के ख़िलाफ़ उन्होंने दिल्ली के प्रेस क्लब पर मानव श्रृंखला बनाई और फिर पैदल मार्च किया।
अलग अलग संदेशों की तख्तियां लिए मीडिया की जानी मानी हस्तियां इस पैदल मार्च में शामिल हुईं। कोशिश सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने की थी, लेकिन उससे कुछ दूर पहले ही भगवान दास रोड पर इन्हें रोक दिया गया। फिर मेमोरेंडम पर सिग्नेचर का सिलसिला शुरू हुआ और पत्रकारों का एक प्रतिनिधि मंडल सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार से मिलने निकला। जहां रजिस्ट्रार ने ये आश्वासन दिया कि फिलहाल तो चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया व्यस्त हैं, लेकिन आप लोगों को एक दो दिनों में मिलने का वक्त जरूर मिलेगा।
सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट परिसर में छात्र, शिक्षक और पत्रकार सब पिटते रहे और पुलिस मूक दर्शक बनी रही।
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