रेप पीड़ितों का टू-फिंगर टेस्ट : दिल्ली में रोक के लिए एडवाइजरी जारी करेगी केजरीवाल सरकार

रेप पीड़ितों का टू-फिंगर टेस्ट : दिल्ली में रोक के लिए एडवाइजरी जारी करेगी केजरीवाल सरकार

नई दिल्ली:

रेप पीड़ितों का टू-फिंगर टेस्ट कराए जाने के संबंध जारी एक एडवाइजरी के मामले को लेकर दिल्ली सरकार की ओर सफाई दी गई है। अब दिल्ली सरकार की ओर बताया गया है कि हाल फिलहाल में ऐसी कोई एडवाइजरी जारी नहीं की गई है। एक आरटीआई के जवाब में सूचना आयुक्त की ओर से दिल्ली सरकार को स्टैंड था वही बताया गया। यह स्टैंड वर्तमान की आम आदमी पार्टी की सरकार का नहीं है। यह पूर्ववर्ती सरकार का स्टैंड था। अब दिल्ली के स्वास्थय मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि सरकार ने ऐसे कोई नए आदेश जारी नहीं किए हैं। हम आज ही नई एडवाइजरी जारी कर रहे हैं कि इस तरह का टेस्ट नहीं किया जा सकता।

मंजूरी रद्द करने की बात
इससे पहले यह भी दिल्ली सरकार की ओर कहा गया था  कि रेप पीड़ितों के लिए विवादित टू-फिंगर टेस्ट को दी मंजूरी रद्द कर दी गई है। दिल्ली सरकार के सूत्रों का कहना था कि दिल्ली सरकार अपने उस विवादित आदेश को वापस लेगी जिसमें बलात्कार पीड़ित के टू फिंगर टेस्ट की इजाज़त देने की बात कही गई थी। दिल्ली सरकार का कहना है कि एक अधिकारी की गलती की वजह से ये आदेश जारी हुआ था इसलिए उस अधिकारी को सस्पेंड कर कार्रवाई की जाएगी।

अपने अस्पतालों के लिए जारी एक एडवायजरी में दिल्ली सरकार की ओर से साफ तौर पर कहा गया था कि इस टेस्ट के लिए पीड़िता की सहमति जरूरी होगी।

टेस्ट के लिए पीड़िता की मंजूरी जरूरी
दिल्ली सरकार ने बलात्कार की जांच के लिए इसे उचित ठहराते हुए सरकारी अस्पतालों को एक एडवाइजरी जारी की थी। 14 पेज की इस एडवाइजरी में कहा गया था कि रेप की जांच के लिए पीड़ित की मर्जी के बाद टू-फिंगर टेस्ट किया जा सकता है।

समर्थन में क्या कहा विशेषज्ञों ने
सरकार के विशेषज्ञों का कहना था कि इस टेस्ट को हटा देने से रेप की जांच निष्पक्षता से करना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए रेप की जांच करने वाले डॉक्टरों की सुविधा के लिए इस टेस्ट पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाना सही नहीं है। हालांकि टू-फिंगर टेस्ट का समय-समय पर विरोध होता आया है।

सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी इस टेस्ट पर आपत्ति
वहीं, साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि टू-फिंगर टेस्ट पीड़िता को उतनी ही पीड़ा पहुंचाता है, जितना उसके साथ हुआ रेप। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि इससे पीड़िता का अपमान होता है और यह उसके अधिकारों का हनन भी है। इस तरह का टेस्ट मानसिक पीड़ा देता है, सरकार को इस तरह के टेस्ट को खत्म कर कोई दूसरा तरीका अपनाना चाहिए।

क्यों हुआ इस टेस्ट का विरोध
टू-फिंगर टेस्ट रेप की जांच के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसमें महिला के प्राइवेट पार्ट में उंगलियां डाल कर अंदरूनी चोटों की जांच की जाती है।

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इस टेस्ट के विरोध करने के पीछे एक वजह यह भी है कि इस टेस्ट द्वारा यह जांच की जाती है कि रेप की शिकार महिला सेक्स की आदी है या नहीं।