यह ख़बर 19 दिसंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

दिल्ली गैंगरेप के बाद तेज हुई बहस, क्या सजा मिले बलात्कारी को?

खास बातें

  • देश में हर 22वें मिनट में और दिल्ली में हर 18वें मिनट में किसी लड़की या महिला के साथ बलात्कार होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अब वक्त आ गया है कि बलात्कार के लिए फांसी की सजा होनी चाहिए?
नई दिल्ली:

दिल्ली में चलती बस में गैंगरेप के मामले में गिरफ्तार आरोपियों पर हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया गया है। दिल्ली पुलिस ने मंगलवार रात इन आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या की कोशिश), 201 (सबूत मिटाना) और 390 (लूट) के तहत भी मामले दर्ज किए हैं।

वहीं, महिलाओं की सुरक्षा के बारे में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी की कड़ी चिट्ठी के बाद केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने दिल्ली पुलिस के आला अफसरों को मीटिंग के लिए बुलाया।

23-वर्षीय पैरा-मेडिकल छात्रा के साथ कथित सामूहिक बलात्कार और बेरहम तरीके से मारपीट करने के मामले को लेकर लोगों में आक्रोश के बीच पुलिस ने इस खौफनाक घटना के संबंध में मंगलवार को दो और लोगों को गिरफ्तार कर लिया। मुख्य आरोपी राम सिंह को अदालत ने मंगलवार को ही पांच दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया था। बाकी आरोपियों को आज कोर्ट में पेश किया जाएगा।

दिल्ली के पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोपियों के बारे में बताया कि लड़की के साथ गैंगरेप के मामले में ड्राइवर राम सिंह, उसके भाई मुकेश, विनय और पवन को गिरफ्तार कर लिया गया है। दो अन्य आरोपी - अक्षय ठाकुर और राजू फरार हैं। अक्षय बिहार के औरंगाबाद का रहने वाला है। इन दोनों को पकड़ने के लिए पुलिस की टीमें उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान भेजी गई हैं।

उधर, सफदरजंग अस्पताल में भर्ती पीड़ित लड़की की हालत नाजुक बनी हुई है और डॉक्टरों के मुताबिक अगले दो दिन उसकी हालत के लिहाज से काफी अहम हैं। पीड़ित सोमवार को कोमा में थी और उसके चार ऑपरेशन हुए। मंगलवार को वह होश में आई और उसने डॉक्टरों को कुछ लिखकर देने की कोशिश की, लेकिन उसके बाद उसकी हालत फिर बिगड़ गई।

दिल्ली में गैंगरेप के मामले ने पूरे देश में लोगों को आक्रोशित कर दिया है। हर तरफ ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या इन दरिंदों को सजा देने के लिए कानून को और ज्यादा कड़ा करने पर, उस पर सख्ती से पालन की जरूरत नहीं है? कानून के तहत सामूहिक बलात्कार के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है, लेकिन इसके बावजूद सजा का कोई डर नहीं है।

देश में हर 22वें मिनट में और दिल्ली में हर 18वें मिनट में किसी लड़की या महिला के साथ बलात्कार होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अब वक्त आ गया है कि बलात्कार के लिए फांसी की सजा होनी चाहिए?

कई महिला संगठनों को आशंका है कि रेप के लिए फांसी की सजा के प्रावधान से पीड़ित की जान पर खतरा बढ़ जाएगा, क्योंकि मुलजिम सबूत मिटाने के लिए पीड़ित की हत्या की कोशिश करेगा। देश में एक-चौथाई रेप के मामलों में ही सजा हो पाती है और सजा की दर 26 फीसदी है।

एक नाबालिग के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या के मामले में धनंजय चटर्जी को 2004 में फांसी के बाद इस साल पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब को मुंबई हमले के मामले में फांसी दी गई। फांसी की सजा की प्रक्रिया को तेज करने की ज़रूरत है। 300 सजा पाए अपराधी फांसी चढ़ाए जाने की कतार में हैं।

मंगलवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने दिल्ली हाइकोर्ट से इस मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की अपील की, लेकिन इसके लिए ज्यादा जजों की जरूरत है। हालांकि महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा का कहना है कि बलात्कारियों को उम्रकैद की सजा दी जाए, ताकि उन्हें हर रोज मौत का अहसास हो।

13 अक्टूबर, 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार पर कहा था कि ट्रायल और हाईकोर्ट इस कायराना अपराध को हल्के में न लें और उस आरोपी को सख्त से सख्त सजा दे, जिसने पीड़ित की हत्या भी कर दी हो। साथ ही, सबूतों को आंकने में ज्यादा सावधानी बरती जाए और आरोपी को कमजोर तथ्यों पर आजाद न किया जाए। छेड़खानी पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा 30 नवंबर, 2012 को कहा था कि छेड़छाड़ के मामलों को थोड़े प्रयास से रोका जा सकता है और अगर इसको रोका नहीं गया, तो इसके परिणाम भयंकर होंगे।

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वैसे इसी सत्र में सरकार ने लोकसभा में एक बिल पेश कर रखा है, जिसमें यौन हमलों के लिए कड़ी सजाओं की बात है। यह क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट बिल, 2012 है, जो पास हुआ तो यौन हमलों के लिए कम से कम सात साल की सजा होगी। अगर इसके लिए कोई पुलिस या सरकारी अफसर या अपनी हैसियत का इस्तेमाल कर रहा कोई मैनेजर या अधिकारी जिम्मेदार पाया जाता है, तो उसे कम से कम 10 साल की बामशक्कत कैद से लेकर उम्रकैद तक हो सकती है। इस बिल का मक़सद आईपीसी, सीआरपीसी, 1973 और इंडियन एविडेंस एक्ट, 1872 में संशोधन करना है।